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मेरे घर में खुशबू थी संस्कारों की

2 दिसम्बर 2022

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रजनीश:- हम चारों भाई बहुत प्रेम और भाईचारे के साथ रहते थे रूपये के साथ हमारे घर में संस्कारों की कोई कमी नहीं थी।
मेरे पिताजी हमसे बार-बार उस कहानी को सुनाते थे जो एक पिता ने मरते हुए अपने बच्चों को सबक सिखाने के लिए सुनाई थी। ""संगठन में बहुत बड़ी शक्ति है।""
यदि कोई व्यक्ति एक लकड़ी को छोड़ना चाहता है तो उसे आसानी से थोड़ा जा सकता है और उसी के सापेक्ष एक लकड़ी के गट्ठर को छोड़ना चाहेगा तो उसे आसानी से तोड नहीं सकता है।
मेरे पिता हमेशा कहते थे अभी वक्त सही है लोगों में दया , करुणा और मानवता बसती है लेकिन यह समय एक जैसा नहीं रहेगा जैसे-जैसे समय आगे की तरफ गति करेगा वैसे-वैसै लोगों के चरित्र बदलते चले जायेंगे।
बेटे मैं जब तक जिंदा तब तक मैं तुम्हें जितना खुश देख रहा हूं मेरे मरने के बाद तुम बिखर मत जाना अगर बिखर गये तो लोग तुम्हें लूटकर का जायेंगे।
हमारी जिंदगी बहुत ही खुशियों के साथ चल रही थी जिस तरह कुबेर के खजाने में धन होता है ऐसे ही हमारे खजाने में प्रेम और भाईचारे की अकूत संपत्ति उपलब्ध थी।
मैं अभी भी गांव में नौकरी कर रहा था मैंने मेरी नौकरी की प्रथम सैलरी मेरे पिता के साथ में लाकर दी जिसे देखकर मेरे सभी घरवाले बहुत प्रसन्न हुए। मेरे घर के रूपये से लेकर किसी भी तीज-त्यौहार के निर्णय मेरे पिता ही लेते थे और हमारे घर की एक पाई-पाई उनके हाथों से होकर निकलती थी।
अपने बेटों के समर्पण और सम्मान को देखकर मेरे पिता पूरी तरह संतुष्ट थे वे हमें देख-देखकर कहते थे बेटा मेरी सम्पत्ति नहीं मेरे लिए अमूल्य हीरे हो जो मुझे इस दुनिया में मेरी सारी दौलत लुटाने पर मिलेंगे।
मुझे ईश्वर ने मेरे बेटों के रूप में असीम शक्ति दी है। 
हम भी हमारे पिताजी के आज्ञाकारी पुत्र थे जो कभी भी अपनी पिता की बातों को नहीं टालते थे। हमारे घर के भगवान हमारे पास रहते थे। हमारे पूजनीय पिता और हमारी मम्मी हम सभी के लिए ईश्वर से कम नहीं थे । हालांकि हम लोग ईश्वर की पूजा करते थे लेकिन उससे पहले हमारे पिता हमारे लिए ईश्वर स्वरूप थे।
तीन साल तक केवल मेरी पत्नी के अलावा हमारे घर में पशुओं और खेती के काम में हाथ बंटाने के लिए मेरे छोटे भाई की पत्नी आ गई थी। वह आधुनिक विचारों की लड़की थी और पढ़ने के बाद यहां पर आई थी इसलिए वह आते ही अपने नये मिजाज दिखाने लगी। 
वह पढी-लिखी औरत की तरह अपने नखरे करने लगी थी लेकिन मेरे पिता ने उसे उसी तरह हैंडल किया।।
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रचनाएँ
टूटते परिवारों की व्यथा
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इस पुस्तक पूर्ण रुपेण एक पारिवारिक रिश्तों को शर्मशार करने की कहानी है जिसमें एक संयुक्त परिवार के लोगों के बीच कैसे बिखराव होता है और वह परिवार अपनी बर्बादी का आलम अपनी आंखों के सामने देखता है।
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परिवार की कीमत

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घर की खुशियां

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संस्कारों को मत भूलना

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संस्कार कभी नहीं मरते

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संस्कार की विस्तार होने लगा

6 दिसम्बर 2022
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मेरी गद्दी का वारिस

12 दिसम्बर 2022
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28 दिसम्बर 2022
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30 दिसम्बर 2022
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