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साप्ताहिक प्रतियोगिता

hindi articles, stories and books related to saaptaahik prtiyogitaa


अजीब गुनाह है ना लड़की होना भी। सारी उम्र पाबंदियों में ही निकल जाती है कि ये मत करो, वो मत करो। यहाँ मत जाओ, वहाँ मत जाओ। ऐसे खाओ, ऐसे कपड़े पहनो। ऐसे बात करो, ऐसे बैठो बगैरह बगैरह। और इतने सब के बाद भ

रमाकांत गोस्वामी और उनकी पत्नी उर्मिला  बस से उतरकर  धीरे धीरे कदमों से सामने के सोसाइटी में जाते है , उनके हाथों में एक एड्रेस था ,जिसमे उनके बड़े बेटे विनय गोस्वामी का पता था , ,*"!! उनकी

रीवा के कलेक्टर ऑफिस में आज बड़ी सजावट हो रही थी,  आज नई कलेक्टर साहिबा का आगमन होना था , वह दिल्ली से यहां ट्रांसफर हुई थी , सुनने में आया था की वह बहुत साफ सफाई पसंद ,तेज तर्रार और स्ट्रिक्ट थी

कमल नाथ और उनकी पत्नी हेमा ,हाल के सोफे पर बैठे हैं , दोनो ही करीब सत्तर के आस पास हैं ,कमल नाथ और हेमा दोनो ही प्रिंसिपल बन कर रिटायर हुए थे,**!! कमल नाथ सरकारी कॉलेज के प्रिंसिपल थे ,और हेमा सरकारी

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यार! ये कितनी स्मार्ट है ना - अनीश ने आँखें बड़ी करते हुए कहा । ऐ डूड! उसे मत देख । कोई फायदा नहीं है। शी इज शायरा-मोस्ट वांटेड गर्ल ऑफ़ द कॉलेज। किसी को घास नहीं डालती-विक्की ने उसे आगाह किया।&nb

कोई डांट दे जरा सा,तो आँखों में आँसू आ जाते हैं।आज भी कई लोग हमें,आँखें दिखा कर डरा जाते हैं।आज भी जिद करने का मन करता है,मन एक जिद्दी परिंदा आज भी है।मेरे दिल के किसी कोने में,बचपन जिंदा आज भी है।आज

शीर्षक --गलियांमोहब्बत की गलियों से,जब भी किसी को गुजरते देखता हूँ,तो अपनी मोहब्बत की पुरानी,वही गलियां याद आ जाती है।दिल मचल सा जाता है।मोहब्बत की गलियों में गुजरने के लिए,और तेरी याद चुपके से,मुझे

ललित शर्मा  एक सीधा साधा साधारण कद काठी का स्मार्ट लड़का था , उसकी उम्र अभी महज 26 साल  थी ,वह एक इंश्योरेंस कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर था ,उसके अंडर में  करीब पचास लड़के लड़कियां काम

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खुली आँखों से सोती हूँ,जब मैं अपने खयालों में होती हूँ ।मेरे दर्द को भला पहचानोगे कैसे;मैं अक्सर बिना आँसुओं के रोती हूँ ।।               -संध्या यादव "साही"

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 शीर्षक ---शामशाम सुहानी हो जाए,दुनिया दीवानी हो जाए, फिर से मौसम की मेहरबानी, हो जाए,शाम सुहानी हो जाए।फिर से दोस्तों,की वही पुरानी दोस्ती हो,और चाय सस्ती हो,और बातों की मस्ती हो,

  शीर्षक --तेरे दिल कोछोड़ भी नही सकता हूँ,मरोड़ भी नही सकता हूँ,दिल में आने के बाद तोड़ भी नही सकता हूँ।रास्ते ही भूल जाते हैं,आकर तेरे दिल में अब, क्या करुँ न तुझे छोड़,कर जी सकता हूँ न।त

सच्चा दान एक शहर में  भगवान कृष्ण का मंदिर बनाने का काम जोर शोर से चल रहा था! लाखों की तादाद में लोग मंदिर  समिति को दान दे रहे थे,  ताकि  निर्माण कार्य में कोई रुकावट ना आ सके! उस

जिंदगी में किताब ही तो होता है।📚सबसे खूबसूरत तोहफा, 📚जिसे हम हमेशा सहेज कर रखते हैं।📚 बार बार पढ़ने के लिए।📚📚📚पुस्तक दिवस की हार्दिक शुभकामनायें 📚📚

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