shabd-logo

अपने आचरण से पितरों को करें संतुष्ट :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

3 अक्टूबर 2021

32 बार देखा गया 32

*सनातन धर्म ने मानव मात्र से मानवता का पाठ पढ़ाया है | जिसके अन्तर्गत प्रत्येक मनुष्य को यह भी प्रयास करना चाहिए हमारे कर्मों से , हमारे आचरण से कोई भी असंतुष्ट ना रहे | इस संसार में सब को लेकर चलने वाला , सबको संतुष्ट रखने वाला मनुष्य सदैव सुखी रहता है | मनुष्य को यह प्रयास करना चाहिए कि हमारे घर के एवं समाज के लोग हमारे कर्मों से संतुष्ट रहें | प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य बनता है कि वह इस संसार के लोगों के साथ ही अपने पितरों को भी संतुष्ट रखें क्योंकि यदि पितर असंतुष्ट हो जाते हैं तो घर में पितृदोष स्पष्ट दिखाई पड़ने लगता है | पितृदोष हो जाने के बाद मनुष्य को अनेक प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है | मानसिक अवसाद , परिश्रम के अनुरूप फल ना मिलना , संतानोत्पत्ति में बाधा तथा घर में नकारात्मकता दिखाई पड़ना पितृदोष के लक्षण हैं | इसीलिए सनातन धर्म में पितरों का महत्व बताया गया है | संसार को संतुष्ट रखने का प्रयास करने वाले लोग अपने कर्मों के द्वारा जब अपने पितरों को संतुष्ट नहीं कर पाते हैं तो उनको जीवन में इन सब परेशानियों का सामना करना पड़ता है | पितरों को संतुष्ट रखने के लिए सबसे पहले मनुष्य को अपने आचरण पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि पितरों के विपरीत आचरण होने पर भी पितर असंतुष्ट हो जाते हैं और घर में पितृदोष दिखाई पड़ने लगता है | जिसके कारण मनुष्य सब कुछ करने के बाद भी उसका यथोचित फल नहीं प्राप्त कर पाता|  प्रायः लोग संसार को तो संतुष्ट करने का प्रयास करते हैं परंतु अपने उन पूर्वजों को संतुष्ट नहीं कर पाते जिनकी संपत्तियों का भोग कर रहे हैं |  प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य बनता है कि अपने पितरों के लिए समय-समय पर श्राद्ध आदि करता रहे साथ ही अपने आचरण को भी सकारात्मक रखें अन्यथा पितर सब कुछ करने के बाद भी क्रोधित ही रहते हैं और परिवार को आशीर्वाद नहीं प्रदान करते हैं जिसके कारण मनुष्य दुखी रहता है |*


*आज प्राय: घर-घर में पितृदोष दिखाई पड़ता है लोग अपनी जन्म कुंडली लेकर के ज्योतिषियों एवं विद्वानों के पास दौड़ भाग करते हुए देखे जा सकते हैं | पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए अनेक उपाय भी विद्वानों के द्वारा कराए जाते हैं परंतु उनका यथोचित फल नहीं मिल पा रहा है | जब सब कुछ करने के बाद भी मनुष्य को उसका उचित फल नहीं मिलता और पितृदोष बना ही रहता है तो मनुष्य को गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता हो जाती है | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" जहां तक समझ पाया उसके अनुसार मनुष्य को पितरों के निमित्त पिंडदान -:श्राद्ध - तर्पण करने के साथ ही अपने आचरण में भी सुधार करना चाहिए | श्राद्ध करने में सबसे महत्वपूर्ण है मनुष्य की पवित्रता , पितरों के प्रति श्रद्धा एवं निर्मल मन | जो कि आज नहीं दिखाई पड़ रहा है | पितृकार्य को लोग कर तो रहे परंतु फिर भी उनके परिवार में अनेकों प्रकार की व्याधियों स्पष्ट दिखाई पड़ रही हैं | इसका कारण यही है कि आज अधिकतर लोगों ने सत्यता का त्याग कर दिया है | काम ,  क्रोध , लोभ , मोह , अहंकार , झूठ , कपट , छल से आज प्रत्येक मनुष्य घिरा हुआ है यही कारण है कि पितरों के लिए अनेकानेक विधान करने के बाद भी उसको यथोचित फल नहीं प्राप्त हो पा रहा है | एक बात सदैव ध्यान रखा जाय कि परिवार के लोग , समाज के लोग यहां तक कि देवता भी असंतुष्ट होने पर संतुष्ट हो सकते हैं परंतु यदि पितर असंतुष्ट हो गये तो उनको संतुष्ट करना बड़ा कठिन होता है | पितरों को संतुष्ट करने का सबसे सरल साधन है कि मनुष्य अपना आचरण सकारात्मक रखते हुए अपने कुल के अनुसार कृत्य करें और समय-समय पर श्रद्धा के साथ श्राद्ध आदि करता रहे | पिंडदान कर देने मात्र से पितर तब तक संतुष्ट नहीं हो सकते जब तक उनके प्रति पवित्र मन में श्रद्धा का भाव नहीं होगा | आज मनुष्य परेशानियों में घिरने पर पितरों को याद करता है यदि समय-समय पर अपने पितरों को उनका भाग मिलता रहे तो पितर कभी भी असंतुष्ट हो ही नहीं सकते |*


*संसार में यदि अनेक प्रकार के रोग है तो उनकी औषधियां भी उपलब्ध है जिनके लिए मनुष्य चिकित्सक के पास जाता है परंतु पितृदोष नामक रोग की औषधि स्वयं मनुष्य के पास है परंतु वह उसका उपयोग नहीं कर पा रहा है |*

article-image


19
रचनाएँ
AcharyaArjunTiwari
5.0
सनातन धर्म से जुड़े विषय
1

चाणक्य नीति

9 जनवरी 2018
0
0
0

♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻ ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏵 *जीवन - दर्शन* 🏵 🌺🌟🌺🌟🌺🌟🌺🌟🌺🌟🌺 *लालनाद् बहवो दोषास्त् ,* *ताडनाद् बहवो गुणाः।* *तस्मात्पुत्रं च शिष्यं च ,* *ताडयेन्न तु लालयेत् ॥* *अधिक लाड़ से अनेक दोष तथा अधिक ताड़न से गुण आते ह

2

दंडकारण्य का रहस्य

28 जनवरी 2018
0
1
0

🎄🌸🎄🌸🎄🌸🎄🌸🎄🌸🎄 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼 *सतयुग में राजा इक्ष्वाकु के 100 पुत्र उत्पन्न हुए | उन पुत्रों में सबसे छोटा मूर्ख और उद्‍दंड था | इक्ष्वाकु समझ गए कि इस मंदबुद्धि पर कभी न कभी दंडपात अवश्य होगा इसलिए वे उसे 'दंड' के नाम से पुकारने लगे | जब वह बड़ा

3

सुप्रभातम्

2 मई 2018
0
0
0

http://acharyaarj🍏🍎🍏🍎🍏🍎🍏🍎🍏 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्*‼ *अधिकतर लोग दिखावे के चक्कर में ही घनचक्कर बनकर घूमते रहते हैं। उनकी सोच बस दिखावे के सीमित दायरे में घूमती रहती है। हम इस धरती पर कुछ भी लेकर नहीं आए थे और जाते समय भी हाथ खाली ही होगे, फ़िर किसको और क्या दिखाना चाहते हैं? अगर पैसा अ

4

राम http://acharyaarjuntiwariblogspot.com/

2 मई 2018
1
0
0

5

शिखा धारण

10 सितम्बर 2018
0
0
0

*शिखा धारण करने का वैज्ञानिक महत्व 👇* *मस्तकाभ्यन्तरोपरिष्टात् शिरासम्बन्धिसन्निपातो रोमावर्त्तोऽधिपतिस्तत्रापि सद्यो मरणम् - सुश्रुत श. स्थान* *सरलार्थ »» मस्तक के भीतर ऊपर की ओर शिरा तथा सन्धि का सन्निपात है वहीं रोमावर्त में अधिपति है। यहां पर तीव्र प्रहार होने पर तत्काल मृत्यु संभावित है। शिख

6

एकादशी में चावल क्यों वर्जित है ? :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 नवम्बर 2020
1
0
0

🌻🌳🌻🌳🌻🌳🌻🌳🌻🌳🌻 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼*माता शक्ति क्रोध से भयभीत होकर मेधा ऋषि ने शरीर का त्याग करके धरती में समा गये एवं जौ तथा धान (चावल) के रूप में प्रकट हुए । इसलिए जौ एवं चावल को जीव माना गया है । जिस दिन यह घटना घटी उस दिन एकादशी थी ! जो लोग व्रत रहते हैं उनके लिए तो अन्न भ

7

भगवान की निद्रा का रहस्य :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 नवम्बर 2020
0
0
0

🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️ ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️🎈🌞🎈🌞🎈🌞🎈🌞🎈🌞🎈🌞*भगवान की निद्रा का रहस्य**जब भगवान ने वामन रूप में बलि का सर्वस्व हरण किया तो उसकी दानशीलता से प्रसन्न होकर भगवान ने उससे वरदान माँगने को कहा ! राजा बलि ने भगवान से कहा कि जब आपने हमें पाताल का राज्य दि

8

हमारे पितर :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 सितम्बर 2021
0
2
2

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

9

पितृपक्ष :- आचार्य अर्जुन तिवारी

27 सितम्बर 2021
1
1
2

<p>*सनातन धर्म संस्कृति में आश्विन कृष्ण पक्ष अर्थात पितृपक्ष का बड़ा महत्व है | ऐसा कहा जाता है कि

10

श्राद्ध की पूर्णता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

30 सितम्बर 2021
0
2
0

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

11

श्राद्ध में संकल्प का महत्व :- आचार्य अर्जुन तिवारी

2 अक्टूबर 2021
1
1
0

<p>*सनातन धर्म में श्राद्ध का बड़ा महत्त्व है | श्राद्ध शब्द श्रद्धा से बना है | मृतात्मा के प्रति श

12

अपने आचरण से पितरों को करें संतुष्ट :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

3 अक्टूबर 2021
0
1
0

<p>*सनातन धर्म ने मानव मात्र से मानवता का पाठ पढ़ाया है | जिसके अन्तर्गत प्रत्येक मनुष्य को यह भी प्

13

तर्पण से होती है पितरों को तृप्ति :- आचार्य अर्जुन तिवारी

4 अक्टूबर 2021
1
1
0

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

14

कब करें किसका श्राद्ध :- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 अक्टूबर 2021
0
1
0

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

15

बिना भक्ति के भव से पार नहीं होंगे :- आचार्य अर्जुन तिवारी

21 दिसम्बर 2021
0
0
0

<p><br></p> <p>*सुनु खगेस हरि भगति बिहाई !*</p> <p>*जे सुख चाहहिं आन उपाई !!*</p> <p>*ते सठ महासि

16

मनुष्यों की करें पहचान :- आचार्य अर्जुन तिवारी

27 दिसम्बर 2021
0
0
0

<p>*इस संसार में ईश्वर ने सभी जड़ चेतन को एक विशेष गुण प्रदान किया | वही गुण उसको विशेष बनाते

17

भितरघातियों से सावधान :- आचार्य अर्जुन तिवारी

28 दिसम्बर 2021
0
0
0

<p>*ईश्वर की बनाई यह सृष्टि बड़ी ही बिचित्र है ! यहाँ सब कुछ देखने को मिलता है ! यहाँ समाज का भला कर

18

आत्मनिरीक्षण - आचार्य अर्जुन तिवारी

11 जनवरी 2022
1
1
0

*हमारे पूर्वज सद्विचार एवं सद्भाव के माध्यम से समाज में स्थापित हुये | उनके आचार -;विचार , व्यवहार समाज के लिए प्रगतिशील थे | उसका कारण था कि वे समय-समय पर आत्म निरीक्षण करते रहते थे | यही आत्म निरीक्

19

हे इन्दर राजा कृपा करउ/ कविता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

15 सितम्बर 2022
1
0
0

*दिन भै पानी खुब बरस रहा ,* *मनई सब घरहिं लुकाय गये !**लागत है देवतन कै राजा ,* &nbs

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए