'दो बैलों की कथा' प्रेमचंद द्वारा लिखित रचना है। प्रेमचंद अपनी रचनाओं के माध्यम से संदेश देने में माहिर हैं। समाज को अपनी रचनाओं के माध्यम से कैसे जगाया जाए, यह उन्हें बहुत अच्छी तरह आता है। यह कहानी सांकेतिक भाषा में यह संदेश देती है कि मनुष्य हो या
रूद्र और शरण्या की एक ऐसी कहानी जो आपको प्यार पर विश्वास करने पर मजबूर कर दे
ये किताब हम सब के देनिक जिवन, समाज,साथ और प्रेम से जुड़ी कविताओ का संग्रह हे
यह कहानी एक ऐसी लड़की के बारे में है जिसे अपने जीवन के बारे में कुछ भी पता नहीं होता है पर उसे ऐसा लगता है कि उसके साथ कुछ ना कुछ जरूर होगा जो सबसे अलग होगा पर क्या होगा यह उसे पता नहीं होता है उसके जीवन के साथ एक रहस्य जुड़ा होता है जो उसे आगे चलकर
जिंदगी सुहाना है मगर मौत का फसाना है जब तक है जिंदगी हम दुनिया के बंदगी जीते हैं जब तक हम कुछ करके देखे हम यह जिंदगी हमें मां-बाप तो देते हैं उन कर्तव्यों को पूरा करने का मार्ग हमें गुरु देते हैं ना गुरु होते ना यह ज्ञान होता ना शीष देते न कर्तव्य पू
यह मेरी मौलिक कविताओं का संकलन है जिसयें जीवन के विविध भावों और और रंगों का समावेश विभिन्न काव्य विधाओं में करने.का एक लघु प्रयास है।
रिवेंज: एन अनप्रीडिक्टेबल लाइफ - इंट्रो सत्या सिन्हा - उम्र करीब साढ़े 21 साल। इंडियन आर्मी की बिग फैन। आर्मी में जाना इसका ड्रीम है। काफी समझदार और थोड़ी सी चुलबुली। इसको हर टाइम फालतू बात बकना ज्यादा अच्छा लगता है। ये प्रयागराज
शीत काल में ठंड ना लागे, सम्मर में साँप से डर ना लागे, खाने को दाने ना, पुलिस थाने ना, भर्ती होना आसान नहीं, जवानों का दर्द कोई जाने ना । दौर - दौर के छाले पयरों में, हित-नात की बातें दिलों में, होठों से होठ दबोच आँशु नयनों में, शौक है किसका डूब जान
ये किताब सच और झूठ आप सब जरूर पढ़िएगा क्यों की आज कल लोग झूठ बोल कर बहुत खुश रहते हैं।
कि तू बस छोड़ दे साथ मेरे , मुझे तुझसे कोई गिला नहीं । और दोबारा सताने लगी है तू मुझे, ऐ जिन्दगी तुझे कोई और मिला नहीं ।
एक वैभवशाली राजा जिसके एक ही पुत्र था। आने राज्य में अपने न्याय के लिए मशहूर राजा प्रजा के लिए बहुत ही अच्छा था। राजा का पुत्र सुभद्र देव बचपन से परकर्मी और मेधावी था। लेकिन एक राजकुमारी कें प्रेम में फंसकर वो एक प्रतियोगिता हार जाता है और इस हार से
लड़की होना मेरे लक्ष्य पर पड़ा था भारी जिस स्याही से मेरी किस्मत लिखी वह थी काली । आंखें बंद कर जिन अपनों पर विश्वास किया उन्हीं ने तो मेरी सभी ख्वाहिशों का गला घोटा । जो बोलते थे कि लड़का लड़क
बहुत समय पूर्व जब गुरुकुल शिक्षा की प्रणाली होती थी | तब हर बालक को अपने जीवन के पच्चीस वर्ष गुरुकुल में बिताना पड़ता था | उस समय एक प्रचंड पंडित राधे गुप्त हुआ करते थे जिनका गुरुकुल बहुत प्रसिद्ध था | जहाँ दूर-दूर के राज्य के शिष्य शिक्षा प्राप्त करन