shabd-logo

बचपन की दोस्त

13 सितम्बर 2022

28 बार देखा गया 28
 मेरे बचपन की दोस्त , मेरी सहेली ,जिसका नाम था निधि 😊
हमारी दोस्ती तब हुई थी जब हम नर्सरी में थे । वो रोज एक गुलाब का फूल लाती और मुझे देती ।हमारी दोस्ती भी उस गुलाब के फूल जैसी थी ,तरोताजा,खिली -खिली । हमारे मनों को सुवासित करती हुई 😊।
मैं उसके लिए टाॅफियाँ लाती जिसे वो बहुत चाव से खाती थी ।हमारी दोस्ती एक लड़की को रास न आती थी तो वो निधि को मेरे विरुद्ध भड़काने का पूरा प्रयास करती थी ।एक दिन वो सफल भी हो गई ।मैंने निधि को टाॅफी दी ,उसने बस्ते में रख ली ,फिर मैं वाशरूम चली गई और उतनी ही देर में उसने अपना काम कर दिया ।मैं लौटकर आई तो निधि ने टाॅफी वापस कर दी कि लो मुझे न चाहिए ।
मैं समझ गई ये उसी का काम है ,मैं बोली नहीं कुछ पर उदास हो गई और वो अपनी जीत पर खुश ।
निधि ने उसकी मुस्कुराहट देख ली और वो समझ गई सारा रहस्य और उस दिन निधि ने उससे दोस्ती तोड़ ली।
तब झूठ बोले कौवा काटे काले कौवे से डरियो गाना नया आया था ।निधि ने मुझसे कहा बहुत अच्छा गाना है ,घर में पापा से कहकर कैसेट में भरवा लो ।फिर क्या था ,घर जाते ही मैंने घर सिर पर उठा लिया कि वो गाना कैसेट में भरवाओ ,और जब भरवा लिया गया तब ही चैन पडा़  😂😂

बचपन की दोस्ती तो बहुत प्यारी होती है ।

Berlin की अन्य किताबें

8
रचनाएँ
कुछ मन के भाव
0.0
इसमें दैनिक प्रतियोगिता में दिए गए विषय पर कलम चलाने का प्रयास कर रही हूँ
1

समय की गति

7 सितम्बर 2022
6
2
1

समय ,चलता आया है ,सृष्टि प्रारंभ से ,निर्बाध गति से ।समय चलता ही रहता है ,समय के साथ ही ,सभी को चलना पड़ता है ।जो पीछे मुड़कर ,देखता है कभी,समय छोड़ देता है ,उसे वहीं तभी ।समय उसी का होता है ,जो उसकी

2

रेलयात्रा

9 सितम्बर 2022
13
8
1

रेल यात्रा का विषय देखकर मुझे वो घटना याद आ गयी जो आपसब के साथ साझा करने का मन किया।मेरे पापा के साथी प्रोफेसर थे वर्मा अंकल( अब नहीं रहे )वो अपनी पत्नी के साथ रेलयात्रा कर रहे थे।आंटी जी बैठी थीं और

3

बचपन की दोस्त

13 सितम्बर 2022
3
1
0

मेरे बचपन की दोस्त , मेरी सहेली ,जिसका नाम था निधि 😊हमारी दोस्ती तब हुई थी जब हम नर्सरी में थे । वो रोज एक गुलाब का फूल लाती और मुझे देती ।हमारी दोस्ती भी उस गुलाब के फूल जैसी थी ,तरोताजा,खिली

4

मानवीय पूंजी

15 सितम्बर 2022
3
2
0

मानवीय पूँजी ,तो हैं मनुष्य के संस्कार,उसके आचार,विचार ,उसका व्यवहार ,यही असली पूंजी है जो ,आपसे कोई चुरा न पाता है,यही पूंजी है वास्तविक ,जिसके बल पर ही इंसान,सबके मन में अपना ,एक अच्छा व अटल स्थान ब

5

पितृपक्ष

16 सितम्बर 2022
2
2
1

पितृपक्ष , एक पखवारा जब ऐसा माना जाता है कि हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं ।उनके लिए इस पखवारे भर के लिए स्वर्ग के द्वार खोल दिए जाते हैं ,और वो अपनों से मिलने ,उन्हें अपने आशीष देने के लिए आते है

6

मैं नारी हूँ

17 सितम्बर 2022
8
6
6

मैं नारी हूँ ,हाँ नारी हूँ।मत अबला,समझो मुझको,मैं सबपर ,भारी हूँ।हाँ नारी हूँ।मैं सकल,सृष्टि की उत्पादक,मैं ही ,दया,क्षमा,त्याग,ममता की मूरत,मैं सुता,मैं अर्धांगिनी,मैं ही हूँ पयस्विनी,नर दीपक,तो मैं

7

अंधविश्वास

18 सितम्बर 2022
11
5
10

अंधविश्वास का कोई निश्चित कारण न होता है ।यह मन का ऐसा विश्वास है जो व्यक्ति अपने मन में मान बैठता है और उससे निकलना ही न चाहता ।अंधविश्वास का अर्थ ही हैकिसी चीज़ पर आँखें मूँद कर ,बिना विवेक का प्रयो

8

नारी शक्ति का दुर्पयोग

20 सितम्बर 2022
10
5
6

कहाँ रहे वो पुरुष संत सरीखे,कहाँ उनका वो साधु ह्रदय !कहाँ आँखों में निश्छलता वो ,कहाँ सद्पथ पर उनकी सुर लय!!शुचिता से कोसों दूर ,'नूतन' वे नर तो हुए कपूर ,नर आज के तो अत्याचारी हैं ,काम वासना में तप्त

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए