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रिश्ता पक्का है नाटिका

11 सितम्बर 2018

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पात्र – परिचय

लड़का --- दिनेश (ऑफिस में अकाउंटेंट)

लडके का पिता श्री सतीश बहल -- (पेशे से टीचर)

लडके कि माँ शशिबाला --------- (गृहणी)

लड़के का छोटा भाई ------------ वरुण

लडके की बहन-------------------- कल्पना

रिश्ता करवाने वाला व्यक्ति---- शास्त्री जी

लडकी का परिवार

लड़की – संजना

लडकी की बहन – रंजना

लडकी का भाई – प्रवेश मालिक

लड़की की भाभी- कृतिका

लड़की के पिता- डॉ आशीष मालिक

लड़की की माँ गृहणी---सुलोचना

बच्चे -तृषा , नकुल

दृश्य-1

स्थान- लडके वालों का घर l सतीश जी अखबार के विज़ापन अपने लड़के के लिए लड़की खोज रहे है l

शशिबाला--अब क्या पुरे दिन अख़बार के मेट्रीमोनियल में सर डाले रहेगे ?

सतीश--- लड़के के लिए लड़की ढूंढनी है, आलू – और प्याज़ नहीं शशि जी l

शशिबाला -

सतीश-- अगर पता होता लड़की वाले अपना पता तुम्हे अदृश्य हो दे गए है तो पूरा रविवार इस मेट्रीमोनियल पर नज़र भी ना डालता ?

वरुण--मेरे साथ फीफा देखते या कोई वेस्टर्न मूवी देखते है ना पा (वरुण ने मुस्कुराते हुए कमरे में आते हुए कहता है l )

शशिबाला- हमें ज़रुरत क्या है, लड़की वालों की तरह सर खपाने कि,लडको के लिए यूँ भी रिश्ते अपने आप आते है l पर आज शनिवार है और मेट्रीमोनियल से रिश्ते छांटे जा रहे है पिछले रविवार के (चाय वरुण और सतीश जी देते हुए l )

वरुण- वाह माँ ,जब पिछली बार चाय देते वक्त,चाय चाची जी की के ऊपर छलकी थी, तो बिना कुछ खाए पीये, बाद में बतायेगे कह कर आ गए थे l

शशिबाला- अच्छा तो मुझे भी नहीं लगा था l सतीश ही ढूंढ लाता तो ख़ुशी- ख़ुशी शादी करवाते , वर्ना मुझे क्या है, तुम्हारे नाना कहते थे, लड़की लाओ सोच समझ कर,और दो भी किसी को सोच समझ कर l

कल्पना-सही कहा माँ इसलिए शास्त्री अंकल ने कहा है, सुलोचना- रात को खाना खाने के बाद देखेगे यूँ भी कल रविवार होगा अगर लड़की इसी शहर की हुई तो कल ही जाएगे रिश्ता देखने जाएगे l

कल्पना- पर माँ एन्वल्प में एक पता है सिर्फ अंकल कह रहे थे , भैया और उस लड़की के छत्तीस गुण मिलते है l

सतीश और सुलोचना एक दुसरे का मुँह देखने लगते है l फोटो देखे बिना लड़की देखने जाना कुछ अजीब सा लगा सभी को दिनेश को आता देख कर, सतीश जी को लगा जैसे किसी उलझे हुए प्रश्न का उत्तर मिल गया हो l

दृश्य 2

(रात के खाने के बाद पूरी बात दिनेश को बताई जाती है l)

दिनेश- इसमें प्रॉब्लम क्या है माँ लड़की वालों के घर जा कर सामने से लड़की देखेगे l

सतीश जी- देखा बेटा किसका है l

सुलोचना के साथ कई संयुक्त सुर एक साथ आते है--- सबको मालूम है किसका

है l फिर ठहाको की आवाज़ बिना बात गूंजने लगती है l

वरुण ने दिनेश की चुटकी लेते हुए कहा---अगर भैया लड़की सारे गुण मिलने के बाद भेगी निकली तो?

दिनश ने (हंस कर जवाब दिया )-------- मैं भी हकला बन जाऊँगा l ( वाकई दिनेश ने हकला और टीरा बन कर अपनी बात कही, इसके बाद सभी खिलखिला कर हंस पड़े l

दृश्य 3

(सतीश जी का शास्त्री जी के घर फोन आता है फोन पर शास्त्री जी सब समझा देते है, और खुद ही रिश्ता लेकर उन के साथ जाने की बात करते है l)

शास्त्री जी- मालिक साहब बिटिया के लिए एक अच्छा रिश्ता मिला है l लड़का अकाउंटेंट है l वो लोग आज ही लडकी देखना चाहते है l

डॉ मालिक- आप ही के शब्दों में कहूँगा सुभषय श्रीघ्रम, शास्त्री जी l

दूसरी और से सहमती थी अभी तक मिस्टर बहल ,ने डॉ साहब को देखा नहीं था

ना ही l

दृश्य 4

फ़ोन कॉल समाप्त होते ही मिस्टर मालिक ने अपनी बेटी को कॉल लगाया जो रूडकी में पढ़ाती थी l

संजना- पापा, आज के आज आने में पांच से छे घंटे लगेगे l

डॉ आशीष- मगर एक बार कोशिश तो कर लड़की वाले है,कुछ सोच समझ लड़के

वाले शाम पांच बजे आ रहे है l

संजना—जी पापा ,देखती हूँ l

पास खड़ी, संजना की भाभी कृतिका ने हस्तक्षेप किया पापा संजना से कहें l

डॉ मालिक- अब तूम ही समझा लो बिटिया (कह कर इस बीच मिस्टर मालिक ने स्वयं मोबाईल कृतिका को दे दिया l)

कृतिका ---- पांच बजे से पहले कोशिश नहीं ज़रूर आये नहीं तो चाय की ट्रे लेकर कौन जायेगा

संजना ---हो हो भाभी प्लीज कुछ करो ना, l

कृतिका - बहस का समय नहीं है १० बजे की बस पकड़ और जल्दी आ l बाकि बातें बाद में कर लेगे l

कमरे में कृतिका गई तो प्रवेश लिस्ट बना रहा था----------

प्रवेश- काजू बर्फी अग्रवाल की दूकान से कचोडिया- मोनू हलवाई से l

कृतिका- नहीं जे (कृतिका प्रेम से प्रवेश को जे बुलाती है l)

कृतिका- कचोडी समोसे टिक्की कच्ची ही मंगवालो (क्यों माँ सुलोचना की ओर देखते हुए कृतिका बोली l)

सुलोचना- मेरे तो हाथ- पांव ढीले हो रहे है, कुछ समझ नहीं आ रहा है l कृतिका तुम्हारे साथ खड़े रह कर तेयारी कौन करेगा l

रंजना- नहीं माँ सब कुछ ठीक हो जाएगा, जब तक में चाय टिक्की सर्व कर देगे, कच्ची बनी बनाई टिक्की ला कर घर पर मैं और भाभी तल लेगे l रंजना स्वभाव धाव पर मलहम के समान था और जुबान जैसे हो ही ना l

कृतिका---माँ प्रवेश पंडित जी को चार पांच बजे लायेगे तो सब ठीक हो जाएगा l

(सभी ने कृतिका की बात पर गौर कर शास्त्री जी से बात कर समय पक्का कर लिया l)

दृश्य- 5

परिदश्य

(शास्त्री जी के घर में लड़के वाले इकट्ठे हो गए थे l प्रवेश ने जा कर शास्त्री जी केपाँव छुए साथ ही झुक कर दिनेश के माता पिता के भी पैर छुए l सब गद – गद हो गए l हांड़ी के एक दाने को देख कर पता लग जाता है l आगे प्रवेश की कार थी उसके पीछे थी सतीश जी की कार l )

दूर से कार देखकर तृषा और नकुल उचल कूद मचाने लगे उन्हें , डांटते हुए कृतिका बोली शादी नहीं हो रही सिर्फ रिश्ता आया है , बुआ के आने के समय चुप रहो l

तृषा- परदेसी पल्देसी जाना गाकर मनो कह रही हो संजू दीदी जल्दी l

उधर रंजना संजना से बाते कर रही थी” हाय दीदी बहुत सुंदर है, तू कब आ रही है ?

बस एक घंटा और यार इस दिल्ली में ट्रेफ़िक जाम है, घर का रास्ता कोई तीन किलोमीटर की जगह दस किलोमीटर लग रहा है l

इधर लड़के वालो का आगमन प्रवेश भाई के साथ हुआ l दोनों पक्ष शालीनता से गले मिले कल्पना तृषा और नकुल के साथ उन के टेरेस पर चली गई l कुछ ही देर में लगा मनो जन्मो की पहचान हो गई हो l

इस बीच कृतिका कचोडिया और हक्के- फुल्के सनेक्स ले आई l प्रवेश ने परिचय कराया मेरी पत्नी कृतिका और बहन है l चाय रखते लड़के वालो को लड़की भा गई, लम्बे बाल, कमल की पंखुड़ी जेसे होठ और हिरनी जैसी आँखे, दिनेश जेसे खो गए उसे देख कर,

दिनेश का झुकाव देख कर सतीश जी ने कहा—‘रिश्ता पक्का हुआ’’ और मेज़ पर रखा रसगुल्ला शास्त्री जी ने पास बैठे डॉ साहब क मुँह में डाल

दिया l

तभी कल्पना ऊपर से बच्चो के साथ आती हुई बोली”

कल्पना—पापा, पर ये वो लड़की नहीं है जिन्हें हम देखने आए है?

तभी एक गौर वर्ण गुलाब के चहरे वाली लड़की अपने चुस्त कपडो में आ कर एक बैग के साथ आती है और कहती है सारी पापा देर हो गई l

सब लड़के वाले ओर लड़की वाले अवाक् रह जाते है l

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आराधना

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अच्छी कहानी है |

12 सितम्बर 2018

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