shabd-logo

तर्पण से होती है पितरों को तृप्ति :- आचार्य अर्जुन तिवारी

4 अक्टूबर 2021

27 बार देखा गया 27


article-image

*सनातन धर्म स्वयं अद्भुत है एवं वैज्ञानिकता को समेटे हुए है | हमारे धर्म शास्त्रों का मानना है कि मनुष्य मृत्यु के उपरांत कर्मानुसार अन्य लोकों / योनियों में चला जाता है | प्रत्येक मनुष्य को अपने पितरों के लिए पितृकर्म अवश्य करना चाहिए | विशेष अवसर हमें प्राप्त होता है आश्विन कृष्ण पक्ष में जिसे पितृपक्ष कहा जाता है | हमारी मान्यताओं के अनुसार जब सूर्य कन्या राशि में आते हैं तब परलोक से पितृ अपने परिजनों के पास आ जाते हैं |  देवतुल्य स्थिति में तीन पीढ़ी के पूर्वज गिने जाते हैं | पिता को वसु के समान ,  दादा को रुद्र के समान एवं परदादा को आदित्य के समान माना जाता है | श्राद्ध करने के पहले मनुष्य को अपने पितरों  के लिए तर्पण करना चाहिए | तर्पण करते समय एक बात अवश्य ध्यान रखें तर्पण का जल सूर्योदय के आधे प्रहर तक अमृत होता है , एक प्रहर तक शहद के समान , डेढ़ प्रहर तक दूध के समान और तीन पहर तक जल के समान हो जाता है | तिलांजलि के रूप में हमारे द्वारा किया गया तर्पण हमारे पितरों को प्राप्त होता है | प्रत्येक मनुष्य को सूर्योदय से आधे प्रहर के मध्य अपने पितरों का तर्पण कर देना चाहिए जिससे कि वह जल हमारे पितरों को अमृत रूप में प्राप्त हो | श्राद्ध पक्ष में जल और तिल से दिया हुआ तर्पण पितरों को तृप्त कर देता है |  सनातन धर्म दूसरों को जल पिलाना सबसे बड़ा पुण्य कार्य कहा गया है ! उसी प्रकार अपने पितरों को जलांजलि प्रदान करना बहुत ही महत्वपूर्ण है | पितरों को जलांजलि अर्थात तर्पण देकर के मनुष्य सब कुछ प्राप्त कर सकता है क्योंकि जिसके पितर संतुष्ट हो जाते हैं वह सुख ऐश्वर्य का भोग करता है | पितरों का तर्पण करना मनुष्य के लिए एक अद्भुत अवसर है जिससे वह अपने पितरों को जल और तिल उत्तम रूप में पहुंचा सकता है | वसु , रुद्र एवं आदित्य देवता हमारे जल को , हमारे तर्पण को हमारे पितरों तक पहुंचाते हैं | श्राद्ध एवं तर्पण के द्वारा पितरों को परम संतुष्टि प्राप्त होती है जिससे पितृगण प्रसन्न होकर अपने परिजनों को दीर्घायु , संतान , सुख , धन-धान्य , विद्या , राज्य सुख , यश , कीर्ति , स्वर्ग एवं मोक्ष तक प्रदान कर देते हैं |*

*आज सबसे बड़ी विडंबना यह है कि सनातन धर्म के अनुयायी अपने कर्मकांड को भूलते चले जा रहे हैं | पितरों का तर्पण कैसे किया जाता है ? क्यों किया जाता है ? इसके विषय में अधिकतर लोग जानते ही नहीं हैं | यही कारण है कि लोग सब कुछ करने के बाद भी परेशान दिखाई पड़ते हैं | मेरा "आचार्य अर्जुन तिवारी" का मानना है कि जिस प्रकार लोग संसार को दिखाने के लिए गर्मी के महीनों में स्थान स्थान पर प्याऊ एवं जल की व्यवस्था आम जनमानस के लिए करते हैं उसी प्रकार यदि पितृपक्ष में अपने पितरों को जल प्रदान करने का प्रयास करें तो शायद उनके पुण्य संचित होता चला जाय ! परंतु लोग संसार को दिखाने के लिए जल दान तो कर रहे हैं पर अपने पितरों के लिए जलांजलि देना उन्हें ढोंग एवं अंधविश्वास लगता है |  प्रत्येक मनुष्य को तर्पण की विधि एवं उसके महत्व को जानने का प्रयास अवश्य करना चाहिए क्योंकि जिस घर में पितरों को तर्पण नहीं किया जाता है उस घर में सुख शांति कभी भी नहीं आ सकती | बाहरी दिखावे में भले ही मनुष्य राजा की भांति जीवन यापन कर रहा हो परंतु जिसके पितर संतुष्ट नहीं होते वह अंदर से खोखला ही होता है | पितरों को श्रद्धा भाव से दिए हुए जल से ही तृप्ति हो जाती है , वे संतुष्ट हो जाते हैं परंतु मनुष्य ना तो श्रद्धा उत्पन्न कर पा रहा है और ना ही पितरों को जल देना चाहता है , तो भला उनको सुख और संतुष्टि कैसे प्राप्त हो सकती है ? हमारे पितर हमसे धन - ऐश्वर्य कुछ भी नहीं मांगते | अपना सब कुछ हमको देकर चले जाने वाले पितर हमसे एक अंजलि जल की आशा रखते हैं और मनुष्य को यह भी नहीं कर पा रहा है , इसीलिए परेशानियों के मकड़जाल में मनुष्य घिरा हुआ है |*

*जल , तिल , मधु , दूध आदि से तिलांजलि देकर अपने पितरों को श्राद्ध पक्ष में संतुष्ट करना प्रत्येक परिजन का कर्तव्य बनता है ऐसा करके ही मनुष्य सुखी एवं ऐश्वर्यशाली बन सकता है |*

19
रचनाएँ
AcharyaArjunTiwari
5.0
सनातन धर्म से जुड़े विषय
1

चाणक्य नीति

9 जनवरी 2018
0
0
0

♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻ ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏵 *जीवन - दर्शन* 🏵 🌺🌟🌺🌟🌺🌟🌺🌟🌺🌟🌺 *लालनाद् बहवो दोषास्त् ,* *ताडनाद् बहवो गुणाः।* *तस्मात्पुत्रं च शिष्यं च ,* *ताडयेन्न तु लालयेत् ॥* *अधिक लाड़ से अनेक दोष तथा अधिक ताड़न से गुण आते ह

2

दंडकारण्य का रहस्य

28 जनवरी 2018
0
1
0

🎄🌸🎄🌸🎄🌸🎄🌸🎄🌸🎄 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼 *सतयुग में राजा इक्ष्वाकु के 100 पुत्र उत्पन्न हुए | उन पुत्रों में सबसे छोटा मूर्ख और उद्‍दंड था | इक्ष्वाकु समझ गए कि इस मंदबुद्धि पर कभी न कभी दंडपात अवश्य होगा इसलिए वे उसे 'दंड' के नाम से पुकारने लगे | जब वह बड़ा

3

सुप्रभातम्

2 मई 2018
0
0
0

http://acharyaarj🍏🍎🍏🍎🍏🍎🍏🍎🍏 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्*‼ *अधिकतर लोग दिखावे के चक्कर में ही घनचक्कर बनकर घूमते रहते हैं। उनकी सोच बस दिखावे के सीमित दायरे में घूमती रहती है। हम इस धरती पर कुछ भी लेकर नहीं आए थे और जाते समय भी हाथ खाली ही होगे, फ़िर किसको और क्या दिखाना चाहते हैं? अगर पैसा अ

4

राम http://acharyaarjuntiwariblogspot.com/

2 मई 2018
1
0
0

5

शिखा धारण

10 सितम्बर 2018
0
0
0

*शिखा धारण करने का वैज्ञानिक महत्व 👇* *मस्तकाभ्यन्तरोपरिष्टात् शिरासम्बन्धिसन्निपातो रोमावर्त्तोऽधिपतिस्तत्रापि सद्यो मरणम् - सुश्रुत श. स्थान* *सरलार्थ »» मस्तक के भीतर ऊपर की ओर शिरा तथा सन्धि का सन्निपात है वहीं रोमावर्त में अधिपति है। यहां पर तीव्र प्रहार होने पर तत्काल मृत्यु संभावित है। शिख

6

एकादशी में चावल क्यों वर्जित है ? :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 नवम्बर 2020
1
0
0

🌻🌳🌻🌳🌻🌳🌻🌳🌻🌳🌻 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼*माता शक्ति क्रोध से भयभीत होकर मेधा ऋषि ने शरीर का त्याग करके धरती में समा गये एवं जौ तथा धान (चावल) के रूप में प्रकट हुए । इसलिए जौ एवं चावल को जीव माना गया है । जिस दिन यह घटना घटी उस दिन एकादशी थी ! जो लोग व्रत रहते हैं उनके लिए तो अन्न भ

7

भगवान की निद्रा का रहस्य :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 नवम्बर 2020
0
0
0

🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️ ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️🎈🌞🎈🌞🎈🌞🎈🌞🎈🌞🎈🌞*भगवान की निद्रा का रहस्य**जब भगवान ने वामन रूप में बलि का सर्वस्व हरण किया तो उसकी दानशीलता से प्रसन्न होकर भगवान ने उससे वरदान माँगने को कहा ! राजा बलि ने भगवान से कहा कि जब आपने हमें पाताल का राज्य दि

8

हमारे पितर :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 सितम्बर 2021
0
2
2

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

9

पितृपक्ष :- आचार्य अर्जुन तिवारी

27 सितम्बर 2021
1
1
2

<p>*सनातन धर्म संस्कृति में आश्विन कृष्ण पक्ष अर्थात पितृपक्ष का बड़ा महत्व है | ऐसा कहा जाता है कि

10

श्राद्ध की पूर्णता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

30 सितम्बर 2021
0
2
0

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

11

श्राद्ध में संकल्प का महत्व :- आचार्य अर्जुन तिवारी

2 अक्टूबर 2021
1
1
0

<p>*सनातन धर्म में श्राद्ध का बड़ा महत्त्व है | श्राद्ध शब्द श्रद्धा से बना है | मृतात्मा के प्रति श

12

अपने आचरण से पितरों को करें संतुष्ट :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

3 अक्टूबर 2021
0
1
0

<p>*सनातन धर्म ने मानव मात्र से मानवता का पाठ पढ़ाया है | जिसके अन्तर्गत प्रत्येक मनुष्य को यह भी प्

13

तर्पण से होती है पितरों को तृप्ति :- आचार्य अर्जुन तिवारी

4 अक्टूबर 2021
1
1
0

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

14

कब करें किसका श्राद्ध :- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 अक्टूबर 2021
0
1
0

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

15

बिना भक्ति के भव से पार नहीं होंगे :- आचार्य अर्जुन तिवारी

21 दिसम्बर 2021
0
0
0

<p><br></p> <p>*सुनु खगेस हरि भगति बिहाई !*</p> <p>*जे सुख चाहहिं आन उपाई !!*</p> <p>*ते सठ महासि

16

मनुष्यों की करें पहचान :- आचार्य अर्जुन तिवारी

27 दिसम्बर 2021
0
0
0

<p>*इस संसार में ईश्वर ने सभी जड़ चेतन को एक विशेष गुण प्रदान किया | वही गुण उसको विशेष बनाते

17

भितरघातियों से सावधान :- आचार्य अर्जुन तिवारी

28 दिसम्बर 2021
0
0
0

<p>*ईश्वर की बनाई यह सृष्टि बड़ी ही बिचित्र है ! यहाँ सब कुछ देखने को मिलता है ! यहाँ समाज का भला कर

18

आत्मनिरीक्षण - आचार्य अर्जुन तिवारी

11 जनवरी 2022
1
1
0

*हमारे पूर्वज सद्विचार एवं सद्भाव के माध्यम से समाज में स्थापित हुये | उनके आचार -;विचार , व्यवहार समाज के लिए प्रगतिशील थे | उसका कारण था कि वे समय-समय पर आत्म निरीक्षण करते रहते थे | यही आत्म निरीक्

19

हे इन्दर राजा कृपा करउ/ कविता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

15 सितम्बर 2022
1
0
0

*दिन भै पानी खुब बरस रहा ,* *मनई सब घरहिं लुकाय गये !**लागत है देवतन कै राजा ,* &nbs

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए