किशोर अवस्था का अंतिम दौर और युवा अवस्था की दहलीज पर कदम रखते ही मन शांत और कुछ जानने की लालसा स्कूल से कालेज की दहलीज पर कदम रखते मन में किसी अजनबी के प्रति मोहकता एक तलास उथल- पुथल जैसे मन किसी को ढूँढ रहा है जैसे किसी की तलास है ! तभी एक अजनबी की आँखों से आँखे टकराई शर्म से आंकें झुकाई कभी उसको नजरें चुराते देखा तो कभी हमने नजरे चुराते हुए
निहारा ! पहली ही नजर में एसा लगा जैसे वर्षों की पहचान है हादसा छोटा सा था पर मन से मन का एक्सीडेंट एसा हुआ की सारे नट वाल्ट ढीले हो गये ,कालेज से घर आये आँखों में वही मुश्कुराता चेहरा ,ख्याल उस अजनबी का माँ ने खाना परोषा हाथ में रोटी का निवाला दिल में ख्याल उनका माँ ने गौर से देखा ,बेटा कहाँ है ध्यान तुम्हारा तन घर पर मन अजनबी पर हाय ये कैसा जादू हो गया मेरा मन कहाँ खो गया , यह कैसा रोग लग गया चेन भी नही है इलाज भी नही है दिल चाहता है उनकी बातें करूँ पर कर भी नही सकता रात हुई सपनो में उन्ही का ख्याल आया सुबह होते ही फिर कालेज का टाइम आया ! कालेज में भीड़ बहुत थी चारों तरफ स्टूडेंट्स थे हर रोज जब कालेज जाते थे तो सबसे पहले दोस्तों से मिलते थे मुश्कुराते हुए आते थे और मुश्कुराते हुए आते थे पर आज ऐसा नही था भीड़ थी कालेज में पर में अकेला था नजरें किसी को ढूँढ रही थीं ! इंतजार जिसका था उसके विषय में किसी को पूछ भी नही सकते थे ! तभी कानो में एक आवाज आई महसूस किया की कोई लड़की पास खडी अपनी सहेली से बात कर रही थी पर एसा लग रहा था की वह सहेली को नही मुझे अपनी आवाज सूना रही थी मैंने मुड़कर देखा तो एसा लगा कायनात की सारी खूबसूरती मेरे सामने है एक टक देखा और दोनों ने एक साथ कहा की मेने आपको कहीं देखा है जबअत एक ही प्रश्न दोनों के मुह से निकला तो फिर शर्म से पानी पानी हुए पह यह शर्माना पहले जैसा नही था अब शर्म के साथ मनमोहक मुश्काना भी था अब तो कालेज स्वर्ग से कम नहीं था इसारे ही इशारे में एक दूजे का हाल पूछा करते थे एक दिन मार्किट में वो टकराये पास हमने काफी हॉउस पर खड़े उन्हें इशारा किया आज ना नुकुर किये बगैर उन्होंने काफी के लिए हाँ कर दी दोनों ने मिलकर पास बैठकर काफी का टेस्ट लिया कुर्शी के बीच टेबल सिर्फ दो फिट की थी उसकी साँसे मेरे चेहरे से टकरा रही थी मनमोहक खुशबू उसके कपड़ों से आ रही एक अजीब सा कम्पन था तन पर सम्भलने के बाबजूद जुवां लड़खड़ा रही थी मन बेचें था नजरें मिलाने की हिम्मत नहीं थी मदमस्त कर देने वाली कोयल सी आवाज ने " सामने देखने को कहा में हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था उसने चेहरे के नीचे थोड़ी पर हाथ लगाकर ऊपर देखने को कहा में सोच रहा था आज अपने दिल की बात कह डालूं डर - डर के कुछ कहने को हुआ तभी उनकी उनकी सहेली आयी बात अधूरी रह गयी जुबा खामोस रह गयी इकरार हो ना सका मन उदास था तभी , किसी ने कंधे पर हाथ रखा में चौक गया ,मुड़कर देखा तो फिर होटों पर मुश्कुराहट आयी वो लौट कर फिर आयी कहा मुझे कुछ कहना है तुमसे , आओ पास बैठो अगर इतराज ना हो तो कह दूँ की में आपको पसंद करती हूँ दिन रात आपके ख्यालों में डूबी रहती हूँ मेरी ख़ुशी का ठिकाना ना रहा में सबकुछ भूलकर उससे से लिपट गया एक पल के लिए ऐसा लगा की दुनिया की साड़ी ख़ुशी मुझे मिल गयी ....... काफी समय गुजरा तीन वर्ष का वह जीवन भुलाया नहीं जा सकता तन दो थे आत्मा एक थी ... .. पल दो पल ख़ुशी को जिंदगी समझ बैठा..... जब ख्याल आया की जिनको हम जिंदगी मान बैठे है वह किसी और की अमानत होने वाली है...... मोहब्बत में समझौता किया भावनाओ से घर तक का रिश्ता बनाया अपने हाथ से डोली में बिठाया ... दहेज़ खरीदवाया ,..... जिनसे बात किये बगैर एक पल नहीं रह सकते थे उनके फोन का इंतजार महीनो करना पड़ता है ! एक वर्ष बाद दो माह पहले फ़ोन आया धीमी सी आवाज थी ....... धीमी से बोली आपका दोस्त इस दुनिया में आ गया है छोटा सा है नन्हा सा है बहुत प्यारा है....................????????????????