रानी कर्णावती ने जब राखी भेजी थी,
दिल में उमड़ी थी चिंता की लहर,
मेवाड़ की आन-बान की खातिर,
भाई हुमायूं को पुकारा था वो सफर।
दुश्मनों की बर्बरता से रक्षा हो,
मेवाड़ का मान ना कभी झुके,
इस राखी की डोर में बंधे थे अरमान,
कि बहन की इज़्ज़त, भाई सदा रखे।
न देखा मज़हब, न देखा सरहद,
बस भाईचारे का मान रखा,
हुमायूं ने भी फरमान भेजा,
राखी की लाज निभाने चला।
मेवाड़ की माटी से निकला प्रेम,
रानी कर्णवती के दिल का संदेश,
राखी की इस पवित्र डोर ने,
दो दिलों को जोड़ दिया अशेष।
आज भी गूंजती है ये कहानी,
भाई-बहन के अटूट विश्वास की,
एक राखी ने जो इतिहास रचा,
वो मिसाल है अनमोल धरोहर की।