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शिखा धारण

10 सितम्बर 2018

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*शिखा धारण करने का वैज्ञानिक महत्व 👇* *मस्तकाभ्यन्तरोपरिष्टात् शिरासम्बन्धिसन्निपातो रोमावर्त्तोऽधिपतिस्तत्रापि सद्यो मरणम् - सुश्रुत श. स्थान* *सरलार्थ »» मस्तक के भीतर ऊपर की ओर शिरा तथा सन्धि का सन्निपात है वहीं रोमावर्त में अधिपति है। यहां पर तीव्र प्रहार होने पर तत्काल मृत्यु संभावित है। शिखा रखने से इस कोमलांग की रक्षा होती है।*
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रचनाएँ
AcharyaArjunTiwari
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सनातन धर्म से जुड़े विषय
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चाणक्य नीति

9 जनवरी 2018
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♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻ ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏵 *जीवन - दर्शन* 🏵 🌺🌟🌺🌟🌺🌟🌺🌟🌺🌟🌺 *लालनाद् बहवो दोषास्त् ,* *ताडनाद् बहवो गुणाः।* *तस्मात्पुत्रं च शिष्यं च ,* *ताडयेन्न तु लालयेत् ॥* *अधिक लाड़ से अनेक दोष तथा अधिक ताड़न से गुण आते ह

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दंडकारण्य का रहस्य

28 जनवरी 2018
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🎄🌸🎄🌸🎄🌸🎄🌸🎄🌸🎄 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼 *सतयुग में राजा इक्ष्वाकु के 100 पुत्र उत्पन्न हुए | उन पुत्रों में सबसे छोटा मूर्ख और उद्‍दंड था | इक्ष्वाकु समझ गए कि इस मंदबुद्धि पर कभी न कभी दंडपात अवश्य होगा इसलिए वे उसे 'दंड' के नाम से पुकारने लगे | जब वह बड़ा

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सुप्रभातम्

2 मई 2018
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http://acharyaarj🍏🍎🍏🍎🍏🍎🍏🍎🍏 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्*‼ *अधिकतर लोग दिखावे के चक्कर में ही घनचक्कर बनकर घूमते रहते हैं। उनकी सोच बस दिखावे के सीमित दायरे में घूमती रहती है। हम इस धरती पर कुछ भी लेकर नहीं आए थे और जाते समय भी हाथ खाली ही होगे, फ़िर किसको और क्या दिखाना चाहते हैं? अगर पैसा अ

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राम http://acharyaarjuntiwariblogspot.com/

2 मई 2018
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शिखा धारण

10 सितम्बर 2018
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*शिखा धारण करने का वैज्ञानिक महत्व 👇* *मस्तकाभ्यन्तरोपरिष्टात् शिरासम्बन्धिसन्निपातो रोमावर्त्तोऽधिपतिस्तत्रापि सद्यो मरणम् - सुश्रुत श. स्थान* *सरलार्थ »» मस्तक के भीतर ऊपर की ओर शिरा तथा सन्धि का सन्निपात है वहीं रोमावर्त में अधिपति है। यहां पर तीव्र प्रहार होने पर तत्काल मृत्यु संभावित है। शिख

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एकादशी में चावल क्यों वर्जित है ? :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 नवम्बर 2020
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🌻🌳🌻🌳🌻🌳🌻🌳🌻🌳🌻 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼*माता शक्ति क्रोध से भयभीत होकर मेधा ऋषि ने शरीर का त्याग करके धरती में समा गये एवं जौ तथा धान (चावल) के रूप में प्रकट हुए । इसलिए जौ एवं चावल को जीव माना गया है । जिस दिन यह घटना घटी उस दिन एकादशी थी ! जो लोग व्रत रहते हैं उनके लिए तो अन्न भ

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भगवान की निद्रा का रहस्य :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 नवम्बर 2020
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🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️ ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️🎈🌞🎈🌞🎈🌞🎈🌞🎈🌞🎈🌞*भगवान की निद्रा का रहस्य**जब भगवान ने वामन रूप में बलि का सर्वस्व हरण किया तो उसकी दानशीलता से प्रसन्न होकर भगवान ने उससे वरदान माँगने को कहा ! राजा बलि ने भगवान से कहा कि जब आपने हमें पाताल का राज्य दि

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हमारे पितर :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 सितम्बर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

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पितृपक्ष :- आचार्य अर्जुन तिवारी

27 सितम्बर 2021
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<p>*सनातन धर्म संस्कृति में आश्विन कृष्ण पक्ष अर्थात पितृपक्ष का बड़ा महत्व है | ऐसा कहा जाता है कि

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श्राद्ध की पूर्णता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

30 सितम्बर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

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श्राद्ध में संकल्प का महत्व :- आचार्य अर्जुन तिवारी

2 अक्टूबर 2021
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<p>*सनातन धर्म में श्राद्ध का बड़ा महत्त्व है | श्राद्ध शब्द श्रद्धा से बना है | मृतात्मा के प्रति श

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अपने आचरण से पितरों को करें संतुष्ट :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

3 अक्टूबर 2021
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<p>*सनातन धर्म ने मानव मात्र से मानवता का पाठ पढ़ाया है | जिसके अन्तर्गत प्रत्येक मनुष्य को यह भी प्

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तर्पण से होती है पितरों को तृप्ति :- आचार्य अर्जुन तिवारी

4 अक्टूबर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

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कब करें किसका श्राद्ध :- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 अक्टूबर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

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बिना भक्ति के भव से पार नहीं होंगे :- आचार्य अर्जुन तिवारी

21 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p>*सुनु खगेस हरि भगति बिहाई !*</p> <p>*जे सुख चाहहिं आन उपाई !!*</p> <p>*ते सठ महासि

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मनुष्यों की करें पहचान :- आचार्य अर्जुन तिवारी

27 दिसम्बर 2021
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<p>*इस संसार में ईश्वर ने सभी जड़ चेतन को एक विशेष गुण प्रदान किया | वही गुण उसको विशेष बनाते

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भितरघातियों से सावधान :- आचार्य अर्जुन तिवारी

28 दिसम्बर 2021
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<p>*ईश्वर की बनाई यह सृष्टि बड़ी ही बिचित्र है ! यहाँ सब कुछ देखने को मिलता है ! यहाँ समाज का भला कर

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आत्मनिरीक्षण - आचार्य अर्जुन तिवारी

11 जनवरी 2022
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*हमारे पूर्वज सद्विचार एवं सद्भाव के माध्यम से समाज में स्थापित हुये | उनके आचार -;विचार , व्यवहार समाज के लिए प्रगतिशील थे | उसका कारण था कि वे समय-समय पर आत्म निरीक्षण करते रहते थे | यही आत्म निरीक्

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हे इन्दर राजा कृपा करउ/ कविता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

15 सितम्बर 2022
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*दिन भै पानी खुब बरस रहा ,* *मनई सब घरहिं लुकाय गये !**लागत है देवतन कै राजा ,* &nbs

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