एक नादान चूहे की मित्रता किसी मसखरे खरगोश से थी।
चूहा खरगोश से बोला-‘मित्र! अपने जैसा मुझे भी बना लो।'
जब खरगोश के समझाने पर भी चूहे ने अपनी हठ न छोड़ी तो खरगोश ने उसे गुड़ की चासनी में स्नान कराया और रुई में लोट आने की सलाह दी।
चूहे ने ऐसा किया तो उसकी देह पर रुई चिपक गई और वह खरगोश जैसा दिखने लगा।
एक दिन तो चूहे की बहुत प्रशंसा हुई।
दूसरे दिन वर्षा हुई और उसकी देह पर लगी रुई छूट गयी और चूहे की असलियत खुल गई। सभी उसे मूर्ख बनाने लगे।
सत्य अधिक दिन छिपा नहीं रह पाता है। एक दिन वास्तविकता प्रकट होती है तो सबको सत्य ज्ञात होने लगता है। यह सोचना सबसे बड़ी भूल होती है कि सत्य छिप जाएगा।-ज्ञानेश्वर