मुखौटा लगाये हुए लोग दुनिया में घूम रहे हैं।
मुंह में राम बगल में छुरी को मुकाम दे रहे हैं।।
हर वक्त डर लगता है अनजान लोगों से।
विश्वास का कत्ल हो गया कुछ सदियों से।।
अनजान ही पहचान वाले भी बदल गये है।
बदलते चेहरे धोखाधड़ी कर रहे हैं।।
हर राह पर लोग चलते हुए डर रहे हैं।
मुंह में राम बगल में छुरी को मुकाम दे रहे हैं।।
मुखौटे सुंदर बहुत है मन को आकर्षित करते हैं।
इसके पीछे शैतान खड़ा है हम उससे डरते हैं।।
डर लगता है बदलते मुखौटे छल-कपट कर रहे हैं।
अपने ही अपनों को बर्बाद कर रहे हैं।
दुनिया से भरोसा का खून कर रहे हैं।
मुंह में राम बगल में छुरी को मुकाम दे रहे हैं।।
मैं मानवता के बीज बोने की कोशिश कर रहा हूं।
हर राह कांटों की राह पर चलने की कोशिश कर रहा हूं।
थका तो नहीं लेकिन आत्मविश्वास खो रहा हूं।
कोई मिले मानव तलाश में नीर से नयन धो रहा हूं।
हर तरफ मुखौटे सुंदर बन लोगों को छल रहे हैं।
मुंह में राम बगल में छुरी को मुकाम दे रहे हैं।।
पहन मुखौटे शिक्षा को व्यापार बना रहे हैं।
लोगों की भावनाओं को जुल्म और अत्याचार का हथियार बना रहे हैं।
सियासत के रक्षक मुखौटे पहन घूम रहे हैं।
देश को भ्रष्टाचार और घूसखोरी को लूट रहे हैं।
हर तरफ मनुज के दुख के आंसू फूट रहे हैं।
मुंह में राम बगल में छुरी को मुकाम दे रहे हैं।।