मुखड़ा -तू लगाव हम लगायेंम घर घर हरियाली , इनका से मिले जीवन की ख़ुशीहाली -२ अंतरा - कार्बन -डाई- ऑक्साइड अवशोषित करि के रात में छोड़े भाई , दिन में ऑक्सीजन छोड़ी परोपकारी कहलाई ! इनका से मिले ...... अन्तरा -थाकल हारल जब तु जाई छाँह के साथ साथ पवन चले भाई , भूख लगे त:खा जाला पकल फल भाई ,इनका से मिले ........ अंतरा -संसारी इस दुनिया में मायाजाल है, भाई , दोस्त हो या दुश्मन सब के गले लगाईं !इनका से मिले ........ तू लगाव हम लगायेम घर घर हरियाली इनका से मिले जीवन की ख़ुशीहाली -३! क्रांतिराज बिहारी नोट -इस पेड़ शीर्षक सामाजिक गीत के द्वारा जीवन की यात्रा में उतराव चढ़ाव जिंदगी के बारे में बताया गया है !इसे समीक्षा जरूर करे ! सधन्यवाद 01/03/2022 Tue.