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तेरी चाहत की धनक

9 मार्च 2022

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तुम्हारी आँखों से बहती  चाहत में नहा लूँ
तुम्हारी आवाज़ की धनक में नग्में सुनूँ 
सज़ल नैनरथ में बरसों से ये ख़्वाब पले
 
काया ओढूँ तेरी तन पर मेरे प्रीत का शृंगार करूँ, उर पर बैठा नुक्ता गुदगुदाए 
धड़कन की तान पर जब तेरे नाम की सितार बजे।

साँसे हे संदली मेरी आँखों का रंग बादामी, याद तुम आते ही गालों पर हया की मैरून मेहंदी रचे।

उठे दिल की अंगीठी में अगन जब दिल से दिल मिलने हेतु मुस्कान का मदहोश सेतु सजे। 

जुड़े से फिसले लट जो चार गेसू की
तुम्हारी ऊँगलीयों की शरारत पर  मेरे नैना बड़े तंज कसे।

बेकल आँखे तुझे हर जगह ढूँढे है तेवर मेरे आजकल कुछ बदले बदले बारिश की बोली में तेरी आवाज़ ढूँढे।

पाजेब की कोशिश है मन से जो रूनझुन उठे वो दीवानी बनकर पिया तुम्हारे दिल तक पहुँचे बस इतनी सी दिल में आस पले।
#भावु
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रचनाएँ
"शृंगार रस"
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प्यार इश्क मोहब्बत की परिभाषा
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तुम्हारी आँखों से बहती चाहत में नहा लूँतुम्हारी आवाज़ की धनक में नग्में सुनूँ सज़ल नैनरथ में बरसों से ये ख़्वाब पले काया ओढूँ तेरी तन पर मेरे प्रीत का शृंगार करूँ, उर पर बैठा नुक्ता गुद

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