shabd-logo

शर्त ये है कि जिंदगी मिल जाये

9 जून 2022

68 बार देखा गया 68
empty-viewयह लेख अभी आपके लिए उपलब्ध नहीं है कृपया इस पुस्तक को खरीदिये ताकि आप यह लेख को पढ़ सकें
5
रचनाएँ
शर्त ये है कि जिंदगी मिल जाये...
5.0
सही और गलत सोच का फेर ही तो है जो दिल को सही लगे वही सही होता है क्‍योंकि उसे करने से पहले ज्‍यादा कुछ सोचना नहीं पड़ता पर जहां सोच गहरी हो जाये वहां कुछ सही तो क्‍या कुछ होने के चांस भी खत्‍म हो जाते हैं क्‍योंकि वक्‍त किसी के लिये नहीं रूकता और वक्‍त चले जाने के बाद किये गये काम की कोई कीमत नहीं रहती ये कहानी ईनाक्षी और आरव की है, ईनाक्षी आरव से मिलकर खुश थी लेकिन उसकी खुशी ज्‍यादा दिन टिक नहीं पाई और आरव बिना कुछ कहे ही उससे दूर हो गया, ईनाक्षी भगवान से सवाल करती रही कि उसके साथ ऐसा क्‍यों हुआ और एक दिन नाराज होकर फैसला किया कि वो उस जगह कभी नहीं जाएगी जहां वो भगवान को अपने सबसे ज्‍यादा करीब महसूस करती है, ज़ेबा भगवान को सजा दे रही थी और एक दिन उन्‍होंने उसकी नाराजगी को दूर कर दिया, वो वहीं लौटी और इस बार कुछ ऐसा हुआ जो उसने कभी सोचा नहीं था
1

शर्त ये है कि जिंदगी मिल जाये

9 जून 2022
23
10
0

 बस एक ही शर्त थी खुश रहने की… मेरे सुकून की… मैंने कहां कुछ ज्‍यादा मांगा, पूरी दुनिया ना मिले ना सही पर वो तो होना चाहिए ना साथ अभी इस वक्‍त यहां होना चाहिए था ना उसे…  रोज हर रोज बस यही

2

ख़्वाब हो तुम या…

15 जून 2022
6
2
0

 “एक झूठ बोलेगे मेरे लिये”   “झूठ क्‍यों ?”   “मेरे लिये बस एक छोटा सा झूठ”   “पहले बताओ क्‍या झूठ?”   “कहो कि जब मैं सामने हूं तो कोई और दिखाई नहीं देता”  “कभी सोचा नहीं”   “सोचना नहीं है बस झू

3

इति का फरिश्‍ता

17 जून 2022
7
2
4

आपने कभी कशिश महसूस की किसी चीज की... जिसकी दीवानगी...पागलपन के हद की हो... कोई ऐसा जो सब कुछ भुला दे... किसी की जिंदगी में उसे मिल जाये तो फिर आगे क्या होगा? उसकी सोच समझ और उसके आस पास सब

4

आइसक्रीम और तुम

22 जून 2022
2
2
0

एक कहानी जिसे उर्वी ने खुद अधूरा छोड़ दिया, वो  छोड़ आई उसे बहुत पीछे, जिसके साथ चलना उसकी तकदीर थी। अपने एक फैसले की सजा खुद को देती रही उर्वी लेकिन जब उसका अतीत लौटा तो मंजर कुछ और ही हो

5

हवा-ए-इश्‍क

23 जून 2022
7
2
4

एक सुबह आर्यमा अपने काम के लिेये निकलने ही वाली थी कि उसके फोन पर एक मैसेज आया, “मैं आ रहा हूं आज शाम”, आर्यमा मुस्‍कुराने लगी, बादल का मैसेज था। कुछ साल पहले बादल और आर्यमा एक साथ काम कर रहे थ

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए