shabd-logo

साप्ताहिक प्रतियोगिता

hindi articles, stories and books related to saaptaahik prtiyogitaa


          अगर गलती से पूछ लेते,     मुझसे मेरे मिजाज़ कहीं,     कुछ गलत ना होता फिर,     हो जाता सब बस सही।    &nbs

आज़ादी की शामएक ख्वाब बनकर रह गई थी,आज़ादी की आनेवाली शाम,जब चारों ओर गुलाम गिरी,तब कोई बात जो थी आम।हमारे देश में हम ही गुलाम,लगते थे अनगिनत इल्जाम,जब सांस भी पूछ कर लेते,ज़िंदगी का नहीं था वहा नाम।ज

मेरे देश की महान  धरती अपनो को पास बुलाती,गैरों को भी गले से लगाती,उम्मीदों की जननी कहलाती। मेरे देश की विशाल धरती,जम्मू से कन्याकुमारी कहलाती,पश्चिम में गुजरात से होकर के,पूरब में

आज़ादी के नायक आज भी दिल में बसे है,हिन्दुस्तानियों के कई नायक,हजारों की कोशिशों की बदौलत,आज़ादी हो पाईं है फलदायक।भगत, सुखदेव, चंद्रशेखर, गांधी,कितने गिनवाऊ आपको मैं नाम,विवेकानंद, फूले, शाहू, आ

बड़ा प्यारा है मेरा भाई, जैसी कोई परछाई,दूर तक जैसे साथ निभाती सागर की गहराई,खुद हस देता है जब गम की हो कभी बरसात,कहा मुझ तक आने देता दर्द भरी मनहूस रात।सीधा साधा दिल का बेहत साफ़ है मेरा भाई,दुनियादा

कितनी प्यारी लगती थी बचपन में मुझे,रोशनी दान से आनेवाली सुबह की किरण,लगता जैसे आई धूप में नहाने को मुझे ही,लेकर सूरज से हल्की सी उधार की रोशनी।वो पक्षियों की किलबिलट की मधुर ध्वनी,वो सुबह शाम की गांव

कैसे कहूं कितने तूफानों को साथलिपटकर लाई आज़ादी की रात,जब चारों तरफ़ अंधेरे के साथ,रोशनी करने आई वी एक रात।दुनिया सारी थी सोई हुई रात में,हम इंतजार में थे 12 बजने के,जब हर्षो उल्हास से गाने जा रहे,हम

कैसे कहूं कितनी कशिश,अपने पिछे वो छोड़ गए,दोस्त चले गए जिंदगी से,बस यादें सारी पीछे रह गई।बचपन से अब तक के सफ़र में,एक से बढ़कर एक जुड़ते गए,कुछ हमसे छूट गए मजबूरी में,कुछ हाथ छोड़कर चले गए।हर कोई मेर

मेरे जिदंगी के सफ़र में,जुड़ने आए कुछ दोस्त,अनमोल एक से बढ़कर,एक है वो प्यारे नगीने।कुछ का कुछ है भाता,कुछ का कुछ याद आता,कुछ तो बहुत इरिटेट करते,पर हर पल मेरे वो कहलाते।कुछ का कमाल ऐसा है की,मुरझे मन

आजीवन दोस्ती कैसी होती है बस किसी संग,हमारी अनमोल दोस्ती आजीवन,वरना लाख चाहो किसी से जुड़ना,कहा होता है हमारा सफ़र सुहाना।गिले शिकवे होते है अनगिनत पर,दोस्ती बांधे धागे की मजबूत डोर,जहा कितना भी

मैं तो हूं एक हवा का झोका,जहा प्यार उस ओर जो बहता,जहा कोई रोके अपनेपन से,बस उसी जगह तय करू बसेरा।दोस्त मेरे सभी खूबसुरत नजारे,जो रहते मुझे नित दिन पुकारे,कभी तारो में छिपे है चिढ़ाते,कभी आसमा से गिरने

नींद आते आते मुझेरात अधूरी गुजर गई,दिल में अरमान लिए,बात अधूरी ही रह गई।किस्से कहानी के मशहूर,बनके रह गए हम किरदार,जब कोई हमसफर बनकर,करने आया दिल का व्यापार।किस तराजू में हम उसे तोलते,नायाब था वो मिट्

featured image

शीर्षक --बिन तेरे न तूने सजा दिया,बस तूने प्यार किया,ऐसा क्या गुनाह था,जो तेरे बिन जिया।बोलो न।बिन तेरे अकेले जीते जीते,जिंदगी थक सा गया हूँ।खुद से कितनी बातें करूँ,बिन तेरे।किस से हाले दिल,बताऊँ

featured image

    शीर्षक --एक रात एक रात ऐसी भी आती है,जहाँ लड़की अपनी ही घर,से सबसे पराई हो जाती है।दुल्हन बनकर हाथों में,मेहंदी लगा कर,सपनों के राजकुमार,के संग संग फुर से,उड़ जाती है मोटर कार में।एक

featured image

शीर्षक--लम्हेंवो लम्हें जिंदगी के तितलियोंसे कम नही लगते हैं।जितना याद करोगे उतना ही,याद आता है। तितलियों के तरह,जितना पकड़ोगे उतना ही उडाता,जाता है खुद के संग।वो लम्हें भी कभी यादें बनकर,कभी ख्व

                     आज मैने अपने क्लासेस के लिए अपने घर पर लगाने के लिए बाहर से बोर्ड बनवाकर लाया। बाहर जाकर पढ़ने से बेहतर है कि खुद को कोचीन क

featured image

इन बादलों की, फितरत अजीब है ।       किसी को, खुश करने की अदा, बेहतरीन है ।किसी को, स्नेह जल से, महका जाते हैं ।       पर किसी का, सब कुछ, बहाकर चले जाते हैं ।को

                    " हर बार ढूंढती हूं जवाब छिपा अपने अंदर,               नाकामयाब लौटती हूं सवाल मैं कई

featured image

बेटियों की मुस्कुराहट ही, हमारे घरों की शान है ।     बेटियां ही हमारे घरों की, पहचान हैं ।जिन घरों में, बेटियों की, चहलकदमी नहीं होती ।      सचमुच वहां पर, लक्ष्मी सुशोभि

featured image

शीर्षक--सपने सपने के रोशनदान से,हर बार मेरे सपने मेरे अपने,को ही देखा है।इसके सिवा तो नजरों को,कोई और नही भाता है।मेरे सपने और मेरे अपने ही,बस दो नजर आते हैं।ऑंखें बंद होती है तो मेरे सपने,और ऑंख

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए