नैराश्य को भेदती..
नवप्रभाती रश्मि..
विराम देती..
चिर चिंतन को..
खिलाती सरोज आशा के
मन सरोवर में..
बन उत्साह..
करती नव संचार..
निराश मन में..
करती शांत..
उद्वेलित मन को..
नवप्रभाती रश्मि..
रत्नमणि सी दमकती..
बूंद भी शबनमी..
पाकर सँग..
नवप्रभाती रश्मि का..
क्षण भर ही सही..
जी लेती हसीं जिंदगी..
कली-कली मुस्काती..
खिलखिलाकर..
सँग पाकर..
नवप्रभाती रश्मि का..
प्रकृति करती सहर्ष..
अभिनंदन..
नवप्रभाती रश्मि का..
स्वरचित :- राठौड़ मुकेश