लिखा जिससे ,मेरा नसीब,
वो कलम थी क्या ?
या कोई तहजीब,
क्या उसकी करामात ,है,,कि,,,
,या तकदीर ही ऐसी थी,
बात है जी,
थोडी सी खुशिया ,
बहुत पल दुख के ,
लिखे थे उसने,
या मैने खुद से,
क्यू मुझको सब ,
समझ न आया,
यह कैसी है ,
उसकी माया,
चल खुद पर ,
यकीन ही कर ले,
कर मेहनत ,
तकदीर बदल ले,
कर मेहनत ,
तकदीर बदल ले।(2)
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संदीप शर्मा।