"पुरी दुनिया मे अफरा तफरी का माहोल है।एक अनजान बीमारी से पूरी दुनियामें मौत का भवंडर उठा है।जहा देखो वहा बस तबाही का मंजर दिखाई पड़ रहा है। दुनियाकी सरकारे गिर गई हे। लोग अपने आपको इंसानों से दूर ले जा रहे हे। दुकानें लुट कर सामानों की चोरी हो रही हैं। कही ५० ६० लोग मिलकर दुनिया से अलग पहाड़ी में नया कस्बा बना रहे है। और इस तरह पूरी दुनिया छोटे छोटे भागो में बट रही है।" टीवी पर मुस्कील से एक चैनल चल रहा था।जो पिछले 20 दिनों से एक ही रिकॉर्डिंग दोहरा रहा था।
मानव की धड़कने तेज हो रही थी। जरुरी सामान आ चुका था।मानव और उसके दो दोस्त आखरी बार सामान चेक कर रहे है।रात के बारा बजे का टिंग टोंग दीवार पर टंगी कई साल पुरानी टाइटन की घड़ी में बजा। आखिर वो वक्त आ ही गया जब मानव को जहा अपना यौवानी तक का सफर तय किया उस घर को छोड़ना पड़ रहा था। शाश्वत ने गाड़ी का हॉर्न बजाया। मानव ने आखरी बार घर पर नज़र दौड़ाई। कौने में पड़े अपने स्कूल बैग को देखा... और बहुत समय से संभाला हुआ अश्रु का बांध टूट गया!! 12.30 बजे एक 2000km लंबी मुसफरी का आगाज़ हुआ। मानव कार चला रहा था।गाड़ी में घातक शांति छाई हुई थी। गाड़ी गलियों से निकल कर मुख्य सड़क पर पहुंची।
एक समय पर कभी न सोने वाला सिटी आज सुमसाम था। चारों ओर सन्नाटा और घना अंधेरा छाया हुआ था। ना कुत्तों की भौंकने की आवाज सुनाई पड़ रही थी। ना ही कोई चमगादड़ दिखाई दे रहा था। मानो भगवान ने पृथ्वी पर से सब खत्म करने की ठान ही लि है।मानव कार चला रहा था। एक जगह बीच में दो गड़िया रास्ता ब्लॉक करके खड़ी थी। तीनो ने 10मिनट के मशक्कत के बाद रास्ता खुल्ला किया। फिर से एक अनचाहा अंजान और डरावना सफर शरू हो चुका था।शहर से निकल कर कार हाईवे पर आ चुकी थी। तीनो ने कुछ राहत की सास ली।
थोड़े घंटो तक अंजान सन्नाटे में कार चलाने के बाद मानव के दोस्त गोपाल ने कार चलाना शुरू किया और मानव बाजू वाली सीट पर बैठे बैठे अपने अतीत में खो गया। जानलेवा बीमारी की वजह से 6 महीने पहले मानव के पूरे परिवार की मौत हो गई थी। 1 साल से चल रही ए बीमारी ने पूरी दुनिया की अस्सी फीसदी आबादी को मौत के घाट उतार दिया था। किसी को इसका इलाज नहीं मिल रहा था। बस एक अमेरिका और रूस ही ऐसे देश थे जिसमे अभी तक ए बीमारी नही फैली थी।इसलिए दोनो देशों ने अपनी सभी बॉर्डर भी दूसरे लोगो के लिए बंध कर दी थी।
देखते देखते सब खत्म हो गया। मानव अभी १९ साल का है जो डॉक्टर की पढ़ाई कर रहा था।उसके दोनो दोस्त उसी के कॉलेज में पढ़ रहे थे। तीनो अपने परिवार को खोने के बाद एक साथ रहने लगे। पर जब उन्हें लगाकि अब ज्यादा दिन का खाना पानी नहीं बचा तो यहां से दूर जाने का फैसला लिया। शाश्वत को फोन पर कही से खबर मिली थी की दक्षिण में एक अमीर इंसान ने रहने के लिए टापू पर अलग शहर बसाया था। पर उसकी भी मौत हो गई और अब ये टापू ऐसे ही पड़ा है। तीनो ने तीन दिन का विचार कर वहा जाने का फैसला लिया था।तीनो को पता था ये उसकी जिंदगी का सबसे अहम सफर होने वाला है। इसकी दो ही मंजिल थी या तो आइलैंड पर पहुंचना है या फिर अपने परिवार के पास।
अर्जित सिंह के गाने के साथ मानव की तंद्रा टूट गई। पूर्व में से सुरज की हल्की किरण निकल रही थी।पूरी कार सुनहरे लाल रंगो से भर चुकी थी।