पत्थर तब तक सुरक्षित है जब तक वो पर्वत से जुड़ा है,
पत्ता तब तक सुरक्षित है जब तक वो पेड़ से जुड़ा है
और इंसान तब तक सुरक्षित है जब तक परिवार से जुड़ा है,
क्योंकि परिवार से अलग होकर आजादी तो मिल जाती है,
लेकिन संस्कार चले जाते हैं।
आचार्य चाणक्य