shabd-logo

कब करें किसका श्राद्ध :- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 अक्टूबर 2021

28 बार देखा गया 28


article-image

*सनातन धर्म में पर्व एवं विशेष दिनों का बड़ा महत्व हैं | इन्हीं विशेष दिनों में अपने पितरों के लिए तर्पण करने का अवसर हमको पितृपक्ष में मिलता है |  सनातन धर्म के मानने वाले सभी लोग अपने पितरों को तृप्त करने के लिए आश्विन कृष्ण पक्ष में प्रतिदिन तर्पण एवं श्राद्ध करते हैं , परंतु विशेष जानकारी न होने के कारण उनको श्राद्ध एवं तर्पण का यथोचित फल नहीं प्राप्त हो पाता ,  और उनके पितर संतुष्ट नहीं हो पाते |  किस का श्राद्ध कब करें ? इसके विषय में हमारे शास्त्रों में लिखा है कि जिन व्यक्तियों की सामान्य एवं स्वाभाविक मृत्यु चतुर्दशी को हुई हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को कदापि नहीं करना चाहिए , बल्कि पितृपक्ष की त्रयोदशी अथवा अमावस्या के दिन उनका श्राद्ध करना चाहिए | जिन व्यक्तियों की अपमृत्यु हुई हो , अर्थात किसी प्रकार की दुर्घटना , सर्पदंश , विष , शस्‍त्रप्रहार , हत्या , आत्महत्या या अन्य किसी प्रकार से अस्वा‍भाविक मृत्यु हुई हो , तो उनका श्राद्ध मृत्यु‍ तिथि वाले दिन कदापि नहीं करना चाहिए | अपमृत्यु वाले व्यक्तियों को श्राद्ध केवल चतुर्दशी तिथि को ही करना चाहिए , चाहे उनकी मृत्यु किसी भी ति‍थि को हुई हो | सौभाग्यवती स्‍त्रियों की अर्थात पति के जीवित रहते हुए ही मरने वाली सुहागिन स्‍त्रियों का श्राद्ध भी केवल पितृपक्ष की नवमी तिथि को ही करना चाहिए , चाहे उनकी मृत्यु किसी भी ति‍थि को हुई हो | संन्यासियों का श्राद्ध केवल पितृपक्ष की द्वादशी को ही किया जाता है , चाहे उनकी मृत्यु किसी भी तिथि को हुई हो | नाना तथा नानी का श्राद्ध भी केवल अश्विन शुक्ल प्रतिपदा को ही करना चाहिए , चाहे उनकी मृत्यु किसी भी तिथि में हुई हो | स्वाभाविक रूप से मरने वालों का श्राद्ध भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा अथवा आश्विन कृष्ण अमावस्या को करना चाहिए | इसके अतिरिक्त पितरों की मृत्यु तिथि का विशेष ध्यान भी रखते हुए श्राद्ध सम्पन्न करे | इस प्रकार अपने पितरों की विशेष तिथि जानकर यथासमय उनका श्राद्ध करके हम उनको संतुष्ट कर सकते हैं और पितर संतुष्ट होकर हमको अनेक प्रकार के आशीर्वाद देकर पितृलोक को गमन करते हैं |*

*आज लोग श्राद्ध करते हैं तर्पण भी नित्य करते हैं परंतु कहीं ना कहीं से उनको इसका यथोचित फल नहीं मिल पा रहा है | इसका एक ही कारण है कि हम आज आधुनिक हो गए हैं | अपने पितरों की मृत्यु तिथि नहीं याद रख पा रहे हैं | अंग्रेजी कैलेंडर की तारीख तो हम लिख कर रख लेते हैं परंतु सनातन धर्म के अनुसार उन तिथियों को नहीं याद रख पाते हैं जिन तिथि को हमारे पितरों की मृत्यु हुई होती है | मेरा "आचार्य अर्जुन तिवारी" का मानना है कि यही कारण है कि सब कुछ करने के बाद भी हमको पितरों की ओर से कष्ट ही मिल रहा है | कुछ लोग यह भी कहते हैं कि श्राद्ध एवं तर्पण करने से मतलब है वह चाहे जिस दिन कर दिया जाये | ऐसा कहने वालों को यह बात ध्यान रखना चाहिए कि जिस प्रकार प्रत्येक देवी -  देवता का एक विशेष दिन होता है उसी प्रकार पितरों की तिथि भी महत्वपूर्ण होती है | अन्य दिनों में किए गए पूजा पाठ की अपेक्षा विशेष दिनों में किया गया अनुष्ठान जिस प्रकार अधिक फल प्रदान करता है उसी प्रकार पितरों की तृप्ति के लिए पितृपक्ष में किया जाने वाला श्राद्ध मृत्युतिथि पर करने पर अधिक फलदायी होता है , और इससे पितर संतुष्ट होकर के हम को आशीर्वाद प्रदान करते हैं | प्रत्येक मनुष्य को अपने पितरों की मृत्यु तिथि अवश्य जानना चाहिए क्योंकि बिना तिथि विशेष के किया हुआ श्राद्ध पितरों को संतुष्ट नहीं कर पाता और पितर असंतुष्ट होकर के अनेक प्रकार की व्याधियाँ उत्पन्न करते हैं | दिन विशेष एवं तिथि विशेष का बड़ा ही महत्व है , प्रत्येक मनुष्य को यह चाहिए कि जिस प्रकार वह अपनी एवं अपने बच्चों की जन्म तिथि सहेज कर रखता है उसी प्रकार अपने पितरों की मृत्यु तिथि भी सहेज कर रखें जिससे कि उस विशेष दिन पर श्राद्ध करके पितरों को संतुष्ट किया जा सके |*

*हमारे पितर हमारे लिए उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितना हमारे परिवार के जीवित स्वजन | हमें अंग्रेजी तारीख की अपेक्षा उनकी मृत्यु तिथि को सहेजने का प्रयास करना चाहिए जो अधिकतर लोग नहीं कर पा रहे हैं |*

19
रचनाएँ
AcharyaArjunTiwari
5.0
सनातन धर्म से जुड़े विषय
1

चाणक्य नीति

9 जनवरी 2018
0
0
0

♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻ ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏵 *जीवन - दर्शन* 🏵 🌺🌟🌺🌟🌺🌟🌺🌟🌺🌟🌺 *लालनाद् बहवो दोषास्त् ,* *ताडनाद् बहवो गुणाः।* *तस्मात्पुत्रं च शिष्यं च ,* *ताडयेन्न तु लालयेत् ॥* *अधिक लाड़ से अनेक दोष तथा अधिक ताड़न से गुण आते ह

2

दंडकारण्य का रहस्य

28 जनवरी 2018
0
1
0

🎄🌸🎄🌸🎄🌸🎄🌸🎄🌸🎄 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼♻🌼 *सतयुग में राजा इक्ष्वाकु के 100 पुत्र उत्पन्न हुए | उन पुत्रों में सबसे छोटा मूर्ख और उद्‍दंड था | इक्ष्वाकु समझ गए कि इस मंदबुद्धि पर कभी न कभी दंडपात अवश्य होगा इसलिए वे उसे 'दंड' के नाम से पुकारने लगे | जब वह बड़ा

3

सुप्रभातम्

2 मई 2018
0
0
0

http://acharyaarj🍏🍎🍏🍎🍏🍎🍏🍎🍏 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्*‼ *अधिकतर लोग दिखावे के चक्कर में ही घनचक्कर बनकर घूमते रहते हैं। उनकी सोच बस दिखावे के सीमित दायरे में घूमती रहती है। हम इस धरती पर कुछ भी लेकर नहीं आए थे और जाते समय भी हाथ खाली ही होगे, फ़िर किसको और क्या दिखाना चाहते हैं? अगर पैसा अ

4

राम http://acharyaarjuntiwariblogspot.com/

2 मई 2018
1
0
0

5

शिखा धारण

10 सितम्बर 2018
0
0
0

*शिखा धारण करने का वैज्ञानिक महत्व 👇* *मस्तकाभ्यन्तरोपरिष्टात् शिरासम्बन्धिसन्निपातो रोमावर्त्तोऽधिपतिस्तत्रापि सद्यो मरणम् - सुश्रुत श. स्थान* *सरलार्थ »» मस्तक के भीतर ऊपर की ओर शिरा तथा सन्धि का सन्निपात है वहीं रोमावर्त में अधिपति है। यहां पर तीव्र प्रहार होने पर तत्काल मृत्यु संभावित है। शिख

6

एकादशी में चावल क्यों वर्जित है ? :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 नवम्बर 2020
1
0
0

🌻🌳🌻🌳🌻🌳🌻🌳🌻🌳🌻 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼*माता शक्ति क्रोध से भयभीत होकर मेधा ऋषि ने शरीर का त्याग करके धरती में समा गये एवं जौ तथा धान (चावल) के रूप में प्रकट हुए । इसलिए जौ एवं चावल को जीव माना गया है । जिस दिन यह घटना घटी उस दिन एकादशी थी ! जो लोग व्रत रहते हैं उनके लिए तो अन्न भ

7

भगवान की निद्रा का रहस्य :- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 नवम्बर 2020
0
0
0

🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️🏵️⚜️ ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️🎈🌞🎈🌞🎈🌞🎈🌞🎈🌞🎈🌞*भगवान की निद्रा का रहस्य**जब भगवान ने वामन रूप में बलि का सर्वस्व हरण किया तो उसकी दानशीलता से प्रसन्न होकर भगवान ने उससे वरदान माँगने को कहा ! राजा बलि ने भगवान से कहा कि जब आपने हमें पाताल का राज्य दि

8

हमारे पितर :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

25 सितम्बर 2021
0
2
2

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

9

पितृपक्ष :- आचार्य अर्जुन तिवारी

27 सितम्बर 2021
1
1
2

<p>*सनातन धर्म संस्कृति में आश्विन कृष्ण पक्ष अर्थात पितृपक्ष का बड़ा महत्व है | ऐसा कहा जाता है कि

10

श्राद्ध की पूर्णता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

30 सितम्बर 2021
0
2
0

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

11

श्राद्ध में संकल्प का महत्व :- आचार्य अर्जुन तिवारी

2 अक्टूबर 2021
1
1
0

<p>*सनातन धर्म में श्राद्ध का बड़ा महत्त्व है | श्राद्ध शब्द श्रद्धा से बना है | मृतात्मा के प्रति श

12

अपने आचरण से पितरों को करें संतुष्ट :-- आचार्य अर्जुन तिवारी

3 अक्टूबर 2021
0
1
0

<p>*सनातन धर्म ने मानव मात्र से मानवता का पाठ पढ़ाया है | जिसके अन्तर्गत प्रत्येक मनुष्य को यह भी प्

13

तर्पण से होती है पितरों को तृप्ति :- आचार्य अर्जुन तिवारी

4 अक्टूबर 2021
1
1
0

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

14

कब करें किसका श्राद्ध :- आचार्य अर्जुन तिवारी

5 अक्टूबर 2021
0
1
0

<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425142f7ed561c89

15

बिना भक्ति के भव से पार नहीं होंगे :- आचार्य अर्जुन तिवारी

21 दिसम्बर 2021
0
0
0

<p><br></p> <p>*सुनु खगेस हरि भगति बिहाई !*</p> <p>*जे सुख चाहहिं आन उपाई !!*</p> <p>*ते सठ महासि

16

मनुष्यों की करें पहचान :- आचार्य अर्जुन तिवारी

27 दिसम्बर 2021
0
0
0

<p>*इस संसार में ईश्वर ने सभी जड़ चेतन को एक विशेष गुण प्रदान किया | वही गुण उसको विशेष बनाते

17

भितरघातियों से सावधान :- आचार्य अर्जुन तिवारी

28 दिसम्बर 2021
0
0
0

<p>*ईश्वर की बनाई यह सृष्टि बड़ी ही बिचित्र है ! यहाँ सब कुछ देखने को मिलता है ! यहाँ समाज का भला कर

18

आत्मनिरीक्षण - आचार्य अर्जुन तिवारी

11 जनवरी 2022
1
1
0

*हमारे पूर्वज सद्विचार एवं सद्भाव के माध्यम से समाज में स्थापित हुये | उनके आचार -;विचार , व्यवहार समाज के लिए प्रगतिशील थे | उसका कारण था कि वे समय-समय पर आत्म निरीक्षण करते रहते थे | यही आत्म निरीक्

19

हे इन्दर राजा कृपा करउ/ कविता :- आचार्य अर्जुन तिवारी

15 सितम्बर 2022
1
0
0

*दिन भै पानी खुब बरस रहा ,* *मनई सब घरहिं लुकाय गये !**लागत है देवतन कै राजा ,* &nbs

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए