shabd-logo

मनुष्यों की करें पहचान :- आचार्य अर्जुन तिवारी

27 दिसम्बर 2021

32 बार देखा गया 32

*इस संसार में ईश्वर ने सभी जड़ चेतन को एक विशेष गुण प्रदान किया |  वही गुण उसको विशेष बनाते हैं | इस संसार में ईश्वर ने भाँति - भाँति के मनुष्यों की रचना की है | देखने में तो एक जैसे लगने वाले सभी मनुष्यों की मनोवृत्ति , आचार - विचार सब भिन्न-भिन्न होते हैं | कुछ लोग तो इतने सहृदय होते हैं कि उनको कुछ भी कहो परंतु उनकी सहृदयता बनी ही रहती है परंतु इसी समाज में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनमें दुष्टता कूट-कूट कर भरी होती हैं | ऊपर से बहुत ही सुंदर दिखने वाले यह लोग अंदर से बहुत ही काले होते हैं क्योंकि इनका हृदय ही काला होता है | नकारात्मकता इनमें कूट-कूट कर भरी होती है | ऐसे लोग स्वयं को बहुत ही बुद्धिमान समझते हुए जो भी कार्य करते हैं उस पर स्वयं ही प्रसन्न होते हैं | समाज के देखने में वह कार्य भले ही विपरीत हो परंतु ऐसे लोगों को लगता है कि मैंने जो किया बहुत अच्छा किया | उनके इस कार्य से देश ,  समाज या परिवार यदि टूटता भी है तो भी उनके ऊपर इसका कोई प्रभाव नहीं होता और वे अपने किए पर प्रसन्न होते रहते हैं | जैसे सोने के कलश में जहर भरा हो उसी प्रकार यह लोग ऊपर से तो बहुत चिकनी - चुपड़ी बातें करते हैं परंतु भीतर से वह सदैव तोड़ने वाला प्रयोग ही किया करते हैं | भारत के इतिहास में ऐसे अनेक लोग देखने को मिल जाते हैं जिन्होंने समाज एवं परिवार को तोड़ने का कार्य किया है ऐसे लोग अपने कृत्य पर थोड़ी देर के लिए भले ही प्रसन्न हो जाएं परंतु इनका परिणाम अंततोगत्वा दुखद ही होता है क्योंकि इनकी यह कूटनीति एवं छल बहुत दिन तक छुपा नहीं रह पाता और जब भी उजागर होता है तो समाज ऐसे लोगों को बहिष्कृत कर देता है | समाज से बहिष्कृत होने के बाद भी ऐसे लोग स्वयं की गलती को नहीं मानते हैं और समाज के ऊपर ही दोषारोपण करने लगते हैं , परंतु समाज जब ऐसे लोगों को पहचान लेता है तो उन्हें कभी भी अपने साथ बैठने का अवसर नहीं प्रदान करता |*


*आज ऐसे लोगों की अधिकतर समाज में दिखाई पड़ रही है जो ऊपर से तो बहुत सुंदर दिखते हैं , सुंदर-सुंदर बातें करते हैं और बहुत ही लच्छेदार उपदेश भी देते हैं परंतु इनकी मनोवृत्ति इतने सत्संग करने के बाद भी नहीं सुधर पाती | किसी के परिवार को तोड़ना सबसे बड़ा पाप कहा गया है परंतु ऐसे लोग यह पाप करने से भी नहीं घबराते | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" आज समाज में देख रहा हूं कि अनेकों ऐसे लोग टहल रहे हैं जो उसी परिवार में बैठते हैं और परिवार के मुखिया को अपना परम प्रिय भी बताते हैं परंतु उसी परिवार का जब कोई सदस्य परिवार से रूठ जाता है तो उसे समझा कर परिवार में वापस लाने के स्थान पर उस सदस्य को अलग रहने की व्यवस्था तुरंत कर देते हैं , और फिर उसी परिवार के मुखिया से यह भी कह देते हैं कि भाई ! जब वह परिवार छोड़कर निकला तो मैंने सोचा कि आपके परिवार का सदस्य है तो कहीं रहने की व्यवस्था कर दी जाए | विचार कीजिए ऐसे व्यक्ति आपके हितेषी हैं या फिर आप के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं | ऐसे व्यक्तियों की पहचान करके उनको स्वयं से अलग करने में ही भलाई होती क्योंकि सर्प को कितना भी दूध पिलाओ वह अपना स्वाभाविक गुण कभी नहीं छोड़ पाता |  जब भी अवसर मिलेगा वह दूध पिलाने वाले को ही डस लेता है | ऐसे लोग समाज के , परिवार के हितैषी कभी भी नहीं हो सकते हैं | इसलिए अपना हित और अहित देखकर प्रत्येक मनुष्य को कार्य करना चाहिए | जो भी मनुष्य ऐसे लोगों की पहचान नहीं कर पाता और उनकी लच्छेदार बातें सुनकर इस भ्रम में रहता है यह हमारा परम हितेषी है वही आगे चलकर पश्चाताप की अग्नि में जलता है |*


*प्रत्येक मनुष्य को ईश्वर ने विवेक दिया है | अपने विवेक से ऐसे लोगों की पहचान करके उनसे दूरी बना लेने में ही भलाई है अन्यथा एक दिन ऐसा आता है जब ऐसे लोगों की संगत में पड़कर मनुष्य स्वयं अकेला पड़ जाता है |*

article-image


19
रचनाएँ
AcharyaArjunTiwari
5.0
सनातन धर्म से जुड़े विषय
1

चाणक्य नीति

9 जनवरी 2018
0
0
0

♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻ ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏵 *जीवन - दर्शन* 🏵 🌺🌟🌺🌟🌺🌟🌺🌟🌺🌟🌺 *लालनाद् बहवो दोषास्त् ,* *ताडनाद् बहवो गुणाः।* *तस्मात्पुत्रं च शिष्यं च ,* *ताडयेन्न तु लालयेत् ॥* *अधिक लाड़ से अनेक दोष तथा अधिक ताड़न से गुण आते ह

2

दंडकारण्य का रहस्य

28 जनवरी 2018
0
1
0

🎄🌸🎄🌸🎄🌸🎄🌸🎄🌸🎄 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼 *सतयुग में राजा इक्ष्वाकु के 100 पुत्र उत्पन्न हुए | उन पुत्रों में सबसे छोटा मूर्ख और उद्‍दंड था | इक्ष्वाकु समझ गए कि इस मंदबुद्धि पर कभी न कभी दंडपात अवश्य होगा इसलिए वे उसे 'दंड' के नाम से पुकारने लगे | जब वह बड़ा

3

सुप्रभातम्

2 मई 2018
0
0
0

http://acharyaarj🍏🍎🍏🍎🍏🍎🍏🍎🍏 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्*‼ *अधिकतर लोग दिखावे के चक्कर में ही घनचक्कर बनकर घूमते रहते हैं। उनकी सोच बस दिखावे के सीमित दायरे में घूमती रहती है। हम इस धरती पर कुछ भी लेकर नहीं आए थे और जाते समय भी हाथ खाली ही होगे, फ़िर किसको और क्या दिखाना चाहते हैं? अगर पैसा अ

4

राम http://acharyaarjuntiwariblogspot.com/

2 मई 2018
1
0
0

5

शिखा धारण

10 सितम्बर 2018
0
0
0

*शिखा धारण करने का वैज्ञानिक महत्व 👇* *मस्तकाभ्यन्तरोपरिष्टात् शिरासम्बन्धिसन्निपातो रोमावर्त्तोऽधिपतिस्तत्रापि सद्यो मरणम् - सुश्रुत श. स्थान* *सरलार्थ »» मस्तक के भीतर ऊपर की ओर शिरा तथा सन्धि का सन्निपात है वहीं रोमावर्त में अधिपति है। यहां पर तीव्र प्रहार होने पर तत्काल मृत्यु संभावित है। शिख

6

एकादशी में चावल क्यों वर्जित है ? :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 नवम्बर 2020
1
0
0

🌻🌳🌻🌳🌻🌳🌻🌳🌻🌳🌻 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼*माता शक्ति क्रोध से भयभीत होकर मेधा ऋषि ने शरीर का त्याग करके धरती में समा गये एवं जौ तथा धान (चावल) के रूप में प्रकट हुए । इसलिए जौ एवं चावल को जीव माना गया है । जिस दिन यह घटना घटी उस दिन एकादशी थी ! जो लोग व्रत रहते हैं उनके लिए तो अन्न भ

7

भगवान की निद्रा का रहस्य :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 नवम्बर 2020
0
0
0

🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️ ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️🎈🌞🎈🌞🎈🌞🎈🌞🎈🌞🎈🌞*भगवान की निद्रा का रहस्य**जब भगवान ने वामन रूप में बलि का सर्वस्व हरण किया तो उसकी दानशीलता से प्रसन्न होकर भगवान ने उससे वरदान माँगने को कहा ! राजा बलि ने भगवान से कहा कि जब आपने हमें पाताल का राज्य दि

8

हमारे पितर :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 सितम्बर 2021
0
2
2

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

9

पितृपक्ष :- आचार्य अर्जुन तिवारी

27 सितम्बर 2021
1
1
2

<p>*सनातन धर्म संस्कृति में आश्विन कृष्ण पक्ष अर्थात पितृपक्ष का बड़ा महत्व है | ऐसा कहा जाता है कि

10

श्राद्ध की पूर्णता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

30 सितम्बर 2021
0
2
0

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

11

श्राद्ध में संकल्प का महत्व :- आचार्य अर्जुन तिवारी

2 अक्टूबर 2021
1
1
0

<p>*सनातन धर्म में श्राद्ध का बड़ा महत्त्व है | श्राद्ध शब्द श्रद्धा से बना है | मृतात्मा के प्रति श

12

अपने आचरण से पितरों को करें संतुष्ट :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

3 अक्टूबर 2021
0
1
0

<p>*सनातन धर्म ने मानव मात्र से मानवता का पाठ पढ़ाया है | जिसके अन्तर्गत प्रत्येक मनुष्य को यह भी प्

13

तर्पण से होती है पितरों को तृप्ति :- आचार्य अर्जुन तिवारी

4 अक्टूबर 2021
1
1
0

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

14

कब करें किसका श्राद्ध :- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 अक्टूबर 2021
0
1
0

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

15

बिना भक्ति के भव से पार नहीं होंगे :- आचार्य अर्जुन तिवारी

21 दिसम्बर 2021
0
0
0

<p><br></p> <p>*सुनु खगेस हरि भगति बिहाई !*</p> <p>*जे सुख चाहहिं आन उपाई !!*</p> <p>*ते सठ महासि

16

मनुष्यों की करें पहचान :- आचार्य अर्जुन तिवारी

27 दिसम्बर 2021
0
0
0

<p>*इस संसार में ईश्वर ने सभी जड़ चेतन को एक विशेष गुण प्रदान किया | वही गुण उसको विशेष बनाते

17

भितरघातियों से सावधान :- आचार्य अर्जुन तिवारी

28 दिसम्बर 2021
0
0
0

<p>*ईश्वर की बनाई यह सृष्टि बड़ी ही बिचित्र है ! यहाँ सब कुछ देखने को मिलता है ! यहाँ समाज का भला कर

18

आत्मनिरीक्षण - आचार्य अर्जुन तिवारी

11 जनवरी 2022
1
1
0

*हमारे पूर्वज सद्विचार एवं सद्भाव के माध्यम से समाज में स्थापित हुये | उनके आचार -;विचार , व्यवहार समाज के लिए प्रगतिशील थे | उसका कारण था कि वे समय-समय पर आत्म निरीक्षण करते रहते थे | यही आत्म निरीक्

19

हे इन्दर राजा कृपा करउ/ कविता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

15 सितम्बर 2022
1
0
0

*दिन भै पानी खुब बरस रहा ,* *मनई सब घरहिं लुकाय गये !**लागत है देवतन कै राजा ,* &nbs

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए