सुबह के 10 बजे थे , किस्सा ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था , तभी उसका फ़ोन बजा ... उसके एक दूर के रिश्तेदार रामलाल जी जोकिशायद 89 वसंत देख चुके थेनही रहे थे . और किस्सा को ऑफिस के बजाय वंहा जाना पड़ा .किस्सा जब वंहा पंहुचा तो देखा घर बहार बरमादे से लेकर सड़कतक ” रंगमहल टेंट हॉउस “ से आई लाल रंग की कुर्सिय