बचपन में जब स्वर और व्यंजन को पाटी में स्लेट से घोटा लगा-लगाकर लिखने का अभ्यास किया तो पहले दो, फिर तीन और फिर चार-चार शब्दों को जोड़-जोड़ कर पढ़ना सीखा तो सबसे पहले स्कूल में पढ़ाये जाने वाले पाठ्यक्रमों
मेरी पहली पढी पुस्तक वैसे तो मैंने बहुत सी पुस्तके पढी, लेकिन सभी पुस्तके कभी भी पुरी तरह से नही पढी. जब मैं स्कूल में था तो बहुत पुस्तकें पढता था, लेकिन वो मैंने दिल से कभी नहीं पढी, मैंने उन्हें स
जीवन में पुस्तकों का अत्यन्त महत्व है। यदि जीवन की प्रथम पुस्तक की बात करें तो रंगीन चित्रों की उस पुस्तक को पहली पुस्तक कह सकते हैं जिसे सर्वप्रथम हमने विद्यालय में कदम रखने से पहले देखा था। हिन्दी औ
🤔🤔 यूं तो मुझे याद नहीं की मेरी पहली पढ़ी पुस्तक कौन है , लेकिन बचपन में राजा - रानियों की , जादुई , चंदामामा और भूत - प्रेत की कहानियां सुनने में मजा आता था और ज्यादा कहानियां सुनने की उत्सुकता होत
प्रिय सखी। कैसी हो । मै अच्छी हूं । बारिश बहुत हो रही है तीन दिनों से ।बस सारा दिन ऐसे ही बीत जाता है कुछ समय उपन्यास लिखने मे तो कुछ और व्यस्तताएं है ।बस दिन पता ही नही चलता ।हमारी मां कहती है य
मेरी पहली पढ़ी पुस्तक अब्दुल कलाम जी की विंग्स ऑफ फायर मतलब अग्निपंख,एक किताब में छपा हुवा एक महान इंसान का आम से ख़ास होने का सफ़र।।
मेरी पहली पढ़ी पुस्तक,हिन्दी भाषा से शुरुआत हुई।समझ कुछ नहीं आता था,अक्षर ज्ञान कराया जाता था।।कापी पेंसिल स्लेट पर,लाइनें खींचा करते थे।अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ,अक्षरों का संबोधन कराते थे।।बारम्बार लिख लिख के
किताबें बहुत ही पढ़ी होंगी तुमने~पुस्तक एक संग्रह है ज्ञान का, एक संग्रह अनुभव का ,यह एक समेकन होती है अनुभूतियों की । एक विचार ,एक सोच , अर्जित एक सम्पूर्ण जीवन कैद होता है एक उत्तम पुस्तक में । पुस्त
मेरे प्यारे अलबेले मित्रों !बारम्बार नमन आपको 🙏🙏बचपन में संभाला मैंने, जब अपना होश !पढ़ते देख चाचा को,जगा पढ़ने का जोश !! देखने लगा उनकी, किताबें उलट-पुलटकर !तब दादाजी मुग्ध हो,आशीष दिए
बात कुछ समय पहले की है जब देश भीषण समस्या की चपेट में था और हर तरफ अफरा तफरी मची हुई थी न खाने का सामान उपलब्ध हो रहा था न सांस लेने वाली ऑक्सीजन हर तरफ बड़ी विचित्र स्थिति बनी हुई थी ऐसे में बच्चों क
डियर काव्यांक्षी कैसी हो प्यारी🥰देखो फिर मिलने चली आई तुमसे , तुम ही तो सुनती हो मुझे बड़े आराम से तो तुम्हारे पास ही आऊंगी
यूँ तो हम जब पढ़ना शुरू करते है तो जो भी कोई पुस्तक माता-पिता द्वारा हमे पढ़ाई जाती है | वही हमारी पहली पुस्तक होती है |किन्तु प्रार्थी का यह मानना है की अगर कोई पुस्तक पढ़कर के इंसान का जीवन बदल दे | और
यूँ तो हम जब पढ़ना शुरू करते है तो जो भी कोई पुस्तक माता-पिता द्वारा हमे पढ़ाई जाती है | वही हमारी पहली पुस्तक होती है |किन्तु प्रार्थी का यह मानना है की अगर कोई पुस्तक पढ़कर के इंसान का जीवन बदल दे | और
यूँ तो हम जब पढ़ना शुरू करते है तो जो भी कोई पुस्तक माता-पिता द्वारा हमे पढ़ाई जाती है | वही हमारी पहली पुस्तक होती है |किन्तु प्रार्थी का यह मानना है की अगर कोई पुस्तक पढ़कर के इंसान का जीवन बदल दे | और
यूँ तो हम जब पढ़ना शुरू करते है तो जो भी कोई पुस्तक माता-पिता द्वारा हमे पढ़ाई जाती है | वही हमारी पहली पुस्तक होती है |किन्तु प्रार्थी का यह मानना है की अगर कोई पुस्तक पढ़कर के इंसान का जीवन बदल दे | और
यूँ तो हम जब पढ़ना शुरू करते है तो जो भी कोई पुस्तक माता-पिता द्वारा हमे पढ़ाई जाती है | वही हमारी पहली पुस्तक होती है |किन्तु प्रार्थी का यह मानना है की अगर कोई पुस्तक पढ़कर के इंसान का जीवन बदल दे | और
यूँ तो हम जब पढ़ना शुरू करते है तो जो भी कोई पुस्तक माता-पिता द्वारा हमे पढ़ाई जाती है | वही हमारी पहली पुस्तक होती है |किन्तु प्रार्थी का यह मानना है की अगर कोई पुस्तक पढ़कर के इंसान का जीवन बदल दे | और
यूँ तो हम जब पढ़ना शुरू करते है तो जो भी कोई पुस्तक माता-पिता द्वारा हमे पढ़ाई जाती है | वही हमारी पहली पुस्तक होती है |किन्तु प्रार्थी का यह मानना है की अगर कोई पुस्तक पढ़कर के इंसान का जीवन बदल दे | और
यूँ तो हम जब पढ़ना शुरू करते है तो जो भी कोई पुस्तक माता-पिता द्वारा हमे पढ़ाई जाती है | वही हमारी पहली पुस्तक होती है |किन्तु प्रार्थी का यह मानना है की अगर कोई पुस्तक पढ़कर के इंसान का जीवन बदल दे | और
यूँ तो हम जब पढ़ना शुरू करते है तो जो भी कोई पुस्तक माता-पिता द्वारा हमे पढ़ाई जाती है | वही हमारी पहली पुस्तक होती है |किन्तु प्रार्थी का यह मानना है की अगर कोई पुस्तक पढ़कर के इंसान का जीवन बदल दे | और