"कुछ लोगों को मनसब गूंगा बहरा कर देते हैं, रोटी मंहगी करने वाले जहर को सस्ता कर देते हैं." गुलजार देहलवी की ये पंक्तियाँ हमें रूबरू करा रही हैं उन परिस्थितियों से जो हमारे मीडिया द्वारा बनाये गये, अच्छे दिनों की सोच लाये गये नई - नई जैकिट, कुर्ते व सूट से सजाये
''बस तबाही के ही आसार नज़र आते हैं , लोग जालिम के ही तरफदार नज़र आते हैं , ज़ुल्म भी हम पे ही होता है ज़माने में सदा और फिर हम ही गुनाहगार नज़र आते हैं .'' डॉ. तनवीर गौहर की ये पंक्तियाँ आज अगर हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा की गयी