मानव मन में जमा मैल निकल बह रहा है।तमसा का ताण्डव कोरोनाबन डोल रहा है।।माँस-मछली-प्याज-लहसनअब तो बँधु छोडों।कुकृत्य किए बहुत,भगवान् से नाता रे! जोड़ो।।दवा पुरानी पर जयपुर मेंकारगर सिद्ध हुई है।कोरोना ऐसों की जमातसीमा पर खड़ी है।।दिखते नहीं पर सारी पृथ्वीशत्रुओं से पटी हुई है।सात्विक बन योग वरो,समय बाक
🎊 🎊🎊🎊🎊 🎊कृत्रिम मायानगरी कीचकाचौंध की बातों मेंना अब और उलझाओ।सात्विक बन, सत् - पथ परमिल संग चलें, बँधु आओ।।सार्थकता जीवन की,'जन सेवा' में बिताना।भर पेट खुद दो जून खाना,बाकी सब बाँट खिलाना।।संचयधन!!!!!!!!!!!!!!!संग देह नहीं ले जा पाएगा।''साधना - सेवा - त्याग'' सेहे मानव! महान बन पाएगा।।
👿👹👿👹👿👹👿👹👿👹👿कोरोना! कोरोना!! कोरोना!!!उचर करत्राहिमाम् - त्राहिमाम् सब चिल्लाते हो!फैल रही चहुंदिश तामसिकता कोतौल नहीं तुम रे मानव पाते हो!!कार्निभोरस नहीं तन से पर-भक्षण कर विष उगल रहे हो!समय अभी भी है बाकि,चेत सात्विकता नहीं गह पाते हो!!डॉ. कवि कुमार निर्मल
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩बेटा बचाओ- बेटी बहु बन कहीं जा घर बसाएगी!जो बहु बन आए वह क्या (?) ''बेटी'' बन पाएगी!!सुसंस्कार वरण कर पिया का घर-संसार बसाएगी!उच्च घर में जा कर वह निखरेगी वा सकुचाएगी!!विदा करते तो शुभ कहते पुरोहित् अभिवावक हैं!माँ-बाप का हुनर समेटे, वही बनती बड़भागिन है!!बेटा पास बैठ