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सभ्यता संस्कृति अभी जिंदा है

14 सितम्बर 2022

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बसती हूं अब भी गांवों में,
लोग मुझे अपनाते हैं।
तीज और त्यौहारों पुरवा(गांव)जन,
मेरा रंग दिखाते हैं ।

अभी भी जीवित हूं रिश्तों में,
छोटे बड़े का सम्मान यहां।
मेरी जान निकली शहरों में,
थोड़ी सी सांस बची है यहां।।

ज्यादा सांसे बची नहीं अब,
लोग जमीर को बेच रहे।
निज हित की खातिर मेरे प्यारे,
कौड़ी के दाम मुझे बेच रहे।।

मैं चाहती हूं जीना मेरे देश में,
मुझे संभालों तुम यारो।
गंदी हवा मत घुलने दो टोला(गांव) में,
शहरों की हवा रोको यारों।।

खुशियां कितनी होती उपवन में,
हर डाल पर फूल खिले रहते।
भंवरों की खुशियां अनुपम थी,
हर डाल डाल मधुकर रमते।

आज उदास हो गई चौपालें,
कुछ शेष बचा है जो निभा रहे।
जर्जर बातों में दम नहीं दिखता,

पूर्वजों के वचन निभा रहे।।

होली में रंग होता गहरा,
दीवाली दीपों भरी होती।
राखी बंधन निभाने में,
कभी भी भूल नहीं होती।।

प्रकृति के हर रूप की पूजा,
होती थी यहां की गलियों में।
हर जन जोश उल्लास भरा,
प्रेम दया करुणा रखता था दिल में।।

अब पुरवा में कुछ रंग शेष,
अवशेष मिलते खण्डहरों में।
जो दर्शकों के दिल लुभाते बस,
ना रंगता जन अब उस रंग में।

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रचनाएँ
दैनिन्दिनी सितम्बर 2022
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मेरे जीवन में होने वाली दैनिक घटनाओं के विषय में वर्णन किया गया है। जिसमें मेरे जीवन के व्यक्तिगत विचार भी शामिल हैं।
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भोर जिंदगी की

2 सितम्बर 2022
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हर सुबह हमें नया संदेश देती है।नये जीवन के लिए नई सांस देती है।करती है हर दिन भानु का अभिनन्दन।शशि की विदाई कर शुरुआत करती है।।हमें कहती हैं उठो जागो और बढो मंजिल की ओर।खग चहचहाने लगे हैं तरू पर हो गय

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पर्णकुटी की पीडा

2 सितम्बर 2022
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तन पर वसन नहीं रहते, सिर ढकने को नहीं घर अपना। कैसे उत्सव मनाएं आजादी, कैसे सोचे उड़ने का सपना।। दीन मनुज की पीड़ा का, इस दुनिया में कोई मोल नहीं। जो इनका दर्द समझ सके, इस दुनिया में ऐसा झोल नहीं।। हक

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शिक्षा और समाज निर्माण

10 सितम्बर 2022
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"शिक्षा शेरनी का वह दूध है जो भी पियेगा वह दहाडेगा"अन्तर्मन के पट खोलने शिक्षा अति जरूरी है।शिक्षा बिना अशोभनीय जन जिंदगी अधूरी है।।शिक्षा के पथ पर चलकर ही मंजिल तुम्हें मिल जाती है।शिक्षा पथ पर मोड क

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हिन्दी उदास है मन में

14 सितम्बर 2022
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दरबारों में आंसू बरसाती,मौन रहकर व्यथा सह जाती।राष्ट्र भाषा का ताज पहनकर, शक्ति हीन हो लड़खड़ाती।।शासन के हर दरबार में, हिंदी की जिंदगी सौतेली हुई।आंखों से नीर बहे सदा, हिंदी हर दरबार उदास हुई।।शासन फ

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सभ्यता संस्कृति अभी जिंदा है

14 सितम्बर 2022
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बसती हूं अब भी गांवों में, लोग मुझे अपनाते हैं। तीज और त्यौहारों पुरवा(गांव)जन, मेरा रंग दिखाते हैं । अभी भी जीवित हूं रिश्तों में, छोटे बड़े का सम्मान यहां। मेरी जान निकली शहरों में, थोड़ी सी सांस बच

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संकल्प

15 सितम्बर 2022
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करें संकल्प हम ऐसा, काम परहित में हम आये।। तोड दें सारे बंधन हम,पार दुष्कर पथ कर जाये।। हाथ से हाथ मिलाकर अब, हमें अति दूर जाना है। ठोकरें खाकर पडे हुए, हमें उनको उठाना है।। फैला जहां राज तम का है,सदा

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छोटा ना समझो तिनका

15 सितम्बर 2022
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कुश(तिनका) को मत समझो छोटा,यही खग नीड़ बनाता है।तरू की डाल पर तिनका,सुंदर खग नीड़ बनाता है।।किसी के सपनों का श्रृंगार ,किसी के जीवन जीवन का घर-बार।किसी के जीवन का मकसद,कुश का महत्व भिन्न-भिन्न सार।।तृ

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पितृपक्ष

16 सितम्बर 2022
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पिता है पालन करने वाला,जीवन में खुशियां लुटाता है।उंगली पकड़कर राह दिखाता,जीवन का भाग्य विधाता है।।पिता ही एक मूरत है,जो अपने से ज्यादा बरकत चाहता।अपने सपने में रखता उम्मीदें,औलाद सफलता सदा चाहता।।नभ

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मुखौटा

20 सितम्बर 2022
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मुखौटा लगाये हुए लोग दुनिया में घूम रहे हैं। मुंह में राम बगल में छुरी को मुकाम दे रहे हैं।। हर वक्त डर लगता है अनजान लोगों से। विश्वास का कत्ल हो गया कुछ सदियों से।। अनजान ही पहचान वाले भी बदल गये है

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नारीवाद का दुरूपयोग

20 सितम्बर 2022
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मनुष्य की जिंदगी में नारी का बहुत ही बडा योगदान है। नारी के बिना इस दुनिया में गृहस्थी रूपी गाड़ी नहीं चल सकती है।"नर और नारी गृहस्थी रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं जिनमें से एक अलग हो जाते तो गृहस्थी की ग

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दोस्ती और दुश्मनी

29 सितम्बर 2022
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जिंदगी के हर अहसास के,अंदाज निराले होते हैं।प्रकृति यह है मनुष्य की,कभी हंसते कभी रोते हैं।।दोस्ती:-दोस्ती है प्रेम का रिश्ता,जो दिल में पैदा होता है।हर मनुष्य के जीवन में,एक सच्चा दोस्त होता है।।जहां

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