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शराबी

26 नवम्बर 2021

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लोग उसे शराबी ,बेवड़ा,नशेड़ी ,लतखोर पता नही किस किस नाम से पुकारते थे यज्ञ उसे भी याद नहीं था ,वह एक 35 साल के आस पास का युवक था ,पूरे दिन वाहन शराब पीकर कहीं भी गिरा पड़ा रहता था ,कभी कभी तो रात रात भर गायब रहता ,उसके आने जाने का कोई समय नहीं था ,*!!
उसे लोग जगन के नाम से जानते थे ,वह 10 साल पहले इस गांव में आया था और एक छोटा सा बंगलो खरीद लिया था ईवा भी कैश पैसे देकर ,वैसे वह कभी किसी को परेशान नही करता था ,फिर भी लोग स्वभाव वस परेशान रहते थे ,उसके बारे में कुछ भी बोलते थे ,*!!
कोई कहता है ,*" किसी बड़े घर का लड़का था शराब के आदत कि वजह से घर से उसको उसका हिस्सा देकर निकाल दिया ,*"!!! तो कोई कुछ और कहता,*" कहीं डकैती डाल कर छुपने के लिए यहां आगया,*"!!  जितने मुंह उतनी बातें थी, उसके पड़ोस में एक पुलिस अधिकारी घर लेता है,!!

गांव के लोगो ने उसे भी उसके बारे में बता दिया ,तो वह कहता है*" पहले बताते तो मैं इसके पड़ोस में घर ही नही लेता हम सब परिवार वाले लोग हैं ,इसे देख बच्चो पर बुरा असर पड़ेगा,*"!!

जगन  देर रात शराब पीकर गुनगुनाता हुआ अपने घर आता है और चारो तरफ देखने के बाद अपना दरवाजा खोलता है,और अंदर से बंद करके अपने हाल में बैठता है ,तभी उसका मोबाइल बजता है , वह उठाता है,और धीरे धीरे किसी की बात सुनता है और पता नही किस बात पर वह इतना खुश होता है कि वह जोर से याहू कह कर चिल्लाता है, *"!!
उसके चिल्लाने कि वजह से आस पड़ोस के लोग उठ जाते हैं ,वो पुलिस अधिकार उठकर बाहर आकर सीधे उसके घर जाकर बेल बजाता है ,वह दरवाजा खोलता है,तो ऑफिसर कहता है"* तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या ,इतनी रात में हंगामा करते हों ,आज के बाद अगर दुबारा आवाज़ आई तो सीधे हवालात में बंद कर दूंगा ,में दरोगा हूं और शराबियों से सख्त नफरत करता हूं ,वह सॉरी बोल कर दरवाजा बंद करता है, *"!

सुबह सुबह न्यूज में चल रहा कि पठानकोट  के वादियों में कई बरसों से ड्रग्स और ह्यूमन ट्रैफिकिंग का रैकेट चल रहा था जिसके बारे में कुछ पता नही चल रहा था, पर एक जांबाज रॉ एजेंट ने 10 साल लगा कर एक बहुत बड़े जड़ जमा चुके नेटवर्क को पकड़वा दिया ,पर उसके लिए उसे दस साल अपने घर बार से दूर रहना पड़ा ,अब हम उसके बारे में कुछ और नहीं बता सकते हैं ,क्योंकि रॉ एजेंट को सामने नहीं लाया जा सकता है, *"!
जगन जिसका असली नाम A C P गजेंद्र सिंह था ,वह अपने कमरे में लगातार फोन पर बात कर रहा था ,चारो ओर से डिपार्टमेंट कि  बधाइयां मिल रही थी,बात दस साल पुरानी है जब दिल्ली में यह बात पता चली कि कोई बहुत बड़ा रैकेट पठानकोट में सक्रिय हैं ,पर कहां है कौन कर रहा है यह सब नहीं पता था ,!!

विश्वस्त सूत्रों से यह तो पता था की उसमे I S I पाकिस्तानी संगठन और कुछ आतंकवादी संगठन भारत की जड़ खोदने का कार्य कर रहे थे, अब उसका पता लगन इतना भी आसान नहीं था , और अगर तुरंत एक्शन ले लिया जाएगा तो वह लोग सतर्क होकर कहीं और शिफ्ट हो जाएंगे, "!

इसकी जांच के लिए कई अधिकारियों के नाम आए पर अपने घर परिवार  से दूर जाकर और वह भी अनिश्चित काल के लिए कोई तैयार नहीं हो रहा था, तब गजेंद्र सिंह सामने आए ,वह जवान और कुछ कर गुजरने का जज़्बा लिए जाने को तैयार हो गया ,वह कोई ऐसा मिशन चाहता था जिसमे उसे काम करने का मजा आए, जबकि उसकी उसी माह सगाई हुई थी फिर भी इस रैकेट को तबाह करने के लिए उसने अपनी मंगेतर को भी समझा लिया था, वह सब छोड़कर पठानकोट पहुंच गया , वहां उसने सरकारी पैसे से घर खरीदा ,खुद को शराबी घोषित करने के चक्कर में शराबी बन गया ,क्योंकि एक शराबी कहीं भी जा सकता था ,उसे लोग इतना सीरियस नही लेते हैं, उसने शुरुवात में तो शराबी कि एक्टिंग की पर सच में पीना शुरू करना पड़ा ताकि किसी को शक ना हो शराबी बनकर वह कही भी गिरा पड़ा रहता पूरा पूरा दिन किसी भी सड़क पर किसी भी खेत में या फिर कहीं भी पड़ा रहता था लोगो की नजर में पर असलियत में वह एक एक बात की खबर रखता था की कौन आ रहा है कौन जा रहा है , कौन नया आदमी आया ,कौन सा सामान कहां से आ रहा है , क्योंकि वह रोज ही कहीं न कहीं गिरा पड़ा रहता है , बाकी होश में वह रात में अपने सारे काम करता रहता था ,पिछले दस साल में उसने उनकी कॉल फ्रीक्वेंसी ट्रैक कर के उनकी बहुत सारी जानकारी इकट्ठा कर दिल्ली भेजता रहा , शराबी होने के कारण कई बार वह उनके अड्डे के पास ही गिरा रहता और अपना काम करता रहता ,उसके पास सभी लेटेस्ट इक्विपमेंट थे ,कैसे कैमरा साउंड रिकॉर्डर इत्यादि, वह अपने कपड़ो में छुपाए रखता था , और आज उसके मेहनत का नतीजा सामने था, एक दो बार तो वह पकड़े जाते जाते बचा था पर इसने समय रहते उन लोगो को मार दिया था जिन्होंने उसे पहचानने कि कोशिश कि थी, पूरे चार लोगो को उसने इस तरह मौत के घाट उतारा था कि किसी को शक भी नहीं हुआ की उनका कत्ल हुआ है, पिछले दस साल में उसे जिस दिन का इंतजार था वह kajo बीत गया वह था ,कल I S I और कुछ आतंक वादी संघटना के लोग इकट्ठे हुए थे, जिन्हे वहीं का वहीं मौत के घाट उतार दिए गया , उन लोगो ने अंडर ग्राउंड अड्डा बना रखा था जो एक बड़े से फॉर्म हाउस के अंदर था , इन इलाकों में ठंड भी अधिक पड़ती हैं ,तो शाम होते ही सभी अपने अपने घरों में दुबक जाते थे ,उसके बाद इन काले कारनामों का व्यापार चलता था ,सबसे बड़ी बात यह भी हुई कि इतना बड़ा कांड हो जाने के बाद भी गांव में किसी को कानो कान खबर नहीं हुई, जिस प्रकार वह लोग अपना कारोबार चला रहे थे उसी प्रकार गजेंद्र ने उन्हे खतम भी करवा दिया, सुबह सुबह अचानक फॉर्म हाउस में आग लग गई  और वहां की बड़ी हवेली और बाहर रखे अनाज सब जल कर खाक हो गए,और उसके साथ ही सारे लोग भी जो वहां मारे गए थे, ऐसे बहुत सारी करवाइयां हमारे देश में  आस पड़ोस में होती जिसका पता भी किसी को नही चलता है, पूरे दिन में पूरे पंजाब में ऐसी ही करवाई हुई और कहीं किसी को पता नही चला यह सब गजेंद्र के मेहनत का फल था, उसी दिन गजेंद्र अपना घर एक गरीब परिवार को गिफ्ट देकर कहता है ,*" मैं अब गया हूं यहां के लोगो से जो देखो धमकाता रहता हैं ,ये घर तुम लोग ले लो , अब मैं नही आऊंगा ,वह गांव के सरपंच के पास जाकर होशो हवास में सब लिख कर दे दिया, और चला गया, लोग तरह तरह की बाते करने लगे पर उसको क्या फर्क पड़ता था, *"!
गजेंद्र हेड ऑफिस पहुंचता है ,वहां उसे प्रमोशन भी मिलता है साथ ही उसे नशा मुक्ति केंद्र भेजकर ट्रीटमेंट के लिए एडमिट कराया गया, उसकी मंगेतर अभी तक उसका इंतजार कर रही थी , छह महीने में गजेंद्र फिर से अपनी पुरानी सेहत पर लौटने लगा था ,उसकी शादी कि डेट फिक्स होती है, *"!
आज वह बहुत दिन बाद अपने ऑफिस पहुंचा था ,तो वहां पर वही अधिकारी आया हुआ था जो उसका पड़ोसी था ,वह उसको देख पहचानने कि कोशिश करता है तो वह उसे बहला देता है कि वह तो कभी पठान कोट गया ही नही, इस तरह के बहुत सारे यंग ऑफिसर अपने मिशन के लिए बहुत सारी कुर्बानी देते रहते हैं जिसके बारे में हमे पता नही चलता है ,*"!!!!


काव्या सोनी

काव्या सोनी

Behtreen 👌👌👌 bahut hi accha likha aapne 👌👌

26 नवम्बर 2021

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

27 नवम्बर 2021

धन्यवाद जी

Papiya

Papiya

👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼👏🏼

26 नवम्बर 2021

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शराबी
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हमारे आस पास बहुत सी ऐसी घटनाए होती है जिसके बारे में हमे पता नही चलता है ऐसी ये हमारा शरण है जो सामने से कुछ और लगता है, और असलियत कुछ और है,

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