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परिवार की कीमत

1 दिसम्बर 2022

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गांव के अतीत की स्मृतियों में घूमती हुई कुछ तस्वीरें जिनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान की दुनिया रहती थी । हर छोटे-बड़े का सम्मान और इज्जत उसके व्यक्तित्व और स्टेटस के आधार पर होती थी । बड़े कभी अपने से छोटों का बुरा नहीं करते थे  और छोटे कभी बड़ों का अनादर नहीं करते थे  , इन दोनों व्यक्तित्व के बीच मान-सम्मान और मान मान-मर्यादा की एक छोटी सी लकीर होती थी जिसे क्रॉस करने की हिम्मत किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व में नहीं होती थी  । 

परिवार में चार लोग हो या पचास लोगों का एक समूह, हर व्यक्ति अपने संतुलन में रहकर एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करता था । जो निर्णय परिवार के बड़े-बुजुर्ग और अनुभवी लोगों के द्वारा ले लिया जाता था । उसके खिलाफ कोई भी उंगली उठाये यह किसी की मजाल नहीं होती थी।

एक  समय  था  जब  हर  व्यक्ति  के  जीवन  में  एक  ख़ुशी  परिवार  और  अपार  खुशियों  का  संसार  होता  था हर  तरफ  लोगों  के  मन  में  मानवता  और  अपनापन  रहता  था, हर  एक  रिश्ता  प्रेम  और  खून के  रिश्ते  से  जुड़ा   रहता  था उस समय की   धुंधली यादे आज भी मेरी स्म्रतियों के इर्द गिर्द घूमती रहती है क्योंकि इस समय का एक छोटा सा हिस्सा मैंने अपने जीवन में खुद देखा है , अगर यह समय किसी ने देखा होगा तो उसे उस दुनिया का अनुपम और अद्भुत समय याद होगा और उसे भुलाना बड़ा कठिन होता है ,

संयुक्त परिवार मनुष्य के जीवन की अपार खुशियां थी जिसमें मनुष्य सभी लोगों के साथ संयुक्त रूप से उठता-बैठता,खाता-पीता और होता जागता था।

लोगों के अंदर प्रेम की भावनाएं भरी हुई थी और हर मनुष्य के अंदर सहनशीलता सामंजस्य और किसी भी गलती को माफ करने की क्षमता दिखाई देती थी सभी लोग एक दूसरे के साथ अपनापन और भाईचारे के साथ रहते थे।

एक-दूसरे को नीचा दिखाने की प्रतिस्पर्धा दिखाई नहीं देती थी यदि उस परिवार में कोई भी व्यक्ति कड़क या कठोर स्वभाव का होता था उसे यह कहकर टाल दिया जाता था कि यह तो पागल है और पागलों जैसी बातें करता है इसकी बातों पर कोई भी ध्यान मत देना।

उसके साथ यह नहीं किया जाता था कि उसे घर से बाहर कर दिया जाता बल्कि उसके व्यवहार को लोग हंसकर टाल देते थे लोगों के अंदर सहन करने की असीम संभावनाएं होती थी उसे हमेशा साथ लेकर चला जाता था।

घर के अंदर एक मुखिया होता था जिसके हर निर्णय का सभी लोग सम्मान करते थे और उसकी हर बात पत्थर की लकीर बन जाती थी।

घर में कोई भी समस्या होती तो उसके लिए सभी लोग एक साथ बैठकर विचार करते थे। वे लोग पूरी समस्या को सुनकर उस पर विचार विमर्श करते थे और उसे सुलझाने की कोशिश करते थे इसके पश्चात जो भी कोई व्यक्ति दोषी होता था उसे सजा देकर ही छोड़ते थे।

किसी भी व्यक्ति के साथ भाई-भतीजावाद नहीं किया जाता था इसलिए उस समय संयुक्त परिवार चलते थे। संयुक्त परिवार में रहने वाले लोग कभी भी अपनी मर्यादाएं नहीं तोडते थे।

उनके हर निर्णय में सच्चाई और ईमानदारी होती थी। इसलिए उस समय परिवारों के विखंडन की समस्या कम होती थी।

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रचनाएँ
टूटते परिवारों की व्यथा
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इस पुस्तक पूर्ण रुपेण एक पारिवारिक रिश्तों को शर्मशार करने की कहानी है जिसमें एक संयुक्त परिवार के लोगों के बीच कैसे बिखराव होता है और वह परिवार अपनी बर्बादी का आलम अपनी आंखों के सामने देखता है।
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परिवार की कीमत

1 दिसम्बर 2022
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घर की खुशियां

2 दिसम्बर 2022
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रजनीश:- घर के मुखिया और सोहन,सम्पत और संस्कार के पिता।चंचल:- रजनीश की पत्नी और सोहन,सम्पत और संस्कार की मां।सोहन :- घर के बड़े बेटे भूमि:- सोहन की पत्नी सम्पत :-घर के मंझले बेटेप्रिया:- सम्प

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मेरे घर में खुशबू थी संस्कारों की

2 दिसम्बर 2022
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रजनीश:- हम चारों भाई बहुत प्रेम और भाईचारे के साथ रहते थे रूपये के साथ हमारे घर में संस्कारों की कोई कमी नहीं थी।मेरे पिताजी हमसे बार-बार उस कहानी को सुनाते थे जो एक पिता ने मरते हुए अपने बच्चों को सब

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संस्कारों को मत भूलना

3 दिसम्बर 2022
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मेरे छोटे भाई की पत्नी ने आकर घर में अपनी पढ़ाई की धौंस दिखाते हुए मेरे परिवार की खुशियों को छीनने की कोशिश की लेकिन मेरे पिता इस स्थिति से भांप गए।एक दिन शाम को हम सब एक साथ बैठे हुए थे मेरे पिता कुर

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संस्कार कभी नहीं मरते

4 दिसम्बर 2022
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जब छोटी बहु ने यह स्वीकार कर लिया कि मुझे इस बात से कोई दिक्कत नहीं है आप जैसा करना चाहते हो वैसा कर सकते हो।लेकिन मैंने बीस साल तक जो मेहनत की है। वह मेहनत व्यर्थ जाएगी,उसके लिए मुझे संतोष करना पड़ेग

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संस्कार की विस्तार होने लगा

6 दिसम्बर 2022
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रजनीश:- मेरे पिता के निर्णय से मुझे आश्चर्य हो रहा था हां मैं भी इस बात का पक्षधर था क्योंकि आजादी के बाद संविधान से मिले स्त्रियों के अधिकारों को समाज के दकियानूसी सोच के लोग अभी भी अनुसरण नहीं करते

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मेरी गद्दी का वारिस

12 दिसम्बर 2022
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नई बहुएं अपने व्यवहार में आधुनिकता और पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव रखती थी इसलिए उन्होंने आते ही अपने विचारों को फैलाना शुरू किया और वे उस घर के संस्कारों से विचलित हो उठी थी। दो महीने हो गए लेकिन वे

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मेरे निर्णय सबकी सहमति

28 दिसम्बर 2022
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रजनीश :- मुझे घर का मुखिया बनने का मौका मिल गया। अभी मैंने अपने पिता के निर्णयों का स्वागत किया था और कभी भी उनकी बातों को नहीं ठुकराया लेकिन अब मुझे खुद सभी बातों का निर्णय करना होगा इसलिए मुझे अनुभव

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मेरे ईश्वर छोड़कर चले गए

30 दिसम्बर 2022
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घर में मातम छा गया

21 जनवरी 2023
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मेरे पिताजी की अंतिम सांसें आज प्रकृति के पंचतत्व में विलीन हो गई और मेरे घर के आंगन से एक अमूल्य हीरा हमेशा के लिए चला गया।हम सभी के मन में असीमित दुख था। मैंने और मेरे छोटे भाई ने पिताजी की लाश का प

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