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सामाजिक, जीवन

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डर लगता है उन बातों से,जो सच्चाई पचा नहीं पाते हैं।जिसके खिलाफ बोल दिया,जो लोगों को धमकाते है।।साजिश क्यों रचते हो सत्य पर,सत्य सुनने की हिम्मत रखना।प्रमाण अगर तुम रखते हो,अपने पथ से क्या रूकना।।विचार

अपने अंदर झांक लो जरा,आप किस राह के राही हो।इंसानियत के पथिक हो,दैत्य चरित्र के राही हो।कहीं गुलाम तो नहीं।दकियानूसी विचारों के अंधविश्वास, पाखंडवाद केकहीं मानव हीन व्यवहारों के।समानता के विरोधी

त्याग और सेवा की मूर्ति जो मानवता के लिए शहीद हो गए।जो थके नहीं तनिक काम करते कोरोना के वक्त में बलिदान हो गए।।स्पर्श से डर लगता था,अछूत की बीमारी थी।घर से निकलने से डर लगता,सुनसान सड़क सारी

खुशियां रख करते विदाई,हम पिछले बरस को।नई उम्मीद और नये संकल्प के साथ,बैचेन है हम नव वर्ष दरश को।कोरोना की महामारी से ,इस साल हमने निजात पाई थी।रूस ने यूक्रेन में जाकर ,खूब हाहाकार मचाई थी।।अंतिम दिनों

हे मनुज तेरी सोच का आज कभी नहीं आयेगा।ये आज कल और कल आज में बदल जायेगा।।वक्त ने हमेशा अपनी फितरत बदली है।चले जो वक्त के साथ उसकी किस्मत बदली है।।सोचता है तू अगर , कल तेरी मंजिल की शुरुआत है।लेकिन कल ब

दुनिया में दोहरे चरित्र है,हर मानव को देख लिया।कैसे जीना इस दुनिया में,जीना मैंने सीख लिया।।जहर भरा कुंभ के अंदर,लेप बाहर दूध का हैं।कथनी करनी में अति अंतर,यह सत्य इस जग का है।तम में उजाला करके फिर,फं

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