प्रिंसिपल रूम पहुंचकर वह दोनो अपने एडमिशन की बात करके वहां से बाहर निकल आते हैं....
नीरा बोली- चलो यह काम हो गया अब आराम से घर चलते हैं अब कल से कॉलेज आएंगे ....
आकांक्षी - तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो और तैयारी भी तो करनी है.....
नीरा - किस चीज की...
आकांक्षी - कल कॉलेज आएंगे इसकी ...और यह कहकर वह सभी हसने लगते है सभी गाड़ी में बैठ जाते हैं और घर की तरफ निकल जाते हैं सभी लोग मौज मस्ती करते हुए घर की तरफ जा रहे थे तभी अचानक युवी गाड़ी को रोता है ....
नीरा - क्या हुआ गाड़ी क्यों रोक दी ....
यूवी- सामने देखो शायद तुम कल इसी विशालकाय जीव के बारे में बात कर रही थी ....
नीरा उसे देखती है और कहती है हां यही तो था सभी लोग गाड़ी मे उतरते हैं जैसे ही वह जीव उन लोगों को देखता है तो पीछे होने लगता है यह लोग उसके पीछे पीछे जाते हैं वह उनको एक सुनसान जगह पर ले जाता है ....
आकांक्षी- यह कहां पर आ गए हम लोग यहां पर तो पहले कभी भी नहीं आये यह कैसी जगह है यह तो बिल्कुल वीरान है ....
नीरा - तुम ठीक कह रही हो ...वह जीव वही रुक जाता है और कुछ इशारे करने लगता है नीरा उस जीव को इशारे करते हुए देखकर यूवी से कहती है यह कुछ कहना चाह रहा है ....
युवी - पर यह क्या कहना चाह रहा है हम कैसे समझे.... तभी बड़ा अजीब होता है वह जीव अचानक बोल उठता है और नीरा को आवाज लगाते हुए कहता है तुम मेरी मदद करो मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत है मैं बहुत बरसों से भटक रही हूं पर आज मेरी तलाश पूरी हुई है ....
नीरा - तुम हमें कैसे जानते हो .....
वह जीव बोला- मैं तुम सब लोगों को जानता हूं ....
नीरा - पर कैसे ....
वह जीव बोला -क्योंकि मैं भी तुम्हें लोगों की तरह था मैं एक परी हूं पर श्राप के कारण आज मैं इस दुर्दशा में हूं मेरा श्राप सिर्फ श्वेत नदी से पानी लाकर उसमें मुझे नहलाया जाए तभी हट सकता है पर वह नदी यहां पर नहीं है ....
नीरा - हां मैं जानती हूं वह नदी तो आइसलैंड में है...
वह जीव बोला- हां मैं जानता हूं इसलिए ही मै तुम्हारे पीछे था तुम मेरी मदद करो जिससे मैं अपने असली रूप में आ सकूं ....
नीरा पर तुम्हें हुआ क्या तुम्हें श्राप किसने दिया ....
वह जीव बोला - मैं एक परी थी बहुत सुंदर तथा लोगों की मदद किया करती थी पर धीरे-धीरे मुझे अपनी सुंदरता पर घमंड होने लगा और मैं लोगों की मदद करने की वजह उन्हें परेशान करने लगी एक दिन जब मैं एक ऋषि के आश्रम में पहुंची तो उनको परेशान करने लगी तब ऋषि ने परेशान होकर मुझे श्राप दिया कि तुम एक विशालकाय जीव में बदल जाओ मैंने जब उनसे माफी मांगी तो उन्होंने कहा कि तुम्हें सिर्फ श्वेत जल से ही मुक्ति मिल सकती है तब से मैं तुम्हे ढूंढ रही हूं तभी मैं तुम्हारे पीछे पड़ी क्योंकि मुझे पता है कि तुम आइसलैंड की राजकुमारी हो तुम मेरी मदद करो और मुझे इस विशालकाय शरीर से मुक्ति दिला दो....
युवी - हम तुम पर विश्वास कैसे करें कि तुम सच कह रहे हो यह भी तो हो सकता है कि तुम मन घडंत कहानी बना रहे हो....
वह बोला -अगर मैं मन घंडत कहानी ही बनाता या मुझे तुम लोगों को नुकसान ही पहुंचाना होता तो मैं अब तक तुम लोगो को पहुंचा चुका होता मेरा विश्वास करो मैं तुम लोगों में से ही एक हूं मुझे भी ईश्वर ने चुना था लोगों की मदद करने के लिए पर मेरे बुरे कर्मों ने मुझे यह सजा दी है पर अब मैं अच्छे कर्म करके लोगों की मदद करूंगी मैं तुम लोगों को कैसे विश्वास दिलाओ मैं ईश्वर की कसम खाकर कहती हूं कि मैं सच कह रही हूं....
नीरा बोली- ठीक है मैं तुम्हारे लिए श्वेत नदी से जल लाऊंगी और यह कहकर वह अपनी शक्तियों के द्वारा नदी से जल मंगवा लेती है और उस विशालकाय जीव को स्नान करवा देती है स्नान करते हैं वह विशालकाय जीव एक सुंदर सी परी के रूप में बदल जाता है बहुत ही मनमोहक तथा सुंदर थी....
वह नीरा से कहती है धन्यवाद जो तुमने मेरा असली रूप मुझे दे दिया....
नीरा - तुम अपना परिचय तो दो तुम्हारा क्या नाम है.....
वह बोली -मेरा नाम पीहू है और मैं परी लोक की राजकुमारी हूंआप लोगों को जब भी मेरी मदद की जरूरत हो तो बेहिचिक मुझे बुला लेना मैं आपकी मदद के लिए तुरंत आ जाऊंगी अच्छा तो अब मैं चलती हूं और यह कहकर वह परी परी लोक के लिए चली जाती है उसके जाने के बाद नीरा बोली- अच्छा हमें भी अपने घर चलना चाहिए ....
यूवी- हां तुम ठीक कह रही हो और यह कहकर वह लोग अपनी गाड़ी की तरह चल देते हैं गाड़ी के पास पहुंचकर वह लोग गाड़ी में बैठ जाते हैं और अपने घर की तरफ चले जाते हैं।