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भाग -1

13 मई 2022

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यथार्थ को शब्दों के माध्यम से पृष्ठों पर उकरने के लिए ना जाने इस बार मैंने कितनी ही कोशिशें की, पर शायद मंतव्य मेरा पूर्ण नहीं हो पाया।

मैं एक साहित्यकार हूं कहना गलत होगा, पर एक मनमौजी हूॅं मेरा यही परिचय सटीक रहेगा।

इन दिनों एक चेहरा कई बार मेरी आंखों के सामने घूमा करता। घर वापस आते हुए मैंने अक्सर उसे सड़क किनारे अश्लील हरकतें करते हुए देखा था।

एक ही दृष्टि में कोई भी उसे देख कर भांप सकता था कि वह किस काम से वहां खड़ी रहती थी। कई आती-जाती गाड़ियां उसे लिफ्ट भी देती।

भगवान ने उसे बनाने के लिए शायद कुछ अलग ही मिट्टी उपयोग में ली होगी। तराशा हुआ बदन, अच्छी कद काठी, लंबे बाल, तीखे नयन नक्श की वह धनी थी।

उसकी साज-सज्जा, उसका पहनावा, उसके काम का बखान करता हुआ नहीं थकता था। पर फिर से दूसरे दिन फिर एक नई सज्जा में।

1 दिन उसके बारे में कुछ ज्यादा ही जाने की इच्छा बलवती होने लगी।

पता नहीं क्या सोचकर उस दिन मेरे हाथ स्टीयरिंग को घुमा ही नहीं रहे थे।

उसे भी शायद इस बात का अंदाजा हो चुका था कि कोई अजनबी उसे दूर से ही देख रहा है। वह कुछ देर और वही खड़ी इंतजार करती रही कि कोई ग्राहक आए और उसे ले जाए पर ऐसा नहीं हुआ।

आती-जाती गलियों में, सड़कों पर न जाने ऐसे कितने ही ग्राहकों का इंतजार करती देखने को मिल जाती है।

समाज के लोग इन्हें घृणित नजरों से देखते हैं। कभी-कभी बाजारू, वेश्या, रंडी और भी ना जाने कितने ही नामों से इन्हें नवाज दिया जाता है।

समाज का एक बहुत बड़ा तबका इन की गलियों से गुजरने तक को डरता है। एक नाम, नाम नहीं बदनाम जिसे दूर से ही देख कर लोग तौबा कर लेते हैं।

हां जाता भी है समाज का एक वर्ग इनके पास, लेकिन चोरी छुपे रात के अंधेरे में।

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रचनाएँ
मृगनयनी - एक कसक
5.0
एक दर्द भरी दास्तां। गरीबी इंसान को ना जाने क्या-क्या करने पर विवश कर देती है? बेसहाराओं के लिए समाज का कुत्सित रूप
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भाग -1

13 मई 2022
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वो चेहरा

14 मई 2022
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ग्राहक की आशा में खड़ी उस लड़की को जब कुछ और देर इंतजार करने के बाद भी कोई ग्राहक नहीं मिला तो वह दूर खड़ी मेरी गाड़ी को देख इसी तरफ बढ़ने लगी।मेरी गाड़ी के दाहिने तरफ आकर उसने खिड़की को खटखटाया। उसे

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भाग-3

15 मई 2022
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भाग 4

19 मई 2022
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वो चेहरा और उसके पीछे की कहानी जाने के लिए मेरा मन उकताने लगा। ना जाने क्यों उसके चेहरे के पीछे मुझे एक अनजाना सा दर्द महसूस होने लगा था।तय किया मुझे उससे मिलना ही पड़ेगा। फिर मेरे कागज़, कलम भी तो कि

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भाग - 5

23 मई 2022
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अपुन भी पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहती थी। पर यह जो है ना पापी पेट(थोड़ा रुक कर) अपने पेट पर हाथ रखते हुए बोली ना जाने क्या-क्या काम करवाता है।पेट के लिए जरूरी तो नहीं हर कोई यही काम करें? करने को और भी तो

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भाग - 6

24 मई 2022
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वहां पार्क में बेंच पर बैठी बैठी मैं बहुत देर तक सोचती रही। जीवन, कैसे मोड़ पर उसे ले आया है।कितनी ही तरह की बातों को सोचते हुए मेरे मन में विचारों का आवेग होने से बहुत देर तक उसे नींद नहीं आई। पार्क

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भाग-7

24 मई 2022
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भाग- 8

26 मई 2022
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मृगनयनी! बहुत अच्छा नाम है। देखो मृगनयनी सभी को सुधरने की कोशिश करनी चाहिए। हमें यह जीवन भगवान की तरफ से एक बार ही मिला है।तुम कल सुबह मुझे यहीं पर मतलब जहां शाम को खड़ी होती हो उसी जगह 9-10 बजे मिलना

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भाग 9

28 मई 2022
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कई बार दिल ना जाने बिना कारण ही क्यों बहुत उतावला हो जाता है। मेरा भी शायद दिल कुछ ज्यादा ही तेजी से धड़कने लगा था।किसी के लिए एक नई शुरुआत मेरे द्वारा संभव हो सके तो कहना ही क्या? किसी के जीवन म

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भाग -10

30 मई 2022
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मन बेचैन था। ऐसा क्या हुआ, जो वह मुझसे आज मिलने नहीं आई कुछ ऐसा वैसा तो...आशंका में मन न जाने कितना कुछ सोचने लगा। सोचते हुए ना जाने मैं कब नींद के आगोश में चला गया, पता ही नहीं चला।सुबह 5:00 बजे के अ

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भाग -11

30 मई 2022
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मैं सब कुछ देख पा रही थी। मेरे शरीर में उसके द्वारा पिलाएं जाने वाले शरबत के कारण कुछ ऐसा नशा हो गया था कि मेरा शरीर मेरा साथ नहीं दे रहा था।वह मेरे पास आ बैठा। उसने मेरे बंधे बालों को खोल दिए और बोला

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भाग-12

30 मई 2022
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बिस्तर पर बिछाने के लिए लालायित रहने वाला समाज कभी भी हमें अपनाने को तैयार नहीं होता।मृगनयनी की ये बातें मेरे जेहन में बार बार घूम रही थी। अच्छी खासी ही तो थी उसकी जिंदगी। पर मेरे कारण उसकी इच्छा के व

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