हुं जल की मैं बहती धारा, झरनों ने है मुझे सवारा, हुं देती मैं अपना परिचय , स्याही लिखता पुष्पा नाम हमारा।
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<div><span style="font-size: 1em;">जीवन जैसा है चलने दो,</span><br><span style="font-size: 1em;">वक्
<div>इतने दर्द छुपा के रक्खा,</div><div>इतने आंशु बचा के रक्खा,</div><div>एक मुस्कान के पिछे,</div><
<div>मैं हुं ही एक किताब सी,</div><div>हर आने जाने वाला पढ जाता।</div><div><br></div><div>कोई मुझे सौक से पढते,</div><div>किसी की मजबूरी है,</div><div>किसी की मैं लत हुं,</div><div>किसी से बनी अपनी दू