30 सितम्बर 2024
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मैं प्रेम बजाज एक रचनाकार, लेखन की दुनिया में आसमान की बुलंदियों से भी ऊंचा उठना मेरा सपना।D
कभी उठाने के लिए गिराना भी पड़ता है आशु और आकाश दो भाई, आशु चिकित्सक की पढ़ाई का शौकीन मगर आकाश खेलप्रिय अधिक था, इसलिए पापा हमेशा यही कहते," मेरा आशु तो डॉक्टर बनेगा मगर आकाश इंटरनेशनल एथलीट बनेगा"
स्ट्रेच मार्क्सपापा घर पर नहीं, इसलिए रीता को मां को किट्टी छोड़ने के लिए जाना था।रीता, " मां, कितनी बार कहा है जब मेरे साथ कहीं जाना हो तो साड़ी मत पहना करो""लेकिन क्यों"?"ज़रा देखो तो अपने पेट पर, क
कल आज और कलकल जैसा था, आज वैसा है, कल ऐसा नहीं होने दूंगी। मेरी पोती ( बिन मां की बच्ची है ) बड़ी हो गई है, कालिज खत्म हो गया उसका, नौकरी करना चाहती है, उसके पापा, दादा ने कहा, "लड़की की कम
एहसासदिल्ली का न्यू मोती नगर इलाका, वैसे तो ठीक-ठाक लिखा है, लेकिन वहां के लोग दिलदार बहुत हैं। मोती नगर की गली नंबर 2 का तो रंग ही रंगीला है। हर घर में बाई के बिना तो काम चलता ही नहीं,और महीने म
पापा भी मैं हूंराज़ुल और रूही शिवानी के जुड़वां बच्चे हुए, पति, अयान बहुत खुश था, हर साल बच्चों का जन्म दिन धूमधाम से मनाता, वक्त ने चक्का घूमाया ऐसा, एक महामारी आई करोना जिस की वजह से अयान की मृत्यु
अपने दम पर आरती के पापा की स्टील फैक्ट्री शहर की नामी फैक्ट्रियों में गिनी जाती थी, आराधना और आरती दो बहनें, आरती बड़ी है, आराधना अभी बी.ए. लास्ट सेमेस्टर चल रहा था और आरती की सागर सगाई हो गई।&nb
रिश्ते आज मैं रिश्ते निभाने पर कुछ बात कर रही हूँ । दोस्तों हर इन्सान का अपना नज़रिया होता है , अपनी राय,या कहिए कि हर इन्सान की अपनी सोच है ।..... रिश्तों के बारे में मेरी सोच ये ह
मेरी मां ( मेरी प्रेरणा)मेरी मां इश्वर का रूप है, गुरू है , सहेली है, प्रेरणा है मेरी। क्या संज्ञा दूं मां की, ऐसा तो कोई शब्द ही नहीं बना जो मां की व्याख्या कर सके।कहते हैं जब ईश्वर ने सं
मत बांटो इंसान को"आकाश क्या सोच रहे हो, तुमने अपने माँ-पापा से बात की हमारे रिश्ते की""नहीं रेखा अभी नहीं पापा बहुत गुस्से वाले हैं , नहीं मानेंगे माँ से बात करने की कोशिश करता हूँ , शायद माँ कुछ हल न
झूठी इज्ज़तआकाश एम.ए.फाईनल ईयर में था, अचानक व्यापार में बहुत बड़े नुकसान की वजह से हार्टअटैक से पिता की मृत्यु हो गई, आकाश की अभी कोई नौकरी नहीं लगी थी, सारा बोझ आकाश पर आ गया।क्रिय
कर्म फल सागर लगभग 8-9 साल का था, छुट्टियों में नानी के घर गया, जब वापिस आने लगे सागर दो-चार दिन और रूकने की ज़िद करने लगा, मामा के बच्चों के साथ उसे खेलना अच्छा लगता, घर पर कोई खेलने
ये कैसा इश्क हैऊंचा कद, छरहरा बदन,तीखे नयन-नक्श, पतले-पतले कमान से तराशे हुए लालिमा लिए हुए ठोंठ, आंखें जैसे मय के प्याले हों,लम्बी सुराहीदार गर्दन, उरोज़ो को कहां तक सम्भाले, साक्षात् कामदेव को निमंत
शकआरिफ, रिया की आज सुहागरात है, दोनों बहुत ही खुश हैं, लेकिन अगले ही दिन से आरिफ रिया से दूर रहने लगा, ना तो उससे अधिक बात करता और नि ही उससे पति-पत्नी वाला रिश्ता निभाता, रिया परेशान थी, कि आखिर एक र
खोल दिया साहब राशिद खान को जैसे ही स्ट्रेचर से उतारकर रखा उसके जिस्म में दर्द की लहर उठी, उसे लगा जैसे किसी ने उसके जिस्म की एक-एक हड्डी तोड दी हो, हिलना-डुलना बहुत मुश्किल लग रहा था, फिर भी हिम्
काश मैं दूबारा मां बन पाती सावित्री का बेटा-बहू दोनों पढ़े - लिखे ऊंचे ओहदे पर कार्यरत, शादी को पांच साल हो गए लेकिन अभी तक कोई बच्चा नहीं, दोनों कहते हैं कि अभी उन्हें अपना करियर बनाना है,
मर्दानगी का सबूतअजीत शाह आगरा की मशहूर 'शाह शूज़ फैक्टरी' के मालिक अपने आफिस में बैठे हैं और उनके पास शहर की दूसरी नामी फैक्ट्री मेहरोत्रा शूज़ फैक्टरी' के मालिक अशोक मेहरोत्रा मिलने आते हैं, दो
बंटवारे का हिस्सारामप्रसाद के दो बेटे बड़ा अनिल पढ़-लिखकर शहर में नौकरी करता है और छोटा अनुज पढ़ाई में कमज़ोर था तो गांव में ही खेती-बाड़ी संभालता है, अचानक रामप्रसाद को हार्ट-अटैक आया और गांव में इला
*क्या सोलह सिंगार सचमुच सौभाग्य की निशानी है या महज दिखावा* ?सोलह सिंगार आज के नहीं देवलोक से चली आई परमपराएं हैं, जब से सृष्टि का जन्म हुआ पुरुष ने सदा स्त्री को शृंगारित रूप में देखना पसंद किय
एक प्यार ऐसा भी देश की राजधानी या यूं कहें कि भारत का दिल दिल्ली।दिल्ली का एक खास इलाका जिसे कूड़े का कुतुबमीनार भी आप कह सकते हैं।जी हां आपने सही पहचाना, ये है दिल्ली का गाज़ीपुर इलाका। कुत
प्यार की ताकतसढौरा एक छोटा सा शहर। जी हां दोस्तों इसे गांव भी नहीं कह सकते और शहर भी नहीं, इसलिए इसे हम छोटा सा शहर ही कहेंगे। जहांँ गांँव वाली तहज़ीब और पर्दा भी है, शहर वाले चोंचले भी हैं। गांव
अतृप्त आत्मा की आवाज़ आलोक कपूर अपने आफिस में बैठे हैं , अचानक दरवाजा खुलता है ।एक खूबसूरत लड़की लगभग 20-25 साल की उम्र दरवाजे पर खड़ी अन्दर आने की इज़ाजत मांग रही है। अलोक कपू
उसके जवाब का इंतजाररमेश और आरती की शादी होने वाली है, और शादी से दो दिन पहले रमेश अचानक से रात के समय फोन करता है।रमेश,"हैलो.......,"हैलो ... हांँ रमेश बोलो क्या हुआ, इतनी रात गए फोन क्यूं
हिंदी दिवसये एक ऐसा संस्मरण है जो मेरे दिल पर अमिट छाप छोड़ गया। जब कोरोना का प्रकोप पूरे जोरों था, हमारे घर काम करने वाली बाई शीला के पति की कोरोना की वजह से मृत्यु हो गई। अकेली शीला कमान
मध्यम वर्गीय परिवारअधिकांश क्या हुआ बेटा , इतना परेशान क्यूं है ??परेशानी की ही तो बात है मांँ , एक तो कारखाना बंद , फिर अपने घर का खर्च और उस पर ये दस-दस मज़दूरों का खर्च भी, कहां से आएगा पैसा?