पो कूहूँ... थमा थमा सा है।शाम को सजना रात दो पथ पर भागना सुबह का थकना सब रूका रुका सा है।आगे से पकड़ना पीछे से पकड़ना बीच में आराम करना एक रात के लिए।उसका चलना भागना इतराना कूहक़ी मारना ठिठक कर चलना उसकी आदत है।सदियों से आजाद थी कभी न रुकी पर ना जाने क्यों उन्ही रास्तो में जमी जमी सी है।उसके ऊपर सोना क