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प्रेम की बूटी

30 मई 2022

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सदियों  पहले की कहानी  है,, एक वृद्ध सन्यासी हिमालय की पहाड़ियों में कहीं रहता था. वह बड़ा ज्ञानी  और बड़ा साधक था ,और उसकी बुद्धिमत्ता की ख्याति दूर -दूर तक फैली थी. *"
एक दिन एक  दुखियारी औरत उसके पास पहुंची और अपना दुखड़ा रोने लगी , ” संन्यासी महाराज , मेरा पति  पहले मुझसे बहुत प्रेम करता था , लेकिन वह जबसे युद्ध से लौटा है ठीक से बात तक नहीं करता है ,,!!

संन्यासी बोले *”यह सब युद्ध का  परिणाम है ,युद्ध से आए  लोगों के साथ ऐसा ही होता  है.,  *"!!

वह दुखियारी हाथ जोड़कर कहती है *"लोग  बताते  हैं कि आपकी दी हुई जड़ी-बूटी इंसान में फिर से प्रेम उत्पन्न कर सकती है , कृपया कर  आप मुझे वो जड़ी-बूटी दे दें.*"!!

सन्यासी ने  थोड़ी देर कुछ सोचा और  कहा  ,”  मारे  मैं तुम्हे वह जड़ी-बूटी अवश्य  दे देता, लेकिन उसे बनाने के लिए एक ऐसी वस्तु  चाहिए जो मेरे पास नहीं है ."*!!

वह दुखियारी कहती है *”आपको जिस वस्तु की आवश्यकता है   मुझे बताइए मैं अवश्य लेकर आउंगी .”!!

सन्यासी ने उसकी ओर देख कर  कहा **”मुझे बाघ की मूंछ का एक बाल चाहिए .”, !!
महिला वहा से कहकर जाती है कि मैं लेकर आऊंगी ,*"!!
दूसरे  ही दिन  प्रात वह दुखियारी महिला बाघ की तलाश में जंगल में निकल पड़ी, बहुत खोजने के पश्चात  उसे नदी के किनारे एक बाघ दिखा, बाघ ने उसे देखते ही दहाड़ा , वह  सहम गयी और तेजी से वापस लौट पड़ी , *"!

अगले कई दिनों तक यही  चलता रह  , वह दुखियारी महिला हिम्मत कर के उस बाघ के पास पहुँचती और डर के मारे  वापस लौट  जाती. महीना बीतते-बीतते बाघ को महिला की मौजूदगी की आदत पड़ गयी थी ,  अब वह  उस दुख्यारी को देख कर सामान्य ही रहता. अब तो महिला बाघ को खाने के  लिए मांस भी लाने लगी , और वह  बाघ बड़े चाव से उसे खाता. उनकी दोस्ती बढ़ने लगी और अब महिला बाघ को थपथपाने भी लगी. और देखते देखते एक दिन वो भी आ गया जब उसने हिम्मत दिखाते हुए बाघ की मूंछ का एक बाल भी निकाल लिया*"!!

बाल  निकालते ही वह बिना देरी किये सन्यासी के पास पहुंची, और बोली ” मैं बाल ले आई  महाराज *"!!

संन्यासी ने बाल को पकड़ कर उसे देखते हुए कहा *“बहुत ,बढ़िया कार्य किया तुमने .”,*!!

और ऐसा कहते हुए सन्यासी ने बाल को जलती हुई आग में फ़ेंक दिया ,

यह देख वह चीख पड़ी ,और बोली *"”अरे ये क्या महाराज ,!  आप नहीं जानते इस बाल को लाने के लिए मैंने कितने प्रयत्न किये और आपने इसे  ऐसे ही जला दिया अब मेरी जड़ी-बूटी कैसे बनेगी ?”

सन्यासी ने  कहा ”*”अब तुम्हे  किसी जड़ी-बूटी की ज़रुरत नहीं है .”  जरा ध्यान से  सोचो , तुमने बाघ को किस तरह अपने वश में किया….जब एक हिंसक पशु को धैर्य और प्रेम से जीता जा सकता है तो क्या एक साधारण इंसान को नहीं ? जाओ जिस तरह तुमने बाघ को अपना मित्र बना लिया उसी तरह अपने पति के अन्दर प्रेम भाव जागृत करो.।"*

वह दुखियारी महिला सन्यासी की बात समझ गयी, अब उसे उसकी जड़ी-बूटी मिल चुकी थी.. सबसे बड़ी बूटी तो धैर्य है जिसके चलते इंसान कुछ भी कर सकता हैं!!


भारती

भारती

बहुत ही बढ़िया कहानी 👌🏻👌🏻

30 मई 2022

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

30 मई 2022

धन्यवाद जी

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प्रेम की बूटी
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एक दुखियारी महिला को अपने पति के अंदर फिर से प्रेम जागृत करना था तो वह एक सन्यासी के पास गई तो उन्होंने उसे बाघ का मूंछ लाने के लिए कहा ,*??

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