shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

टूटते परिवारों की व्यथा

ENGINEER SHASHI KUMAR

10 अध्याय
0 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
0 पाठक
निःशुल्क

इस पुस्तक पूर्ण रुपेण एक पारिवारिक रिश्तों को शर्मशार करने की कहानी है जिसमें एक संयुक्त परिवार के लोगों के बीच कैसे बिखराव होता है और वह परिवार अपनी बर्बादी का आलम अपनी आंखों के सामने देखता है। 

tutte parivaron ki vyatha

0.0(0)

पुस्तक के भाग

1

परिवार की कीमत

1 दिसम्बर 2022
0
1
0

गांव के अतीत की स्मृतियों में घूमती हुई कुछ तस्वीरें जिनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान की दुनिया रहती थी । हर छोटे-बड़े का सम्मान और इज्जत उसके व्यक्तित्व और स्टेटस के आधार पर होती थी । बड़े कभी अपने से छो

2

घर की खुशियां

2 दिसम्बर 2022
0
0
0

रजनीश:- घर के मुखिया और सोहन,सम्पत और संस्कार के पिता।चंचल:- रजनीश की पत्नी और सोहन,सम्पत और संस्कार की मां।सोहन :- घर के बड़े बेटे भूमि:- सोहन की पत्नी सम्पत :-घर के मंझले बेटेप्रिया:- सम्प

3

मेरे घर में खुशबू थी संस्कारों की

2 दिसम्बर 2022
0
0
0

रजनीश:- हम चारों भाई बहुत प्रेम और भाईचारे के साथ रहते थे रूपये के साथ हमारे घर में संस्कारों की कोई कमी नहीं थी।मेरे पिताजी हमसे बार-बार उस कहानी को सुनाते थे जो एक पिता ने मरते हुए अपने बच्चों को सब

4

संस्कारों को मत भूलना

3 दिसम्बर 2022
0
0
0

मेरे छोटे भाई की पत्नी ने आकर घर में अपनी पढ़ाई की धौंस दिखाते हुए मेरे परिवार की खुशियों को छीनने की कोशिश की लेकिन मेरे पिता इस स्थिति से भांप गए।एक दिन शाम को हम सब एक साथ बैठे हुए थे मेरे पिता कुर

5

संस्कार कभी नहीं मरते

4 दिसम्बर 2022
0
0
0

जब छोटी बहु ने यह स्वीकार कर लिया कि मुझे इस बात से कोई दिक्कत नहीं है आप जैसा करना चाहते हो वैसा कर सकते हो।लेकिन मैंने बीस साल तक जो मेहनत की है। वह मेहनत व्यर्थ जाएगी,उसके लिए मुझे संतोष करना पड़ेग

6

संस्कार की विस्तार होने लगा

6 दिसम्बर 2022
0
0
0

रजनीश:- मेरे पिता के निर्णय से मुझे आश्चर्य हो रहा था हां मैं भी इस बात का पक्षधर था क्योंकि आजादी के बाद संविधान से मिले स्त्रियों के अधिकारों को समाज के दकियानूसी सोच के लोग अभी भी अनुसरण नहीं करते

7

मेरी गद्दी का वारिस

12 दिसम्बर 2022
0
0
0

नई बहुएं अपने व्यवहार में आधुनिकता और पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव रखती थी इसलिए उन्होंने आते ही अपने विचारों को फैलाना शुरू किया और वे उस घर के संस्कारों से विचलित हो उठी थी। दो महीने हो गए लेकिन वे

8

मेरे निर्णय सबकी सहमति

28 दिसम्बर 2022
0
0
0

रजनीश :- मुझे घर का मुखिया बनने का मौका मिल गया। अभी मैंने अपने पिता के निर्णयों का स्वागत किया था और कभी भी उनकी बातों को नहीं ठुकराया लेकिन अब मुझे खुद सभी बातों का निर्णय करना होगा इसलिए मुझे अनुभव

9

मेरे ईश्वर छोड़कर चले गए

30 दिसम्बर 2022
1
0
0

रजनीश:- घर के मुखिया और सोहन,सम्पत और संस्कार के पिता।चंचल:- रजनीश की पत्नी और सोहन,सम्पत और संस्कार की मां।सोहन :- घर के बड़े बेटे भूमि:- सोहन की पत्नी सम्पत :-घर के मंझले बेटेप्रिया:- सम्प

10

घर में मातम छा गया

21 जनवरी 2023
0
0
0

मेरे पिताजी की अंतिम सांसें आज प्रकृति के पंचतत्व में विलीन हो गई और मेरे घर के आंगन से एक अमूल्य हीरा हमेशा के लिए चला गया।हम सभी के मन में असीमित दुख था। मैंने और मेरे छोटे भाई ने पिताजी की लाश का प

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए