shabd-logo

शहीदों को समर्पित

16 जनवरी 2022

37 बार देखा गया 37
empty-viewयह लेख अभी आपके लिए उपलब्ध नहीं है कृपया इस पुस्तक को खरीदिये ताकि आप यह लेख को पढ़ सकें

आनन्द कुमार की अन्य किताबें

10
रचनाएँ
नज्म-ए-आनंद
0.0
आत्मा से उत्सर्जित शब्दो से बनी काव्य रचनाओ का संकलन है 'नज्म-ए-आनंद' ।
1

बिखरते रिश्ते

12 जनवरी 2022
7
4
3

                              मसकते आज के रिश्तों में समय की कमियां झलकती है। जब टूटती है स्नेह की तुरपाई फिर रिश्तो से कड़वाहट की बू आती है। आधुनिकता के दौर के ये रिश्ते अपने तरुनावस्था को भी न प

2

रक्तदान

14 जनवरी 2022
2
0
0

   हे मानव ! मानवता के पुजारी,जीवो में तुम सबसे ज्ञानी। मानव जरूरत पड़ने पर,मानवता का ना फर्ज निभावे ऐसे मानव तो मानव के लिए शाप समान ही होते है। जो मानव धर्म को पूरा न करे,जानवर से बढ़कर होते है। व

3

सपने

16 जनवरी 2022
1
1
0

कुछ सपने सुहाने टूट गए कुछ सखे पुराने रुठ गए। कुछ चोट लगी सीने पर कुछ अंदर से हम टूट गए। करो न अपने मन को तुम,आशा से विहीन थामे रहो धैर्य का दामन,होगा धरा अंधेरा हीन। विपदा की घड़ी जब आती है घना अँ

4

नारी

16 जनवरी 2022
4
3
3

हे नारी शक्ति, हे सृजनकारी जगत में आपका सम्मान रहे। मने न मने यह दिवस नाम का सच्ची श्रद्धा व विश्वास रहे।। नारी सशक्तीकरण पर जोर रहे उन्हें समान अधिकार मिले दूषित जनो की दूषिता पर कठिन कारावास मिल

5

बावरी बारिश का रंग बावरा

16 जनवरी 2022
1
1
1

बारिश हो रही है ऐसे सावन की छटा हो जैसे। बारिश की ये बूंदे ऐसी छोटी छोटी मोती जैसी। थमक-थमक कर बरश रही है कृषक की हृदय धरक रहा है। फसलो की हुई बर्बादी  तेज पवन संग आयी बारिश। बिन मौसम हुई बरसात

6

शहीदों को समर्पित

16 जनवरी 2022
2
2
0

है वंदन उन्हें जो अपना,तन समर्पित कर गए मातृ भूमि के लिए बलिदानो की बली चढ़ गए। हमारे शौर्य की गाथाये पुरानी है सिंह के दांत गिनने की हमारी कहानी है। झुक नही सकता सिर हमारा,दुश्मनो के सामने भिड़ ज

7

पर्यावरण

16 जनवरी 2022
1
0
0

हरियाली रूपी सौन्दर्यो से माँ वसुंधरा सुसज्जित थी। वृक्षो के आवरण से माँ धरती सुरक्षित थी। ना वायुमंडल का ताप बढ़ रहा था ना ओजोन लेयर की चिंता थी। सोढ़ी सी मिट्टी की खुशबू में कट रही अलबेली जिंदगी थ

8

मेघ

16 जनवरी 2022
3
2
2

आज प्रभंजन की वेग को देखकर मेघ भी शर्मा रहा है। काली घटाओं से सूर्य भी छिपता नजर आ रहा है। ग्रीष्म की यह ऋतु वर्षा में डुबकी लगा रही है। अपने तपिश को युही  मिटाते नजर आ रही है। बिन मौसम जो ये बा

9

भेद-भाव

16 जनवरी 2022
3
2
1

जाति धर्म के नाम पर,जल रहा है राष्ट्र। इसी सहारे अपनी रोटी सेक रही सरकार। फुट डाल कर धर्म जाति पर,राज कार्य मे लीन पड़े। सत्ता के अभिलाषी गण, सत्ता के मद मे चूर पड़े। उनके बातो का जिक्र ना हो जो इस

10

गज कांड

17 जनवरी 2022
2
2
1

हे मानव! मानवता के अधिकारी कैसे बन गए तुम निर्मम गज हत्या के अधिकारी। क्या तुम्हारी संवेदना जागृत नही हुई इस मदकल की हत्या से मानवता कलंकित हुई। हृदय विदारक इस घटना से अंतर्मन झकझोर दिया मूक कुं

---

किताब पढ़िए