यह मेरी मौलिक कविताओं का संकलन है जिसयें जीवन के विविध भावों और और रंगों का समावेश विभिन्न काव्य विधाओं में करने.का एक लघु प्रयास है।
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<p>बचपन के ठाँव</p> <p><br></p> <p>पचपन के पाँव चले बचपन के ठाँव हैं।</p> <p>ढूँढ़ने वही बरगद उसकी घन
<p>रंग बिरंगा सपना देखे।</p> <p>सपने में भी सपना देखे।</p> <p>वो इक गुड़िया नन्ही प्यारी</p> <p>सारे
<p>कान्हा</p> <p><br></p> <p>कान्हा रे.......कान्हा , कान्हा रे.........रे कान्हा।</p> <
<p>कोई हारा न हुआ</p> <p><br></p> <p>रौशनी का हमको एक इशारा न हुआ।</p> <p>सच रहा स
<p>प्राण वायु </p> <p><br></p> <p>हवा का एक रूप प्राणवायु</p> <p>बिना जिसके शून्य आयु</p> <p>ढू
<p>चंबल</p> <p><br></p> <p>बीहड़ है जंगल है, नदिया का प्रसरित अंचल है।</p> <p>अदभुत सी धरती काँटों का
<p>भोर का सूरच </p> <p><br></p> <p>इक नई उम्मीद लाया है।</p> <p>भोर सूरज फिर से आया है।।</p> <p
<p>आगाज़ होगा</p> <p><br></p> <p>चुप हैं सभी, मरे से लगते हैं।</p> <p>चेहरे सभी, डरे से लगते है
<p>आवरण</p> <p>जब ओढ़ रखा हो, स्वार्थ का आवरण,</p> <p>सँवरेगा फिर कैसे धरा का पर्यावरण।</p> <p>पेड़ों
<p>असहिष्णुता</p> <p><br></p> <p>असहिष्णुता के बीज जो बो दिए हैं तुमने।</p> <p>श़ज़र बनने से उननको मै
<p>बन जाना इक बच्चा</p> <p>चारों ओर है दर्दो-ओ-मुश्किल।</p> <p>फिर भी अच्छा अच्छा है।</p> <p>खुशियों
<p>उधार</p> <p><br></p> <p>लिखते है जो मिले नही वैसे।</p> <p>लेकर वापिस किये नही पैसे।</p> <p>बड़े अज
<p>तबतक मन पक्का रखें</p> <p><br></p> <p>लौटा फिर तूफान है।</p> <p>जाने किस पैमान है।</p> <p>मुश्किल
<p>आदमी</p> <p><br></p> <p>एक आदमी में दो दो आदमी</p> <p>कहो,</p> <p>अंदर कौन आदमी</p> <p>और</p> <p>
<p>नन्ही</p> <p>नन्ही सी आँखों में दुनियाभर के सपने।</p> <p>सजीले सपने सलोने सपने......।</p> <p>सुनह