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संस्कार कभी नहीं मरते

4 दिसम्बर 2022

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जब छोटी बहु ने यह स्वीकार कर लिया कि मुझे इस बात से कोई दिक्कत नहीं है आप जैसा करना चाहते हो वैसा कर सकते हो।
लेकिन मैंने बीस साल तक जो मेहनत की है। वह मेहनत व्यर्थ जाएगी,उसके लिए मुझे संतोष करना पड़ेगा।
देखो पिताजी मैं आपकी बहुत इज्जत करती हूं और हमेशा मेरे दिल में इज्जत रहेगी क्योंकि हमारे मां बाप ने हमें संस्कारों की दुनिया थी है।
लेकिन देश की आजादी के इतने दिनों के बाद जब दुनिया में तकनीक और विज्ञान का क्रांतिकारी परिवर्तन हो रहा है उस समय बड़ी मुश्किल से लड़कियों को पढ़ने का मौका मिलता है और उसके बाद भी यदि नौकरी करने के लिए उन्हें रोका जाए तो बुरा लगता है।
हां अगर आपको लगता है कि इससे हमारे घर की इज्जत कमजोर पड़ती है तो मैं भी किसान की बेटी हूं । मैं भी मेहनत करना जानती हूं। 
मेरे लिए मेरे घर,मेरे परिवार,मेरे मां बाप और मेरे पति की इज्जत बहुत प्यारी है। मैं किसी भी कीमत में इस पर आंच नहीं आने दूंगी। चाहे मुझे मेरे हर सपने का बलिदान क्यों ना देना पड़े।

रजनीश के पिता बोले :- मुझे पता था कि मेरी बहु मेरे खिलाफ नहीं जा सकती लेकिन आज तुम्हारे संस्कार और विचारों ने मेरा मन मोह लिया है। मुझे तुम पर नाज है तुम मेरे लिए बहु नहीं बेटी हो और आज से मैं तुम्हें आजादी देता हूं कि जितनी पढ़ाई करनी है करो और एक दिन एक अच्छे पद पर नौकरी करो।
मैं मेरे पुरूखो की परम्पराओं में अंधा हो गया था लेकिन तुम्हारे विचारों ने मुझे बहुत ज्यादा प्रभावित किया है आज मैं प्रसन्न हूं कि मुझे तुम्हारे जैसी बेटी मिली है।

तुम बिल्कुल चिंता मत करो मैं तुम्हें इस तरह टूटने नहीं दूंगा।

पिता के यह निर्णय बहुत ही कठोर और समाज के नियमों के दायरों से बाहर होकर था लेकिन सभी लोगों ने पिता के इस निर्णय का स्वागत किया और छोटी बहु को पढ़ने की अनुमति मिल गई।
यह हमारे परिवार के लिए सौभाग्य की बात थी कि हमारे परिवार के कठोर नियमों के बाद किसी स्त्री को पढाई करके नौकरी करने की अनुमति मिल गई।

इसके बाद छोटी बहु बहुत प्रसन्न हुई और उसने अपनी पढ़ाई लगातार चालू रखी । दो साल तक उसने खूब मेहनत की और उसकी मेहनत के सामने उसके सारे इरादे पूरे हो गये।


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रचनाएँ
टूटते परिवारों की व्यथा
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इस पुस्तक पूर्ण रुपेण एक पारिवारिक रिश्तों को शर्मशार करने की कहानी है जिसमें एक संयुक्त परिवार के लोगों के बीच कैसे बिखराव होता है और वह परिवार अपनी बर्बादी का आलम अपनी आंखों के सामने देखता है।
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