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“शादी वाले दिन मैं सुर्ख लाल रंग का जरी के काम वाला लंहगा पहनूँगी...बड़ी सी नथ ओर कानों में बड़े बड़े झुमके...गले में दादी वाला कुन्दन का नौलखा हार और हाथ भर छन छन करती हरी हरी चूड़ियाँ। मैं कितनी सुंदर ल
बाबूजी नहीं रहे। मुझे अभी तक विश्वास नहीं हो पा रहा है। यूं लग रहा है, मुझे उद्विग्न देख वह अपनी सौम्य, स्निग्ध मुस्कान के साथ अभी मेरे सामने आकर खड़े हो जाएंगे, और कहेंगे, “अरे बेटा, किसी भी दिक्कत स