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संस्कारों को मत भूलना

3 दिसम्बर 2022

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मेरे छोटे भाई की पत्नी ने आकर घर में अपनी पढ़ाई की धौंस दिखाते हुए मेरे परिवार की खुशियों को छीनने की कोशिश की लेकिन मेरे पिता इस स्थिति से भांप गए।
एक दिन शाम को हम सब एक साथ बैठे हुए थे मेरे पिता कुर्सी लगाकर आंगन में बैठकर रामायण की कहानी सुना रहे थे। सभी लोगों सुनने में मंत्रमुग्ध थे लेकिन हमारे छोटे भाई की बहु को पिता की यह कहानी बहुत परेशान कर रही थी क्योंकि उसने इस तरह की कहानियां किताबों में पढ़ी हुई थी।
हालांकि पढ़ें लिखे हम भी थे लेकिन हमें इस बात का जरा भी घमंड नहीं था कि हम पढ़ने के बाद नौकरी कर रहे हैं क्योंकि हमारे माता-पिता ने हमेशा विनम्रतापूर्वक रहने की बात हमारे हृदय में बिठा दी थी और उसका पालन करना हमारा फर्ज था।
मेरे पिता ने उस कहानी को सुनाते-सुनाते एकदम से बात को बदल दिया और उसे हमारे परिवार से कनेक्ट कर दिया और कहने लगे ।
चाहे आदमी कितना भी बड़ा हो,मनुष्य को कभी भी अपने संस्कारों को भूलना नहीं चाहिए क्योंकि मनुष्य के जीवन में संस्कारहीन होना एक पशु की जिंदगी के समान है।
मैं मेरी छोटी बहु से कहना चाहता हूं कि अगर हमारे घर में तुम्हें किसी तरह की असमानता या भेदभाव दिखाई दे रहा है तुय्म बेशक उसका विरोध कर सकती हो और सभी का मिलजुलकर रहना ही हमारे घर की खुशियां है। इसलिए तुम्हें कोई समस्या हो तो आज सभी के सामने मुझे बता सकती हो लेकिन तुमसे मेरी विनती है कि इस घर की खुशियां छीनकर इस घर को मत तोडना।
छोटी बहु लाचार सी होने लगी और कहने लगी। मम्मी मैंने क्या किया है जो पापा मुझे इस तरह लाचारी दिखा रहे हैं मैंने तो सिर्फ़ आगे पढ़ाई करके नौकरी करने के लिए ही कहा था और अगर पापा की मर्जी है तो मैं आज के बाद इस तरह की कोई बात नहीं करूंगी तुम जिस तरह मुझे चलाना चाहोगे उसी तरह इस घर में अपनी जिंदगी जी लूंगी।
मुझे इस घर के नियम कानूनों को जानने का अभाव था इसलिए हमसे ज और गलती हो गई उसके लिए हमें माफ़ी चाहिए और आगे से हम कोई भी गलती नहीं करेंगे।
रजनीश के पिता ने कहा-वैसे हम औरतों को नौकरी करने की अनुमति नहीं देते हैं क्योंकि हमारे समाज की इज्जत औरतें होती है और इसको घर से बाहर भेजना हमारे नियम के खिलाफ है।
अगर तुम चाहती हो कि हमारी इज्जत खराब होती है और तुम्हें शुकुन मिलता है तो हम इस दर्द को सहन करने के लिए तैयार हैं लेकिन हमारे परिवार को तोड़ने की कोशिश मत करना नहीं तो हम जीते जी मर जायेंगे।
नही पिताजी आप इस तरह निराश क्यों होते हो छोटी बहु ने कहा।
मैं भी एक इंसान हूं और परिवार की मान मर्यादा को समझती हूं ‌‌तुम इस बात की बिलकुल चिंता मत करो तुम्हारे परिवार की इज्जत अगर  मेरे हाथ में है तो मैं कभी भी इसे नहीं लुटने दूंगी।
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रचनाएँ
टूटते परिवारों की व्यथा
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