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प्रकृति का सन्देश

Chandeshwar

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ऐ पृथ्वी के मानव तुम , तेरी आवाहन मैं करती हूँ | सदा हमें सम्भाल कर रखना , तुम्हें हमेशा कहती हूँ | मैं स्वस्थ्य तो तुम स्वस्थ्य हो , तुमसे स्वस्थ्य पुर्ण संसार होगा | कर मदद सदा दुखियों का , प्रसन्न मन शांति तुम्हारा उपहार होगा | जल,वायु,आकाश,अग्नि और , मिट्टी रुपी धरती हूँ | पंचतत्व है नाम जिसकी , मैं हीं वह प्रकृति हूँ , मैं हीं वह प्रकृति हूँ | मैंने तुम मानव को बनाया , जिसका नाम इंसान दिया | भेद-भावना जाती धर्म से , तुमने इसे बरबाद किया | भुल गया है क्यों तुम खुद को, कुछ नहीं यहाँ तेरा है | रख सबसे भाईचारा प्रेम तुम , यहीं तुम्हारा शुख शांति सवेरा है | दि अधिकार बराबर सबको मैं , सबके लिए सदा बहती हूँ | पंचतत्व है नाम जिसकी , मैं हीं वह प्रकृति हूँ , मैं हीं वह प्रकृति हूँ | घमण्ड कभी मत करना बन्दे , सभी का दर्द बाँट लेना | तु मुझसे दुनिया मुझसे है , जग मुझसे जिवन मुझसे है , बान्ध तु ए गाँठ लेना | यदि होगी भिड़ अधर्म की जहाँ , उस भिड़ से खुद को छाँट लेना | कर महसुस मुझे हरपल तु , कण-कण में तेरे मैं रहती हूँ | पंचतत्व है नाम जिसकी , मैं हीं वह प्रकृति हूँ , मैं हीं वह प्रकृति हूँ | ( लेखक - चन्देश्वर कुमार मुनेश ) 

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