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घर में मातम छा गया

21 जनवरी 2023

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मेरे पिताजी की अंतिम सांसें आज प्रकृति के पंचतत्व में विलीन हो गई और मेरे घर के आंगन से एक अमूल्य हीरा हमेशा के लिए चला गया।
हम सभी के मन में असीमित दुख था। मैंने और मेरे छोटे भाई ने पिताजी की लाश का पोस्टमार्टम करवाया और उसे एम्बुलेंस के माध्यम से घर पर लेकर आ गए।
हमारे घर पर इस बात की पहले ही खबर लग चुकी थी कि मेरे भगवान जैसे पिता की मृत्यु हो गई है, दुख बडा था लेकिन संतुष्ट होना पडता है।
"इस संसार का हर मनुष्य प्रकृति और ईश्वर की  अद्भुत कृति है सांसारिक नियमों के मुताबिक जो मनुष्य की जिंदगी एक ऊर्जा है जौ एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होती है, अर्थात् जो
भी चीज इस प्रकृति में पैदा हुई है उसका नाश अवश्य है।
हमने जो कुछ भी पाया है वह यही से पाया है और यही पर छोड़कर जाना है। धन दौलत और शान शौहरत हर मनुष्य के लिए एक मोह माया है जिसमें फंसकर हर मनुष्य अपनी जिंदगी का हर वक्त निकाल देता है। 
यह संसार का नियम है। हम प्रकृति के नियमों से कभी भी जीत नहीं सकते हैं और न ही उन्हें  खरीदा जा सकता है।
ऊर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरण जरूरी है जो प्रकृति के संतुलन के लिए आवश्यक है।"
मेरे पिता पंचतत्व में विलीन हो गए,यह दुनिया में कोई नहीं बात नहीं है लेकिन मोह और लगाव दिल के अंदर दुख पैदा करता है। जिस वस्तु या प्राणी से हमें जितना अधिक मोह होता है वह हमें उतना ही अधिक दुख देती है।
मेरे पिता वृद्ध हो गये लेकिन उनके उन कारनामों की हमेशा याद रहेगी जो उन्होंने परिवार में शांति और समृद्धि बनाए रखने के लिए किए थे। 
अनपढ होने के बाबजूद भी उनके अंदर की समझ सदैव हमें याद रहेगी। घर गृहस्थी की हर परिस्थिति को वे बड़ी हिम्मत और विश्वास के साथ संभालते थे और उसमें कभी भी हार नहीं मानते थे जब तक उसका कोई परिणाम नहीं निकले।

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रचनाएँ
टूटते परिवारों की व्यथा
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