मनुष्य की जिंदगी में नारी का बहुत ही बडा योगदान है। नारी के बिना इस दुनिया में गृहस्थी रूपी गाड़ी नहीं चल सकती है।
"नर और नारी गृहस्थी रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं जिनमें से एक अलग हो जाते तो गृहस्थी की गाड़ी डगमगा जाती है।"
प्राचीनकाल से ही नारी का दुरूपयोग किया गया है। उसे सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा बनकर जीना जैसे की तिरस्कारपूर्ण रवैयों का सामना करना पड़ता था।
यदि कोई नारी विधवा हो जाती थी तो उसे आजीवन विधवा रहकर अपनी जिंदगी काटनी पड़ती थी।
यह एक नारी के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात होती थी।
सती प्रथा के अंतर्गत यदि किसी नारी से पहले उसके पति की मौत हो जाती थी तो उसे सती का नाम देकर जिंदा ही जला दिया जाता था।
इसी तरह वर्तमान में देखा जाये तो की ऐसे महत्वपूर्ण तथ्य है जिनमें नारी के साथ बहुत भेदभाव झेलना पड़ता है।
सरकार के प्रतिबंध के बाबजूद भी आज के लोग लिंग की जांच करवाकर लड़की का पता चलने पर भ्रुण को खत्म करवा देते हैं। यह नारी के जीवन के साथ सबसे बड़ा भेदभाव होता है।
इसके अलावा जब एक घर में लड़का और लड़की साथ होते हैं तो लड़के को लड़की की अपेक्षा अधिक महत्व दिया जाता है और लड़की को सुविधाएं लड़के की अपेक्षा बहुत ही कम होती है।
हालांकि इस व्यवस्था में शहरों में थोड़ा परिवर्तन हुआ है लेकिन गांव के लोग आज भी इस दुर्व्यवहार का सहारा लेते हैं।
गांव के लोग एक लड़की को शिक्षित करना भी उचित नहीं समझते हैं। बचपन से ही उसके अंदर घर-गृहस्थी के संस्कार डाल दिए जाते हैं।और इन सभी थोपी जाने वाली प्रथाओं को वह हंसते हंसते सह जाती है।
इसके अलावा एक लड़की को हमेशा से पराये घर की वस्तु समझा जाता है इसलिए उसके साथ बहुत ही भेदभाव किया जाता है। वह इस भेदभाव को अपने पीहर से सहती हुई जाती है और उसको वह ससुराल में भी जाकर झेलती रहती है।
शादी के समय उसके लिए सामर्थ्य के अनुसार खर्च कर दिया जाता है लेकिन कभी भी किसी मनुष्य ने उसे बराबरी का विभाजन नहीं किया।
वह अपनी पुत्र संतानों से हटकर ही दुर्भाग्यपूर्ण व्यवहार झेलती है।
एक लड़की की शादी के समय उसके पति और ससुराल वाले उसके पिता के द्वारा दी गई दहेज से प्रसन्न या संतुष्ट हो गये तो सही है नहीं तो उसे जिन्दगी भर दहेज के लिए प्रताडना झेलनी पड़ती है
वह दहेज के कारण इतनी प्रताड़ना झेलती हैं कि या तो उसे आत्महत्या करने को मजबूर होना पड़ता है या उसे उसके ससुराल वालों के द्वारा मार दिया जाता है।
इसके अलावा आज के लोगों द्वारा झूठे प्रेम जाल के खेल खेलें जा रहे हैं । समाज की भोली भाली लड़कियों को प्रेम के जाल में फंसाकर उनका शारीरिक शोषण किया जाता है और उसके बाद उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाता है।
इसके अलावा कुछ हवस के पुजारी निर्भया के जैसे दरिंदगी के केसों को अंजाम देते हैं जो एक समाज के लिए बहुत ही निंदनीय बात है।
ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले लोग खुलेआम घूमते रहते हैं और पीड़िता के परिवार को बड़ी मशक्कत के बाद न्याय मिलता है या कुछ लड़कियों के परिवार न्याय नहीं मिलने के कारण अपनी जिंदगी खत्म कर लेते हैं और कुछ झूठे लोग उन राक्षसों का साथ देने से नहीं चूकते हैं।
समाज में संविधान के आने से पहले कुछ महान रचनाकारों ने नारी को इतना हीन समझा रखा था कि उसे प्रताड़ित करने के लायक बता रखा था।
इन सभी कारणों को पढ़कर एक नारी को संविधान और संविधान के निर्माताओं की हर सुबह पूजा करनी चाहिए क्योंकि आज अगर संविधान नहीं होता तो नारी का भविष्य उसके घिनौने अतीत से ज्यादा भयंकर होता।
आज इतने अधिकार मिलने के बाद भी नारी का इतना शोषण होता है कि एक साधारण मनुष्य का दिल कांपने लगता है।
बालात्कार , आत्महत्या और महिलाओं का व्यवसाय करने वाली घटनाएं मानव जाति को कुत्सित करने के लिए कम नहीं है।
इस समय जब अखबार के पन्नों पर बच्चियों के साथ होने बालात्कार की घटनाओं को पढ़ता हूं तो मेरी आंखों से आंसू बहने लगते हैं और दिल कांपने लगता है कि बहसी दरिंदे अपने जीवन में ईश्वर के द्वारा दिये गये दंड से बिलकुल नहीं डरते हैं।
उन्हें ऐसे पाप करने में तनिक भी शर्म नहीं आती कि वे इस तरह के घिनौने काम करने से बिलकुल भी पीछे नहीं हटते हैं।
आज इतने अधिकार और न्याय व्यवस्था होने के बाद भी नारी के साथ बहुत ही अत्याचार हो रहे।
इसलिए नारीवाद का सहारा लेकर लोगों ने नारी के साथ हमेशा ही दुर्व्यवहार किया है और उसके हक और अधिकारों का दुरूपयोग हुआ है।