प्रत्येक सद्गुण किन्हीं दो अवगुणों के मध्य पाया जाता है। अच्छाई सीखने का मतलब बुराई को भूल जाना होता है।। धन-सम्पदा, घर और सद्गुण मनुष्य की शोभा बढ़ाता है। सद्गुण प्राप्ति का कोई बना-बनाया रा
सहनशीलता, समर्पण और मौन आपकी उपयोगिता और मूल्य दोनों को बढ़ा देती है। दूध, दही, छाछ, मक्खन और घी एक ही वस्तु के परिवर्तित रूप होने के बावजूद भी सबका मूल्य अलग - अलग ही होता है क्योंकि श्रे