रजनीश:- घर के मुखिया और सोहन,सम्पत और संस्कार के पिता।
चंचल:- रजनीश की पत्नी और सोहन,सम्पत और संस्कार की मां।
सोहन :- घर के बड़े बेटे
भूमि:- सोहन की पत्नी
सम्पत :-घर के मंझले बेटे
प्रिया:- सम्पत की पत्नी
संस्कार:-घर के छोटे बेटे
रानी:-संस्कार की पत्नी।
रजनीश:- हमारे घर में खुशियों का संसार बसता था क्योंकि मेरे सारे भाई और उनकी पत्नियां सभी बड़े मेल मिलाप से अपना जीवन यापन कर रहे थे।
मेरे घर में सभी लोग मेरे बच्चे से बहुत प्रेम करते थे और सभी लोग उसके बचपन की चंचलता को बहुत अच्छे से पसंद करते थे।
मैंने मेंरे बच्चे का नाम सोहन रखा था जिसे देखकर उसकी मां चंचल बहुत खुश होती थीं ।
सोहन बहुत ही नटखट लड़का था जो इस बचपन में भी चितचोर की तरह सबके मन को आकर्षित करता था।
उसके चेहरे की हंसी एक खिलते हुए फूलों की तरह लगती थी जो हर मनुष्य को उसकी तरफ आकर्षित करती थी।
पूरे दिन घर में सोहन की आवाज गूंजती रहती थी।
रविवार का दिन मेरे पिता मेरे बच्चे सोहन के साथ खेल रहे थे कि अचानक मेरे पिता के सीने में दर्द उठने लगा । हम सभी लोग अपने कामों में व्यस्त थे । एक नौकरी वाले मनुष्य के लिए छुट्टी का दिन आजादी का अनुभव देता है लेकिन हमारे घर में किसी भी व्यक्ति की कोई छुट्टी नहीं होती थी ।
क्योंकि घर में जितने लोग खाने वाले थे उतने ही काम की आवश्यकता होती है।
मेरे पिता दर्द के कारण जोर-जोर से चिल्लाने लगा मैं और मेरी पत्नी चंचल हम पशुओं को चारा पानी की व्यवस्था कर रहे थे और साथ में हमारे घर की छोटी बहु भी हमारी हेल्प कर रही।
जैसे ही पिता की आवाज सुनी ,मैं दौड़कर पिता के पास गया और मैंने अपने छोटे भाई को फोन करके बुलाया । मैंने पिता जी को अपने ट्रेक्टर में बिठाया और साथ में ,मेरी पत्नी और मां को लेकर अस्पताल की तरफ निकल गया।
मेरे पिता के दर्द के कारण बहुत ज्यादा बैचनी हो रही थी । वह दर्द के कारण बुरी तरह से चिल्ला रहे थे।
मै समझ गया कि सीने का दर्द हृदयाघात के समय पर होता है शायद लग रहा है कि आज पिताजी को हार्ट अटैक आ गया हो।
मैं बुरी तरह निराश हो गया और तीव्र गति से ट्रेक्टर चलाते हुए पिता को जैसे-तैसे अस्पताल तक पहुंचा दिया।
डॉक्टरों ने उसी हालत देखकर उसे तुरंत इमरजेंसी में भर्ती कर लिया।
कुछ समय बाद मेरे भाई और मेरे पडौसियों को पता लगा तो वे तुरंत वहां पहुंच गए थे।
कुछ समय बाद डॉक्टर ने मुझे बुलाया और कहा इन्हें हार्ट अटैक आया है और तुरंत हार्ट सर्जरी करने की जरूरत है बताइए तुम कहो तो हम तैयारियां शुरू करें।
क्योंकि इन्हें बहुत ही मेजर हृदयाघात हुआ है इसलिए हम बिना आपरेशन के कुछ नहीं कर सकते हैं।
रजनीश:- मैं एकदम से घबरा गया और मैंने बिना सोचे समझे डाक्टर को बोल दिया कि आप लोग चाहे कुछ भी करो लेकिन मेरे पापा की जान नहीं जानी चाहिए।
डॉक्टरों ने कहा कि हम लोग पूरी कोशिशें करेंगे लेकिन हम इस बात का शत प्रतिशत आश्वासन नहीं दे सकते हैं कि हम जान बचा ही लेंगे।
क्योंकि इनकी स्थिति बहुत नाज़ुक है और इनके लाने में देरी हो गई है इसलिए हम लोग केवल प्रयास कर सकते हैं,बाकि ऊपरवाले की मर्जी है।
मेरे हां कहते हैं कि डॉक्टर ने मेरे पिताजी को आपरेशन थियेटर में ले जाने की तैयारी करना शुरू कर दिया।
मैंने डॉक्टर से अपने पिताजी से मिलने की अनुमति मांगी तो डॉक्टर ने मुझे इस बात की अनुमति दे दी।
मैं पिताजी के पास गया तो पिताजी की आंखों से आंसू निकल रहे थे।
उनको देखकर मैं दुखी हो गया क्योंकि मुझे मेरे भगवान छोड़कर जा रहे हैं।
वे मेरे आदर्श,मेरे गुरु और मेरी जिंदगी के ईश्वर है ,मैं जिनकी उंगली पकड़कर खड़ा हुआ हूं आज मुझे छोड़कर जा रहे हैं । हमारे परिवार की सम्पूर्ण खुशियों का राज मेरे पिता थे । मैं उनको इस हालत में देखकर बुरी तरह व्यथित हूं।
इनके बिना मेरी जिंदगी खाली हो जायेगी।
मेरे पिताजी के आंसू पौछते हुए मैंने उनके मुंह को चूमा और बड़े प्यार से उसके सिर को सहलाया।
आज मेरे पिता कुछ बोल नहीं पा रहे थे उन्हें बहुत ज्यादा पीडा हो रही थी इसलिए वे दर्द की वजह से कराह रहे थे।
मैं उन्हें संतुष्ट करने की बहुत कोशिश कर रहा था लेकिन उनके तन की पीड़ा पीड़ित व्यक्ति ही समझ सकता है।
मेरे पिताजी ने मेरा हाथ पकड रखा था और मुझे इशारे ही इशारे में कुछ कहने की कोशिश कर रहे थे।
मैने वहां पर उपस्थित नर्स स्टाफ से कहा कि वे जल्दी करें मेरे पिताजी को बचा ले ।
उन लोगो के द्वारा मुझे सांत्वना दी जा रही थी लेकिन मुझे लग नहीं रहा था कि मेरे पिताजी हमारे बीच रह पायेंगे।
कुछ समय बाद डाक्टरों के द्वारा निर्दिष्ट किया गया कि उसे ऑपरेशन थियेटर में शिफ्ट किया जाये।
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था क्योंकि पिताजी की हालत गंभीर हो रही थी ।
वे उसे ऑपरेशन थियेटर लेकर जा रहे थे कि मुझे पिताजी के चिल्लाने की आवाज़ सुनाई दी ।
मैं वहां से तुरंत दौड़कर गया और देखा कि मेरे पिता की आंखें फटी की फटी रह गई।
वे सदा के लिए शांत हो गए।
हमारे ईश्वर हमसे सदा के लिए बिछुड गये। डॉक्टर के द्वारा उसे कमरे में ले जाया गया और जांच करने पर उसे मृत घोषित कर दिया गया।
हमारे बीच से हमारी जिंदगी का सूर्य हमेशा के लिए अस्त हो गया।
हम सभी लोग बहुत दुखी हो गये और बुरी तरह से रोने लगे।
मेरी मां और मेरी पत्नी बहुत जोरों से रोने लगी और उन्होंने सारे अस्पताल को उठाकर रख दिया।
मेरी और मेरे भाई की आंखों में आसूं थे। मेरे अंदर की पीड़ा बहुत ज्यादा थी उसे कोई उस पीड़ा को झेलने वाला इंसान ही समझ सकता है।
लेकिन मुझे धैर्य और हिम्मत धारण करना अवश्य इसलिए हो गया था क्योंकि मैं भी टूटकर बिखरता हुआ दिखाई दिया तो मेरे घर के सभी सदस्यों को कौन संभालेगा।।मेरे पिता आखिर समय में मेरे घर की जिम्मेदारी मुझे सौंपकर गये है उसे मुझे संभालना जरुरी है।
इसलिए मैंने अपने ह्रदय को कठोर करके मन की पीड़ा को मन में ही रख और सभी को धीरज धरने के लिए कहने लगा।
लेकिन मेरे पिता मेरे घर को जिस स्तर पर छोड़कर गए थे वह हमारे घर में प्रेम, विश्वास और भाईचारे का वातावरण पैदा करके गया था।