यह संसार, यह शरीर, सुख-दुख सब परिवर्तनशील हैं। इस कारण मानव को व्रत और वेदांत दोनों की आवश्यकता होती है और होती रहेगी। व्रत और वेदांत हर परिस्थिति में मानव का संबल बनते हैं। आपने पढ़ा कि-वर्ष में २४ एकादशी व्रत होता है और २४ प्रदोष व्रत होता है। जिनमे की अलग-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष को वार के उस नाम से जाना जाता है, इन व्रतों में एकादशी व्रत भगवान विष्णु को तो प्रदोष व्रत शिवजी को समर्पित है। इसी प्रकार सप्ताह के सात दिन में सात व्रत होती है|
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