आजकल लोग बीमारियों के शिकार अधिक क्यों हैं ? अधिकांश लोग खाना न पचना, भूख न लगना, पेट में वायु बनना, कब्ज आदि पाचन संबंधी तकलीफों से ग्रस्त हैं और इसीसे अधिकांश अन्य रोग उत्पन्न होते हैं । पेट की अनेक
हानिकारक हैं एल्युमिनियम के बर्तन विभिन्न प्रयोगों के आधार पर वैज्ञानिकों ने कहा है कि एल्युमिनियम के बर्तनों से शरीर में एक प्रकार का जहर फैलता है जिसका मनुष्य की पाचनक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव प
1.दही , छाछ , पापड़, गुड़, तलेहुए व उडद से बने पदार्थ, अचार , पनीर , मिठाई , चावल , सुखामेवा , आलू , टमाटर, नींबू , चना, राजमा, चौलाई, सेम, ग्वारफली, अरवी , मक्का, चिकने भारी पदार्थ, मैदे व दूध से बने प
मसालेदार चटपटा खाना खानास्मोकिंग, शराब और दूसरे नशे करनालम्बे समय तक ख़ाली पेट रखनारात का भोजन सही समय पर नही करनाख़ाली पेट चाय का सेवन करना शरीर में गर्मी बढ़ जानाएसिडिटी के लक्षण पेट मे
घृतकुमारी शरीर गत दोषों व मल के उत्सर्जन के द्वारा शरीर को शुद्ध व सप्तधातुओं को पुष्ट कर रसायन का कार्य करती है I विविध त्वचा विकार, पीलिया, रक्ताल्पता, कफजन्य ज्वर, हड्डियों का बुखार, नेत्ररोग,
1.हरड़ और सोंठ को 3-3 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ लेने से यूरिक एसिड में लाभ होता है। यूरिक एसिड का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार 1.रोग का उपचार करने के लिए सबसे पहले शरीर में जमा यूरिक एसि
1- 10 से 12 नीम के पत्तों को एक गिलास पानी में भली-भांति उबालकर छान लें। ठंडा होने पर इससे गरारे करें। नीम जलन व दर्द को शांत करता है, तथा रोगाणु रोधक है। इसके नियमित प्रयोग से मुख की आंतरिक शुद्धि हो
1.बड़े चम्मच हल्दी में पर्याप्त मात्रा में पानी मिलाकर पेस्ट बनाएं. इसे अपने तलवों पर अच्छी तरह लगाएं. 5 मिनट ऐसे ही रहने दें और फिर इसे अच्छी तरह धो लें ।पैरों में जलन की दवा अगर कोई है तो सेंधा नमक
शरीर को स्वस्थ व मजबूत बनाने के लिए प्रोटीन्स, विटामिन्स व खनिज (minerals) युक्त पोषक पदार्थो की आवश्यकता जीवनभर होती है | विभिन्न आयुवर्गो हेतु विभिन्न पोषक तत्त्व जरुर्री होते है, किस उम्र में
राई कफ एवं वायु नाशक, तीक्ष्ण, उष्ण, रक्तपित्तकारक, पाचन में सहायक, खुजली व कृमि को दूर करनेवाली होती है। जोड़ों की सूजन एवं दर्द, पसलियों में दर्द, स्नायुओं की कमजोरी आदि रोगों में राई के तेल की मालि
1. कान में सीटी की आवाज सुनाई देने पर अदरक और लहसुन का रस बराबर की मात्रा में लेकर गुनगुना गर्म कर लें और फिर 2-3 बून्द कानो में रात को सोते समय पर डाले और ऊपर से कान में रुई लगाकर सो जाये. इस तर
1. खुलकर भूख लगने पर ही अल्प मात्रा में सुपाच्य व सात्विक भोजन करें। अपना खान पान व शयन का समय जैविक घड़ी पर आधारित दिनचर्या के अनुसार रखें। शाम के भोजन व सोने के समय में २ से ३ घंटे का अंतर रखें।2. आ
1.दस्त लगने पर पांच ग्राम जीरा ले और इसे भून कर पीस ले और दही या दही से बनी हुई लस्सी के साथ इसका सेवन करने पर कुछ ही देर में आराम मिल जाता है और अगर दस्त के साथ पेट में मरोड़ भी उठ रही हो तो जीरे के ब
जोड़ों का दर्दः आक की बंद कलियाँ, अडूसे के सूखे पत्ते, काली मिर्च और सोंठ सभी को समान मात्रा में मिलाकर कूट पीस लें और इसमें पानी के छींटे मारकर मटर के बराबर गोलियाँ बना लें। एक गोली सूर्यास्त के
बल, बुद्धि व पुष्टि दायक कद्दू के बीज पका हुआ कद्दू (कुम्हड़ा या पेठा) त्रिदोषशामक एवं अमृत के समान है। इसके बीज बादाम के समान गुणकारी हैं। ये पौष्टिक, बल-वीर्यवर्धक धारणाशक्ति बढ़ानेवाले, मस्तिष
1-2 बार कपड़े से छानकर गाय के मूत्र (गौझरण अर्क ) में थोड़ी-सी हल्दी मिलाकर पिलाना कफ (बलगम)-खांसी में फायदेमंद होता है।अदरक को छीलकर मटर के बराबर उसका टुकड़ा मुख में रखकर चूसने से कफ (बलगम) आसानी से नि
हाथ पैर सुन्न होने का कारण - अंग के सुन्न होने या झनझनाहट का मुख्य कारण वहां रक्त संचार की कमी है। जब शरीर के किसी भी अंग में अधिक समय तक दबाव होता है या रक्त संचार ढंग से नहीं होता तो शरीर की नसों पर
5 तुलसी पत्ते , खुबकला 3 ग्राम , 3 अंजीर , 7 मुनका का काढ़ा बना के पिलाये सुबह शाम |गिलोय का काढ़ा 1 तोला को आधा तोला शहद में मिलाकर दिन में 2-3 बार पिलाना लाभकारी है । नीम के बीज पीसकर 2-2 घंटे क
1. अजवायन को बछड़े के मूत्र में भिगोकर शुष्क कर लें । इसे थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सेवन कराने से जलोदर में लाभ हो जाता है । 2. पुनर्नवा की जड़ 10 ग्राम को गोमूत्र 20 ग्राम में पीसकर सुबह-शाम
5 ग्राम सूखा धनिया, 2 ग्राम कालानमक, 1 ग्राम हींग और 5 ग्राम अजवायन को मिलाकर चूर्ण बनाकर दिन में 3-4 बार सेवन करना चाहिए। इससे छाती की जलन दूर होती है।गाजर को उबालकर उसमें शहद मिलाकर सेवन करने से छात