करें संकल्प हम ऐसा, काम परहित में हम आये।।
तोड दें सारे बंधन हम,पार दुष्कर पथ कर जाये।।
हाथ से हाथ मिलाकर अब, हमें अति दूर जाना है।
ठोकरें खाकर पडे हुए, हमें उनको उठाना है।।
फैला जहां राज तम का है,सदा उजियारा कर जाये।।
अंधविश्वास पाखंड को, हमें जड से मिटाना है।
बनी अज्ञान की मूरत, उन्हे शिक्षित बनाना है।।
शिक्षा को लक्ष्य बनाकर हम, रुख विद्यालय अपनायें।।
सहेंगे ना गुलामी अब, परिंदे खुले आसमान के।
बिछा के जाल फंसाया सदा,आये ना आंखों सामने।।
सामने आकर टक्कर लो, जोर फिर हम पर अजमाये।
मिलाकर बूंद-बूंद जल की, सरिता से सागर बनाना है।
रुख ना मोड़ सके कोई, रुख ऐसा अपनाना है।।
संगठन में सदा शक्ति,कहावत सही हम कर जायें।।
भेद बेटी-बेटा का अब , हमें जड से मिटाना है।
ना अनपढ रखना बेटी को, हमें उसको पढ़ाना हैं।।
गुलामी बेड़ियां तोडे,बराबर में नारी लाये।।
कुरीति व्यसनों से अब, हमें छुटकारा दिलाना है।
करे निर्माण नव जन का, सच्चा मानव बनाना है।।
करे मानवता की पूजा, काम हर जन आ जाये।।